tag:blogger.com,1999:blog-24306703300236590622024-03-13T03:19:47.898-07:00hindu woldPramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-60289483964296559582018-10-10T10:59:00.001-07:002018-10-10T10:59:26.846-07:00 नवरात्रि के दिनों में बगलामुखी साधना !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बगलामुखी तंत्र साधना से लोग वशीकरण, मारण, उच्चाटन आदि कार्यों को बखूबी अंजाम देते हैं। अपने मन की बात को पूर्ण करने के लिए लोग इस तंत्र साधना का प्रयोग करते हैं और तंत्र-मंत्र पर अंधविश्वास करने वाले लोगों का मानना है की इससे बेहतर कोई अन्य विकल्प नहीं है। बगलामुखी मां की आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं और "श्री" वृद्धि होती है।<br />
<br />
तांत्रिक साधना से शत्रुओं का शमन, विवाद,अपने ऊपर हो रहे अकारण अत्याचार से बचाव, किसी को सबक सिखाना हो तो, मुकद्दमा जीतना, असाध्य रोगों से छुटकारा पाना, बंधनमुक्त होना, संकट से उद्धार पाना, नवग्रहों के दोष से मुक्ति के लिए तथा किसी अन्य के टोने को बेअसर करना हो तो बगलामुखी इसके लिए संजिवनी बुटी हैं। तंत्र मंत्र में महारथ हासिल किए जानकार कहते हैं की बाहर के शत्रु जातक को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितना सगे संबंधी पहुंचाते हैं।<br />
<br />
बगलामुखी साधना को पूर्ण करने के लिए निम्न बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अन्यथा साधना अपूर्ण रह जाती है।<br />
<br />
1. बगलामुखी साधना करते समय पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें।<br />
<br />
2. किसी भी स्त्री को छुना, वार्तालाप करना यहां तक की सपने में भी किसी स्त्री का आना पूर्णत: निषेध है। ऐसा न करने से आपकी साधना खण्डित हो जाएगी।<br />
<br />
3. इस साधना को करने के लिए किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे का सहारा नहीं लेना चाहिए। बगलामुखी साधना करते समय साधक को डर, विचित्र आवाजें और खौफनाक आभास भी हो सकते हैं। जिन जातकों को काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से भय लगता हो, उन्हें यह साधना कदापि नहीं करनी चाहिए।<br />
<br />
4. साधना का आरंभ करने से पूर्व अपने गुरू का सिमरण अवश्य करें।<br />
<br />
5. मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में करना अत्यन्त शुभ फल देता है। नवरात्रि के दिनों में बगलामुखी साधना करना सबसे उत्तम फल देता है।<br />
<br />
6. उत्तर की ओर मुंह करके बैठने के बाद ही साधना का आरंभ करें।<br />
<br />
7. मंत्रों का जाप करते वक्त आपका स्वर अपने आप तेज होता जाएगा। ऐसा होने पर चिंता ना करें बल्कि अपना ध्यान मंत्रों पर केंद्रित रखें।<br />
<br />
8. साधना को गुप्त रूप से करें। जब तक साधना पूर्ण न हो जाए किसी से भी इस विषय पर वार्ता न करें।<br />
<br />
9. साधना आरंभ करने से पूर्व अपने चारों ओर घी और तेल के दिए जलाएं।<br />
<br />
10. साधना करते वक्त पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पीले रंग के आसन का ही उपयोग करें।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiI24mBlv2Fj39anS0cggnWxx21q8RqLXWgQuq4Sw8gZqCLqMiqilry3Sy8rItT3NKIHOldonIxLqi_uH4qOqgFY41P7-TJn_jpWbDmpXU3FFBWxXxyzY0G1V3YydYP26sVGya6H0oU5iUY/s1600/Bagalamukhi+Jivha+Chhedan.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="552" data-original-width="400" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiI24mBlv2Fj39anS0cggnWxx21q8RqLXWgQuq4Sw8gZqCLqMiqilry3Sy8rItT3NKIHOldonIxLqi_uH4qOqgFY41P7-TJn_jpWbDmpXU3FFBWxXxyzY0G1V3YydYP26sVGya6H0oU5iUY/s320/Bagalamukhi+Jivha+Chhedan.jpg" width="231" /></a></div>
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<br />
बगलामुखी मां की आराधना से सारे संकट दूर हो जाते हैं।<br />
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Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-61534714760388357302018-10-10T10:45:00.000-07:002018-10-10T10:45:21.032-07:00प्रेषित मुहम्मद की मृत्यु नहीं हुई ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
12 September 2014 at 15:02<br />
प्रेषित मुहम्मद की मृत्यु नहीं हुई , भारत के महाकवि कालिदास के हाथों मारे गए थे ? इतिहास का एक अत्यंत रोचक तथ्य है कि, इस्लाम के पैगम्बर (रसूल) मुहम्मद साहब सन ६३२ में अपनी स्वाभाविक मौत नहीं मरे थे। अपितु भारत के महान साहित्यकार कालिदास के हाथों मारे गए थे।और मदीना में दफनाए गए (?) <b>मुहम्मद की कब्र की जांच की जाए तो, रहस्य से पर्दा उठ सकता है </b>कि, कब्र में मुहम्मद का कंकाल है या लोटा ।<br />
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<br />
भविष्य महापुराण (प्रतिसर्ग पर्व) में सेमेटिक मजहबों के सभी पैगम्बरों का इतिहास उनके नाम के साथ वर्णित है। नामों का संस्कृतकरण हुआ है I इस पुराण में मुहम्मद और ईसा मसीह का भी वर्णन आया है। <b>मुहम्मद का नाम "महामद" आया है।</b> मक्केश्वर शिवलिंग का भी उल्लेख आया है। वहीं वर्णन आया है कि <b>सिंधु नदी के तट पर मुहम्मद और कालिदास की भिड़ंत हुई थी और कालिदासने मुहम्मद को जलाकर भस्म कर दिया।</b> ईसा को सलीब पर टांग दिया गया और मुहम्मद भी जलाकर मार दिए गए।<br />
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<br />
<br />
सेमेटिक मजहब के ये दो रसूल किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे। शर्म के मारे मुसलमान किसी को नहीं बताते कि मुहम्मद जलाकर मार दिए गए। बल्कि वह यह बताते हैं कि, उनकी मौत कुदरती हुई थीI भविष्य महापुराण (प्रतिसर्ग पर्व,3.3.1-27) में उल्लेख है कि, ‘शालिवाहन के वंशमें १० राजाओं ने जन्म लेकर क्रमश: ५०० वर्ष तक राज्य किया। अन्तिम दसवें राजा भोजराज हुए ।उन्होंने देश की मर्यादा क्षीण होती देख दिग्विजय के लिए प्रस्थान किया ।उनकी सेना दस हज़ार थी और उनके साथ कालिदास एवं अन्य विद्वान्-ब्राह्मण भी थे ।उन्होंने सिंधु नदी को पार करके गान्धार, म्लेच्छ और काश्मीर के शठ राजाओं को परास्त किया और उनका कोश छीनकर उन्हें दण्डित किया ।उसी प्रसंग में मरुभूमि मक्का पहुँचने पर आचार्य एवं शिष्यमण्डल के साथ <b>म्लेच्छ महामद (मुहम्मद) नामक व्यक्ति उपस्थित हुआ ।</b><br />
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<br />
<br />
राजा भोज ने मरुस्थल (मक्का) में विद्यमान महादेव जी का दर्शन किया ।महादेवजी को पंचगव्य मिश्रित गंगाजल से स्नान कराकर चन्दनादि से भक्तिपूर्वक उनका पूजन किया और उनकी स्तुति की।<b> “हे मरुस्थल में निवास करनेवाले तथा म्लेच्छों से गुप्त शुद्ध सच्चिदानन्द रूपवाले गिरिजापते ! आप त्रिपुरासुर के विनाशक तथा नानाविध मायाशक्ति के प्रवर्तक हैं । मैं आपकी शरण में आया हूँ, आप मुझे अपना दास समझें । मैं आपको नमस्कार करता हूँ ।”</b> इस स्तुति को सुनकर भगवान् शिव ने राजा से कहा- “हे भोजराज ! तुम्हें महाकालेश्वर तीर्थ (उज्जयिनी) में जाना चाहिए ।यह <b>‘वाह्लीक’ नाम की भूमि</b> है, पर अब म्लेच्छों से दूषित हो गयी है । इस दारुण प्रदेश में आर्य-धर्म है ही नहीं ।महामायावी त्रिपुरासुर यहाँ दैत्यराज बलिद्वारा प्रेषित किया गया है ।वह मानवेतर, दैत्यस्वरूप मेरे द्वारा वरदान पाकर मदमत्त हो उठा है और पैशाचिक कृत्य में संलग्न होकर महामद (मुहम्मद) के नाम से प्रसिद्ध हुआ है ।पिशाचों और धूर्तों से भरे इस देश में हे राजन् ! तुम्हें नहीं आना चाहिए। हे राजा ! मेरी कृपा से तुम विशुद्ध हो ।<br />
<br />
भगवान् शिवके इन वचनों को सुनकर राजा भोज सेना सहित पुनः अपने देश में वापस आ गये ।उनके साथ महामद भी सिंधुतीर पर पहुँच गया ।अतिशय मायावी महामद ने प्रेमपूर्वक राजा से कहा- ”आपके देवता ने मेरा दास्यत्व स्वीकार कर लिया है ।”राजा यह सुनकर बहुत विस्मित हुए। और उनका झुकाव उस भयंकर म्लेच्छ के प्रति हुआ ।उसे सुनकर कालिदास ने रोषपूर्वक महामद से कहा-<b>“अरे धूर्त ! तुमने राजा को वश में करने के लिए माया की सृष्टि की है । तुम्हारे जैसे दुराचारी अधम पुरुष को मैं मार डालूँगा ।“ </b>यह कहकर कालिदास नवार्ण मन्त्र (ॐ ऐंह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) के जप में संलग्न हो गये । उन्होंने (नवार्ण मन्त्र का) दस सहस्र जपकरके उसका दशांश (एक सहस्र) हवन किया । उससे वह मायावी भस्म होकर म्लेच्छ-देवता बन गया ।इससे भयभीत होकर उसके शिष्य वाह्लीकदेश वापस आ गये और अपने गुरु का भस्म लेकर मदहीनपुर (मदीना) चले गए और वहां उसे स्थापित कर दिया जिससे वह स्थान तीर्थ के समान बन गया।<br />
<br />
<b>एक समय रात में अतिशय देवरूप महामद ने पिशाच का देह धारणकर राजा भोज से कहा-”हे राजन् !आपका आर्यधर्म सभी धर्मों में उत्तम है। लेकिन मैं उसे दारुण पैशाच धर्म में बदल दूँगा ।उस धर्म में लिंगच्छेदी (सुन्नत/खतना करानेवाले),शिखाहीन, दढि़यल, दूषित आचरण करनेवाले, उच्चस्वर में बोलनेवाले (अज़ान देनेवाले), सर्वभक्षी मेरे अनुयायी होंगे ।कौलतंत्र के बिना ही पशुओं का भक्षण करेंगे. उनका सारा संस्कार मूसल एवं कुश से होगा ।इसलिये ये जाति से धर्म को दूषित करनेवाले ‘मुसलमान’ होंगे ।इस प्रकार का पैशाच धर्म मैं विस्तृत करूंगा I”‘</b><br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyZYHxoyz0s5DBfKpyFIW-5nifGeG_sBec8qJRdpaj2IT8nJeeMu5Zty_F9fxpf97GdyvzGEAE1S15BBFUn7mcgKlCjtMb_ZZEhhngOndVIDwLxe9ZJMWobkCReNr-tAtsTOMGnEoceyyq/s1600/Islam+Kick+on+Back.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="288" data-original-width="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyZYHxoyz0s5DBfKpyFIW-5nifGeG_sBec8qJRdpaj2IT8nJeeMu5Zty_F9fxpf97GdyvzGEAE1S15BBFUn7mcgKlCjtMb_ZZEhhngOndVIDwLxe9ZJMWobkCReNr-tAtsTOMGnEoceyyq/s1600/Islam+Kick+on+Back.jpg" /></a></div>
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एतस्मिन्नन्तरेम्लेच्छ आचार्येण समन्वितः ।महामद इति ख्यातः शिष्यशाखा समन्वितः ।। 5 ।।<br />
<br />
नृपश्चैव महादेवं मरुस्थलनिवासिनम् ।गंगाजलैश्च संस्नाप्य पंचगव्यसमन्वितैः ।चन्दनादिभिरभ्यच्र्य तुष्टाव मनसा हरम् ।। 6 ।।<br />
<br />
भोजराज उवाचनमस्ते गिरिजानाथ मरुस्थलनिवासिने।त्रिपुरासुरनाशाय बहुमायाप्रवर्तिने ।। 7 ।।<br />
<br />
म्लेच्छैर्मुप्ताय शुद्धाय सच्चिदानन्दरूपिणे ।त्वं मां हि किंकरं विद्धि शरणार्थमुपागतम्।। 8 ।।<br />
<br />
सूत उवाचइति श्रुत्वा स्तवं देवः शब्दमाह नृपाय तम् ।गंतव्यं भोजराजेन महाकालेश्वरस्थले ।। 9 ।।<br />
<br />
म्लेच्छैस्सुदूषिता भूमिर्वाहीका नाम विश्रुता ।आर्यधर्मो हि नैवात्र वाहीके देशदारुणे ।। 10 ।।<br />
<br />
वामूवात्र महामायो योऽसौ दग्धो मया पुरा ।त्रिपुरो बलिदैत्येन प्रेषितः पुनरागतः ।। 11 ।।<br />
<br />
अयोनिः स वरो मत्तः प्राप्तवान्दैत्यवर्द्धनः ।महामद इति ख्यातः पैशाचकृतितत्परः।। 12 ।।<br />
<br />
नागन्तव्यं त्वया भूप पैशाचे देशधूर्तके।मत्प्रसादेन भूपाल तव शुद्धि प्रजायते ।। 13 ।।<br />
<br />
इति श्रुत्वा नृपश्चैव स्वदेशान्पु नरागमतः ।महामदश्च तैः साद्धै सिंधुतीरमुपाययौ।। 14 ।।<br />
<br />
उवाच भूपतिं प्रेम्णा मायामदविशारदः ।तव देवो महाराजा मम दासत्वमागतः ।। 15 ।।<br />
<br />
इति श्रुत्वा तथा परं विस्मयमागतः ।। 16 ।।<br />
<br />
म्लेच्छधनें मतिश्चासीत्तस्यभूपस्य दारुणे ।। 17 ।।<br />
<br />
तच्छ्रुत्वा कालिदासस्तु रुषा प्राह महामदम् ।माया ते निर्मिता धूर्त नृपमोहनहेतवे ।। 18 ।।<br />
<br />
हनिष्यामिदुराचारं वाहीकं पुरुषाधनम् ।इत्युक्त् वा स जिद्वः श्रीमान्नवार्णजपतत्परः ।। 19।।<br />
<br />
जप्त्वा दशसहस्रंच तदृशांश जुहाव सः ।भस्म भूत्वा समायावी म्लेच्छदेवत्वमागतः ।। 20 ।।<br />
<br />
मयभीतास्तु तच्छिष्या देशं वाहीकमाययुः ।गृहीत्वा स्वगुरोर्भस्म मदहीनत्वामागतम्।। 21 ।।<br />
<br />
स्थापितं तैश्च भूमध्येतत्रोषुर्मदतत्पराः ।मदहीनं पुरं जातं तेषां तीर्थं समं स्मृतम्।। 22 ।।<br />
<br />
रात्रौ स देवरूपश्च बहुमायाविशारदः ।पैशाचं देहमास्थाय भोजराजं हि सोऽब्रवीत् ।। 23 ।।<br />
<br />
आर्यधर्मो हि ते राजन्सर्वधर्मोत्तमः स्मृतः ।ईशाख्या करिष्यामि पैशाचं धर्मदारुणम् ।। 24 ।।<br />
<br />
लिंगच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी स दूषकः ।उच्चालापी सर्वभक्षीभविष्यति जनो मम।। 25 ।।<br />
<br />
विना कौलं च पशवस्तेषां भक्षया मता मम ।मुसलेनेव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति ।। 26 ।।<br />
<br />
तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः ।इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः ।। 27 ।।’<br />
<br />
(भविष्यमहापुराणम् (मूलपाठ एवं हिंदी-अनुवादसहित), अनुवादक: बाबूराम उपाध्याय, प्रकाशक: हिंदी-साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग; ‘कल्याण’ (संक्षिप्त भविष्यपुराणांक),प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर, जनवरी,1992 ई.)<br />
<br />
<br />
<br />
कुछ विद्वान कह सकते हैं कि, महाकवि कालिदास तो प्रथम,शताब्दी के शकारि विक्रमादित्य के समय हुए थे और उनके नवरत्नों में से एक थे, तो हमें ऐसा लगता है कि कालिदास नाम के एक नहीं बल्कि अनेक व्यक्तित्व हुए हैं,बल्कि यूं कहा जाए की कालिदास एक ज्ञानपीठ का नाम है, जैसे वेदव्यास, शंकराचार्य इत्यादि.विक्रम के बाद भोज के समय भी कोई कालिदास अवश्य हुए थे। इतिहास तो कालिदास को छठी-सातवी शती (मुहम्मद के समकालीन) में ही रखता है। कुछ विद्वान "सरस्वती कंठाभरण", समरांगण सूत्रधार","युक्ति कल्पतरु"-जैसे ग्रंथों के रचयिता राजा भोजको भी ९वी से ११वी शताब्दी में रखते हैं जो गलत है.भविष्यमहापुराण में परमार राजाओं की वंशावली दी हुई है। इस वंशावली से भोज विक्रम की छठी पीढ़ी में आते हैं और इस प्रकार छठी-सातवी शताब्दी (मुहम्मद के समकालीन) में ही सिद्ध होते हैं।<br />
<br />
कालिदास त्रयी-एकोऽपि जीयते हन्त कालिदासो न केनचित्।शृङ्गारे ललितोद्गारे कालिदास त्रयी किमु॥<br />
<br />
(राजशेखर का श्लोक-जल्हण की सूक्ति मुक्तावली तथा हरि कवि की सुभाषितावली में)<br />
इनमें प्रथम नाटककार कालिदास थे जो अग्निमित्र या उसके कुछ बाद शूद्रक के समय हुये। <br />
द्वितीय महाकवि कालिदास थे। जो उज्जैन के परमार राजा विक्रमादित्य के राजकवि थे।इन्होंने रघुवंश, मेघदूत तथा कुमारसम्भव-ये ३ महाकाव्य लिखकर ज्योतिर्विदाभरण नामक ज्योतिष ग्रन्थ लिखा। इसमें विक्रमादित्य तथा उनके समकालीन सभी विद्वानों का वर्णन है।<br />
अन्तिम कालिदास विक्रमादित्य के ११ पीढ़ी बाद के भोजराज के समय थे तथा आशुकवि और तान्त्रिक थे-इनकी चिद्गगन चन्द्रिका है तथा कालिदास और भोजके नाम से विख्यात काव्य इनके हैं।अधिक जानकारी के लिए<br />
<br />
लेखक Jay Vyas पेज लिंक https://www.facebook.com/jay.vyas.391?fref=hovercard</div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-68247028681892560552016-12-08T04:30:00.001-08:002016-12-08T04:30:22.670-08:00महान संतान <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली<br />
Updated Sat, 26 Dec 2015 04:15 PM IST<br />
<br />
ब्रह्मवैवर्त पुराण के ब्रह्म खंडः 27.29-38 में लिखा है कि स्त्री-पुरुष मिलन के लिए कुछ दिन हैं जो अशुभ माने जाते हैं। इन दिनों शादीशुदा या प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे के करीब नहीं आना चाहिए, भविष्य के लिए बुरा होता है। जानिए, कौन से हैं वो दिन।<br />
अमावस्या का दिन जोड़ों के लिए अशुभ होता है।<br />
इसी तरह पूर्णिमा पर भी दूर रहने में ही भलाई है।<br />
संक्रान्ति पर भी जोड़ों को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए।<br />
चतुर्दशी और अष्टमी तिथि।पुराण में रविवार को भी इस काम के लिए अशुभ बताया गया है।<br />
श्राद्ध। पितृ पक्ष में जोड़ों को मिलन के बारे में नहीं सोचना चाहिए।व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।<br />
टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली<br />
Updated Sat, 26 Dec 2015 04:15 PM IST<br />
=================<br />
Kripa Shankar Bawalia Mudgal<br />
24 March ·<br />
महान संतान कैसे उत्पन्न होती है? ......<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPFnpfAnrJ8NJHCCkECUccUiFGmAeQn0GuKUOAAFKz6u7f3M-9IfUh8xf9Xs2-wfXvxuzhCo51eV5JDq8AMUw8OmvBeT5CKE-nuDeWWsMFnpwa3odm0mI2gD6hAz1vRCkExp8MovywckAD/s1600/Khajuraho+Model%2527s.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPFnpfAnrJ8NJHCCkECUccUiFGmAeQn0GuKUOAAFKz6u7f3M-9IfUh8xf9Xs2-wfXvxuzhCo51eV5JDq8AMUw8OmvBeT5CKE-nuDeWWsMFnpwa3odm0mI2gD6hAz1vRCkExp8MovywckAD/s320/Khajuraho+Model%2527s.jpg" width="320" /></a></div>
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जब स्त्री का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु मिलते हैं तब सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट होता है| उस समय पुरुष और स्त्री (विशेष कर के स्त्री) जैसी चेतना में होते हैं, वैसी ही चेतना की आत्मा आकर गर्भस्थ हो जाती है|<br />
<br />
प्राचीन भारत में गर्भाधान संस्कार होता था|<br />
संतान उत्पन्न करने से पूर्व पति और पत्नी दोनों छः माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और ध्यान साधना द्वारा एक उच्चतर चेतना में चले जाते थे| इसके पश्चात गर्भाधान संस्कार द्वारा वे चाहे जैसी संतान उत्पन्न करते थे|<br />
भारत के मनीषियों को यह विधि ज्ञात थी इसीलिए भारत ने प्राचीन काल में महापुरुष ही महापुरुष उत्पन्न किये|<br />
<br />
गर्भाधान के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे| गर्भवती स्त्री को एक पवित्र वातावरण में रखा जाता, जहाँ नित्य वेदपाठ और स्वाध्याय होता था| शिशु के जन्म के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे|<br />
<br />
वे सारे संस्कार अब लुप्त हो गए हैं| इसीलिए भारत में महान आत्माएं जन्म नहीं ले पा रही हैं| अनेक महान आत्माएं भारत में जन्म लेना चाहती हैं पर उन्हें इसका अवसर नहीं मिल रहा|<br />
<br />
आप चाहे जैसी संतान उत्पन्न कर सकते हैं| महान से महान आत्मा को जन्म दे सकते हैं|<br />
<br />
आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन|<br />
ॐ तत्सत | ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ |<br />
#कृपाशंकर | चै.कृ.१ वि.सं.२०७२ #24March2016<br />
<div>
<br /></div>
</div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-51022036848860756302016-04-22T04:32:00.002-07:002016-04-22T04:32:35.970-07:00सिंहस्थ कुंभ में रामानंदीय निर्मोही आखाड़े का स्नान बहिष्कार !भाजप ने करवाया आसाराम आश्रम कुंभ में हमला ! <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
प्रेस नोट - कल्याण दिनांक २२ अप्रेल २०१६ </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9_P7mZeFiWFDwPuj56_ctraKg676Y9Ki89w8J9H73pPwH1PYxnePg8mzrESM746EsIJMbnsNZATRvHTt2oLJeeLliRk74VH8V4oJweHl7ktyKubPg_FC1eIwIkYqGI7EbMA_N3lZcqJl3/s1600/Nirmohi+Press+Ujjain.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="227" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9_P7mZeFiWFDwPuj56_ctraKg676Y9Ki89w8J9H73pPwH1PYxnePg8mzrESM746EsIJMbnsNZATRvHTt2oLJeeLliRk74VH8V4oJweHl7ktyKubPg_FC1eIwIkYqGI7EbMA_N3lZcqJl3/s320/Nirmohi+Press+Ujjain.jpg" width="320" /></a></div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjigzXP-xA1EQSooyrsrFUOnk5ZOoYCS94uKZ-Su0L4xZUypyGQ8bAxilkhPlRoeuq9BWahxJv2NbxGPtGdLDk_ZtzTFCtSHt1vy7bkUq2gVYxQeOHTOTHHV1Q25zl-_F4xabpFpaIgAbRe/s1600/Nirmohi+Rajendra+Das+Virodh.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjigzXP-xA1EQSooyrsrFUOnk5ZOoYCS94uKZ-Su0L4xZUypyGQ8bAxilkhPlRoeuq9BWahxJv2NbxGPtGdLDk_ZtzTFCtSHt1vy7bkUq2gVYxQeOHTOTHHV1Q25zl-_F4xabpFpaIgAbRe/s320/Nirmohi+Rajendra+Das+Virodh.jpg" width="240" /></a></div>
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सिंहस्थ कुंभ में रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के श्री महंत श्री मदनमोहन दास महाराज को प्रयाग,नासिक के पश्चात उज्जैन में भी स्नान का बहिष्कार करना इसलिए पड़ा क्योकि,<br />
भाजप समर्थक श्री राजेन्द्रदास महाराज जो महंत नहीं है को,भाजप के समर्थन पर स्नान का प्रथम सन्मान दिया इसलिए जा रहा है कि,"श्रीराम जन्मभुमी कब्जे के विरोध में २३ मार्च १५२८ पूर्व से मंदिर अधिपती रामानंदीय निर्मोही आखाड़ा है और भाजप अपने समर्थक राजेन्द्रदास को श्री महंत बनाने के फर्जी तरीके से प्रयास कर रहे है।" हाल ही में कथित संत श्री आसाराम बापू के आश्रम-उज्जैन कुम्भ में की तोड़फोड़ में,"भाजप ने श्री राजेन्द्रदास महाराज को आगे कर निर्मोही आखाड़े का मुख्य होने का नकली महत्त्व मिडिया द्वारा राजनितिक स्तर पर स्थापित किया था।<br />
मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री तथा आखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री गिरी महाराज ने श्री रामानंदीय निर्मोही आखाड़े में श्री महंत श्री मदनमोहन दास महाराज का विश्वासघात किया है !<br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
विश्व हिन्दू धर्म संमेलन तथा अखिल भारत हिन्दू महासभा ने आसाराम के आश्रम पर हमला करवाने के लिए निर्मोही आखाड़े का उपयोग करने पर तथा श्री रामानंदीय निर्मोही अणि आखाड़ा के श्री महंत श्री मदनमोहन दास महाराज का विश्वासघात करने पर निंदा करते हुए अगले स्नान पूर्व अवमानना पर क्षमा मांगी नहीं गई तो,किसी भी संत महंत को स्नान करने से रोककर आखाड़ा परिषद अध्यक्ष का पुतला फूंका जाएगा !</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
प्रमोद पंडित जोशी -विश्व हिन्दू धर्म संमेलन संयोजक तथा अखिल भारत हिन्दू महासभा राष्ट्रिय प्रवक्ता </div>
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Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-10589797417008612232016-04-20T19:30:00.001-07:002016-04-20T19:30:06.549-07:00लव जिहाद क्यों ? तलाक फिर वेश्यावृत्ति ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh7wSxeOS3hwFFa6LqjvSklyP_TQ7Ad03wOkYGg9pYMshs7QdiO1BKiTjaMZyCAiVzjW1zr0yfokKMRE_guME18d-MKXOQzzH4UOcsBaL23MC4302Z9GDxPJSY9dmtGZ9aDDpVHb_COjA5H/s1600/Love+Jihad+Convartion.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="289" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh7wSxeOS3hwFFa6LqjvSklyP_TQ7Ad03wOkYGg9pYMshs7QdiO1BKiTjaMZyCAiVzjW1zr0yfokKMRE_guME18d-MKXOQzzH4UOcsBaL23MC4302Z9GDxPJSY9dmtGZ9aDDpVHb_COjA5H/s320/Love+Jihad+Convartion.jpg" width="320" /></a></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
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<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
प्रश्नोत्तरी ( लव जिहाद विषय ) :-</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(1) प्रश्न :- लव जिहाद किसे कहते हैं ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- जब कोई मुसलमान पुरुष किसी गैर मुसलमान युवती को बहला फुसला कर उसके शील को भंग करके उससे शादी करके उसको ईस्लाम में दीक्षित कर लेता है । इसी को लव जिहाद कहा जाता है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(2) प्रश्न :- लव जिहाद क्यों किया जाता है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- ताकि गैर मुसलमानों का शीघ्रता से ईस्लामीकरण हो । क्योंकिं जैसे किसी भी जाती को समाप्त करना हो तो उनकी स्त्रीयों को दूषित किया जाता है । जिससे कि वो अपने समाज में आत्म सम्मान खो दें और दूसरे समाज में जाने को बाध्य हो सकें । जिससे कि मुसलमान उस लड़की की सम्पत्ति का मालिक बने और उस लड़की के घर वाले सिर उठा कर नहीं जी सकें। लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य है अल तकियाह, ( गज़्वा ए हिन्द ) यानी कि भारत का ईस्लामीकरण ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(3) प्रश्न :- लव जिहाद से ईस्लामीकरण कैसे होता है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- क्योंकि लव जिहाद की शिकार युवती को उसका हिन्दू समाज अपनाने को तैय्यार नहीं होता है । और जिसके कारण उसके पास और कोई मार्ग शेष नहीं रहता तो वह मुसलमानी नर्क में जीने को विवष हो जाती है । तो इसी प्रकार जो उस लड़की के बच्चे होते हैं वो भी मुसलमान ही होते हैं । तो ऐसे मुसलमानों की संख्या वृद्धि होने से राष्ट्र शीघ्रता से ईस्लामीकरण की ओर बढ़ता है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(4) प्रश्न :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती कैसी होती है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती नर्क से बदतर होती है । जैसा कि कई लड़कियों के मुसलमानों के साथ विवाह के बाद वो तलाक दे दी जाती हैं । और बाद में उनकों वैश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है । या फिर उनको भारत की यात्रा पर आये अरब के शेखों को बेच दिया जाता है । जो उनको अपने साथ अरब देशों में ले जाते हैं । वहाँ उनको 'नमकीन बेगम' के नाम से सम्बोधित किया जाता है, उन्हें गुलाम बनाकर इनके साथ शोषण किया जाता है । कई बार उनको नेपाल के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जाता है , या फिर असम, त्रिपुरा या बंगाल से उनको बांग्लादेश भेजा जाता है ( बंगाल की कांग्रेस सांसद रूमी नाथ इसकी ताज़ा उदाहरण है जिसे एक जिहादी ने फेसबुक के ज़रिये शिकार बनाया और बंग्लादेश भेज दिया ) । ऐसी कई और उदाहरण हैं ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(5) प्रश्न :- राष्ट्र के ईस्लामीकरण होने से क्या हानी होगी ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- किसी भी राष्ट्र का ईस्लामीकरण होने से वहाँ कुरान का शरिया कानून लागू होता है, लोकतन्त्र समाप्त हो जाता है और विचारों को रखने की स्वतन्त्रता समाप्त हो जाती है । देश ईस्लाम की अत्यन्त संकुचित और नीच विचारधारा में जकड़ा जाता है । जिसमें स्त्रीयों का शोषण होता है । उनको पुरुषों की खेती समझा जाता है । जहाँ स्त्रीयों का सम्मान नहीं वहाँ पुरुष निर्दयी हो जाते हैं । पुरुषों के निर्दयी होने से समाज में भारी क्षोभ और वासनामय वातावरण होता है । जहाँ सत्ता ईसलाम के हाथ है वो देश एक बूचड़खाना होता है, जिसमें मानवों की कटती हुई लाशें, पशुओं की कटती हुई लाशें दिखाई देती हैं । स्त्रीयों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है । मुसलमान पुरुष जब चाहे उसे तीन बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर उससे पीछा छुड़ा लेता है । खून के रिश्तों में या सगे रिश्तों में ही शादियाँ होने से नये जन्मे बच्चों का मान्सिक विकास नहीं होता है । और उस ईस्लामी देश में गैर मुसलमानों को अपने अपने धार्मिक कार्य करने की आज़ादी नहीं होती । उनकी स्त्रीयों को बंदूकों या तलवारों की नोक पर उठा लिया जाता है ( जैसा कि पैगम्बर मुहम्मद किया करता था यहूदी या ईसाई औरतों के साथ ) । उनके धार्मिक उत्सवों पर हमले किये जाते हैं , ( जैसे कि मुस्लिम बाहुल्य काशमीर में अमरनाथ यात्रियों के साथ होता है ) । स्त्रीयों की आँखें नोच ली जाची हैं । िकसी स्त्री के साथ कोई पुरुष जब बलात्कार करता है तो दंड पुरुष को नहीं स्त्री को ही दिया जाता है । स्त्रीयों को ज़मीन में आधा गाड़ कर उन पर संगसार ( पत्थरों की बारिश ) किया जाता है । चारों ओर मस्जिदों से मौलवीयों की मनहूस आज़ानें सुनाई देती हैं, ज़रा ज़रा सी बातों पर मुसलमानी मौहल्लों में लड़ाईयाँ और खून खराबा होता है, सड़कों पर लोगों के रास्ते रोक कर नमाजें पढ़ी जाती हैं । तो ऐसी अनेकों हानियाँ मानव समाज को उठानी पड़ती हैं । जो की देश के ईसलामीकरण का परिणाम है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(6) प्रश्न :- भारत में लव जिहाद संचालित कैसे होता है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- इसको संचालित करने के लिये पाकिस्तान, या अरब देशों से इनको वहाँ के शेखों द्वारा भारी पैसा आता है जो कि तेल के कुओं के मालिक होते हैं । ये पैसा उनको All India Muslim Scholarship Fund के रूप में दिया जाता है । प्रती माह इन मुस्लिम गुंडों को तैयार किया जाता है और हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिये इनको ₹ 8000 से ₹10000 मासिक वेतन दिया जाता है । तो मस्जिदों में किसी मुहल्ले के सभी मुसलमानों की मीटिंग रखी जाती है । जिसमें भाग लेने वाले अमीर से लेकर गरीब तबके के लोग आते हैं, जिसमें रेड़ीवाला, शॉल बेचने वाले कशमीरी पठान, घरों में काम करने वाले, नाई, चमार आदि । इनको हिन्दू या सिक्ख ईलाकों में घूम घूम कर ये पता लगाने को कहा जाता है कि किस घर की लड़की जवान हो गई है । तो शाल बेचने वाले पठान ये नज़र रखते हैं । और फिर ये लड़कियों की लिस्ट बनाई जाती है और जिहादी गुंडे जो कि दिखने में हट्टे कट्टे हों उनको तैयार किया जाता है, मोटर साईकलें खरीद कर दी जाती हैं । जिनको मस्जिदों में रखा जाता है । तो ये युवक अपनी कलाईयों पर मौलीयाँ बाँध कर निकल अपने नाम बदल कर हिन्दू नाम रख लेते हैं और इन लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । और अगर कोई लड़की दो सप्ताह के भीतर नहीं फंसती तो फिर ये उसे छोड़ कर लिस्ट की दूसरी लड़की पर अपने जिहाद को आज़माने के लिये निकल पड़ते हैं । तो ऐसे ही पूरे मोहल्ले में से कोई न कोई लड़की लव जिहाद का शिकार हो ही जाती है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
दूसरा तरीका ये है कि social networking sites जैसे कि faceook आदि पर ये लोग नकली Id या फिर अपनी असली Id से ही हिन्दू लड़कियों को request भेजते हैं । और जैसे कि इनकी training होती है वैसे ही ये लोग इन लड़कियों को फाँसने के लिये तरह तरह के message भेजते हैं । और वे लड़कियाँ इनके मोह जाल कसं फँसकर अपना सब कुछ गंवा देती हैं ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(7) प्रश्न :- क्या इसके सिवा और भी तरीके हैं लव जिहाद करने के या यही हैं ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- बहुत से हैं सभी के बारे में जान पाना तो बेहद कठिन है पर कुछ और बताते हैं । ये मुस्लिम जिहादी गुंडे</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
स्कूलों कालेजों के चक्कर लगाते रहते हैं । और लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । या फिर स्कूलों में पढ़ने वाले मुस्लिम युवक अपनी मुस्लिम सहेलीयों की सहायता से उनकी हिन्दू सहेलियों से दोस्ती करते हैं और धीरे धीरे अपनी कारवाईयाँ शुरू कर देते हैं । या फिर कालेजों और स्कूलों के आगे मोबाईल की दुकानें मुसलमानों के द्वारा खोली जाती हैं । जिसमें जब हिन्दू, बौद्ध या जैन आदि लड़कियाँ फोन रिचार्ज करवाने जाती हैं, तो उनके नम्बरों को ये गलत इस्तेमाल करके आगे जिहादीयों को बाँट देते हैं । जिससे कि वे लोग गंदे गंदे अश्लील मैसेज भेजते हैं । पहले तो ये लड़तियाँ उसकी उपेक्षा करती हैं पर लगातार आने वाले मैसेजों को वे ज्यादा समय तक टाल नहीं पातीं । जिससे कि वो कामुक बातों में फँस कर अपना आपा खो देती हैं और अपना सर्वस्व जिहादीयों को सौंप देती हैं । और ये सब यूँ ही नहीं होता है । इन जिहादियों को ये सब करने की training दी जाती है कि किस प्रकार से लड़की कि मानसिक्ता को समझ कर उसे कैसे फाँसना है । तो ऐसे ही छोटे मोटो और भी तरीके हैं, परन्तु मुख्य यही हैं ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(8) प्रश्न :- ये लव जिहाद की कुछ उदाहरणें दीजीये ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- बड़ी बड़ी उदाहरणें आपके सम्मुख हैं :- Bollywood मायानगरी में मुसलमान अभिनेताओं की केवल हिन्दू पत्नियाँ ही क्यों होती हैं ? शाहरुख खान, आमीर खान, फरदीन खान, सुहैल खान, अरबाज़ खान, सैफ अली खान, साजिद खान आदि कितने ही नाम हैं जिनकी शादियाँ हिन्दू लड़कियों से ही हुई हैं । इनमें से किसी को भी मुसलमान लड़कियाँ क्यों नहीं पसंद आईं ? आमिर खान, और सैफ अली खान की शादी तो एक की बजाये दो दो हिन्दू लड़कियों से हुई । और इन्हीं को आदर्श मान कर हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के चंगुल में फँस कर अपनी अस्मिता खो देती हैं । एक फिलम आई थी जिसमें अभिषेक बच्चन का नाम आफताब होता है और वो अजय देवगण की बहन का किरदार निभा रही प्राची देसाई से प्रेम करता है । तो अजय देवगण उसे रोकता है तो वो नीच लड़की सैफ और शाहरुख आदि का उदाहरण देती है और उनको अपना आदर्श स्विकार करती है । तो ये देख कर हिन्दू लड़कियों के मनों पर क्या प्रभाव पड़ता है ज़रा सोचिये । तो ऐसे ही इन लड़कियों को परिणाम की पर्वाह नहीं होती और इनको हर जिहादी सलमान या शाहरूख ही दिखता है । और अपना जीवन बर्बाद कर देती हैं ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(9) प्रश्न :- ये सब करके इन मुसलमानों को मिलता क्या है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- इनको ये सब करने के लिये मासिक वेतन और भारी ईनाम मिलता है । दूसरा कारण है मज़हबी जुनून क्योंकि ईस्लाम की शिक्षा ही नफरत और कत्ल की बुनियाद पर टिकी है और मस्जिद के मौल्वीयों के द्वारा झूठी मुहम्मदी जन्नत का लालच दिया जाना । वो कहते हैं कि अगर कम से कम एक हिन्दू लड़की से शादी करो और बदले में सातवें आस्मान की जन्नत पाओ । तो चाहे वो जिहाद काफिरों की खेती को समाप्त करने का ही क्यों न हो इनके अरबी अल्लाह ने इनके लिये जन्नत तैय्यार रखी है । जिसमें फिर एक एक मुसलमान 72 पाक साफ औरतों का आनंद लेता है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ईस्लाम में वैसे बहुत प्रकार के जिहाद हैं पर सबसे मुख्य दो प्रकार के जिहाद हैं :-</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
जिहाद ए अकबर ( बड़ा जिहाद )</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
जिहाद ए असगर ( छोटा जिहाद )</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ये लव जिहाद जो है, वो जिहाद ए अकबर का ही एक बड़ा स्वरूप है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(10) प्रश्न :- ये लव जिहादीयों को हिन्दू लड़की से शादी करने या नापाक करने का क्या ईनाम मिलता है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- ये निम्न लिखित ईनाम गैर मुसलमान लड़कियों को फँसाने के लिये घोषित किया है :-</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
सिक्ख लड़की = 9 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
पंजाबी हिन्दू लड़की = 8 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
हिन्दू ब्राह्मण लड़की = 7 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
हिन्दू क्षत्रीय लड़की = 6 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
हिन्दू वैश लड़की = 5 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
हिन्दू दलित लड़की = 2 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
हिन्दू जैन लड़की = 4 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
बौद्ध लड़की = 4.2 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ईसाई कैथोलिक लड़की = 3.5 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ईसाई प्रोटैस्टैंट लड़की = 3.2 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
शिया मुसलमान लड़की= 4 लाख</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ईनाम इनसे थोड़ा कम या अधिक हो सकता है पर ज्यादा भेद नहीं है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(11) प्रश्न :- ये लव जिहाद के ईनाम की घोषणा और संचालन कहाँ से होता है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- केरल का मालाबार ही इसका मुख्य संचालन स्थान है । परन्तु अब उसकी शाखायें पूरे भारत में फैल गई हैं । क्योंकि केरल में ही लव जिहाद के 5000 से अधिक मामले कोर्ट के सामने आये हैं । तो पूरे भारत में कितने ही ऐसे मामले होंगे ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(12) प्रश्न :- क्या लव जिहाद में केवल हिन्दू लड़कियों को ही लक्ष्य किया जाता है या अन्य को भी ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- भारत में हिन्दू बहुसंख्यक हैं जिस कारण पहला लक्ष्य हिन्दू लड़कियाँ ही होती हैं । परन्तु इससे अतिरिक्त दूसरे मत ( बौद्ध, जैन, वाल्मिकी, सिक्ख, ईसाई ) की लड़कियाँ भी लक्ष्य की जाती हैं, क्योंकि ईस्लाम की विचारधार बहुत ही कुंठित और संकुचित है जिसमें कि दूसरे मत पंथों के विरुद्ध उग्र घृणा का भाव विद्यमान है, और स्त्रीयों को तो ईस्लाम जानवरों से भी बदतर समझता है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(13) प्रश्न :- हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद में ही क्यों फंस जाती हैं ? क्या इनमें दिमाग नहीं होता ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :-इसके ये मुख्य कारण हैं :-</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(१) हिन्दू घरों में धार्मिक वातावरण नहीं रखता ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(२) हिन्दू अपने बच्चों को वैिदक मत की श्रेष्ठता और अवैदिक मत की निकृष्टता नहीं बताता ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(३) अपने इतिहास पुरुषों और स्त्रीयों की जीवनीयों और उनके बलिदानों को नहीं बताता।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(४) हिन्दू युवा अपने वीर योद्धायों से इतर बालिवुड के नायकों को अपना आदर्श मानता है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(५) घर में सास बहु के सीरियल चलने से वातावरण और दूषित हो जाता है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(६) हिन्दू अपने बच्चे को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाता है और मुसलमान अपने बच्चे को दूसरों के प्रती नफरत सिखाता है । जिस कारण ये हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान लड़कों से घुलने मिलने में झिझकती नहीं ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(७) फेसबुक पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियों की प्रोफाईल देखेंगे तो उन्होंने धार्मिक पेजों की बजाये, love, tv serials, pyar, ishq, bollywood masala, mickel jakson, shahrukh ,salman, hritik आदि के पेज लाईक किये होते हैं । और उनकी friend list में मुसलमान युवकों की संख्या बहुत ही पायी जाती है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(14) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को कोई लव जिहाद के बारे में समझाता क्यों नहीं ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- जब आप इनको समझाने लगते हैं तो ये लड़कियाँ नीचे लिखी बातें बोलती हैं :-</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- आप तो नफरत फैलाते हो !!</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- क्यूँ मुस्लिम भी तो ईंसान ही होते हैं ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- तो इसमें क्या बुराई है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- हमको इससे क्या लेना देना ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- हमें सोच बदलनी चाहिये, और इसी जातीवाद को खत्म करके development करनी चाहिये ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- आपकी सोच पिछड़ी हुई है, देखो dude आगे बढ़ो इतनी hate speech मत फैलाओ !!</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- मुस्लिम बनने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि profet mohammad भी तो god ही थे ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- Hey you अपना काम करो mind your own buisness !!</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- You know Dr. Abdul kalam भी मुस्लिम हैं ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
-------- U remember जोधा अकबर की great love story.</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
अभ आप स्वयं जान लीजिये इन हिन्दू लड़कियों की मान्सिक्ता कितनी नीच और घिरी हुई । जिस जाती की स्त्रीयों को अपने पराये का भेद ही नहीं पता, तो वो लव जिहादियों का शिकार न होंगी तो और क्या होगा ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(15) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद के बारे में समझाया कैसे जाये ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- ये कार्य आप अपने ही घर से शुरू करें । जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिशते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये लव जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें । चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे । क्योंकि जब मरीज़ डाक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती । पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है । तो इसी प्रकार ये चर्चा आपकी बहनों के लिये हितकर है । उनके कानों में यह विषय अवश्य ही पहुँचना चाहिये । तो ऐसे में जब भी रेलगाड़ी या बस में बैठे हुए किसी अजनबी से बातचीत शुरू हो ही जाये तो उससे भी जानबूझ कर इस विषय में किसी न किसी बहाने से लव जिहाद की चर्चा छेड़ दें । ताकि वो अपने घर की स्त्रीयों की रक्षा के बारे में सचेत हो जाये । दूसरा मार्ग यह है कि मेरे इस लेख को कम facebook पर हिन्दू लड़कियों के message box में डाल दें । क्योंकि मान लो इस काम को एक राष्ट्रवादी एक दिन में कम से कम 100 लड़कियों के inbox में ये लव जिहाद वाली प्रश्नोत्तरी को copy paste करे तो फिर मान लो ऐसे 100 राष्ट्रवादी हों तो एक दिन में कम से कम 100 x 100 = 10000 अलग अलग हिन्दू लड़कियों के message box में भी ये जानकारी पहुँचेगी । तो अगर उसमें से 5000 लड़कियाँ आपको block कर देती हैं । तो बाकी 5000 में से 2500 इस लेख की उपेक्षा करती हैं । तो 2500 उसको पढ़ेंगी और इनमें से मान लो 1500 लड़कियाँ पढ़ कर भी सहमत नहीं होतीं तो बाकी 1000 उससे सहमत होंगी तो, ये 1000 हिन्दू लड़कियाँ ईस्लामी लव जिहाद से सतर्क हो जायेंगी । तो ऐसे ही 1000 प्रती दिन हिन्दू लड़कियाँ सचेत हों तो एक माह में कितनी होंगी ( 30 x 1000 = 30000 ) प्रतीमाह हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद के बारे में सतर्क रहेंगी और मुसलमान गुंडों से सावधान रहेंगी और अपनी सहेलियों को भी सावधान करेंगी । तो ये बहुत ही कारगर तरीका है और फिर इस लेख को अपनी अपनी profile पर डालें और हिन्दू लड़कियों को इसमें tag करें और कृप्या इसको अधिक से अधिक Share करें ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(16) प्रश्न :- क्या कोई और भी तरीका है लव जिहाद को रोकने का ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- वैसे तो बार बार कहा जा रहा है कि लव जिहाद की जानकारी ही सबसे बड़ी बात है जो कि हिन्दू जनता को नहीं है । जानकारी किसी भी माध्यम से पहुँचायें पर पहुँचायें अवश्य ही, क्योंकि शायद आपकी कोई हिन्दू बहन राक्षसों के चंगुल में फँसने से बच जाये ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(17) प्रश्न :- क्या इस लव जिहाद की कोई एतिहासिक साक्षी भी रही है ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- भारत के मध्य काल में मुगल सेनायें जिस भी हिन्दू घर में चाहें घुस जाते थे । और उनकी बेटीयों या औरतों को उठा ले जाते थे और उनका शील भंग करके फिर से छोड़ जाते थे । तो बहुत से बादशाहों ने तो सुन्दर सुन्दर हिन्दू लड़कियों को टके टके के भावों में भी कसूर, लाहौर या काबुल के बाज़ारों में बेचा था । तो</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
इसके उपरान्त मुहम्मद बिन कासिम जो कि पहला यवन आक्रमणकारी था उसने भी यहाँ भारत से 5 लाख हिन्दू औरतों को अरबी बाज़ारों में ले जा कर बेचा था । और अब वर्तमान की बात करें तो पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य होने से वहाँ हिन्दू, सिक्ख, ईसाई लड़कियों को जबरन बंदूकों की नोक पर उठाया जाता है, जब इनकी लड़कियाँ जवान होती हैं तो वहाँ के पठान और पश्तून इनके पीछे हाथ धो कर पड़ जाते हैं और मौका पाते ही इनका अपहरण कर लेते हैं फिर बलात्कार के बाद इनको मुसलमान बना कर किसी भी अधेड़ उमर के आदमी से या किसी से भी शादी कर दी जाती है । पाकिस्तानी बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में हिन्दुओं और गैर मुसलमानों के प्रती नफरत करने की शिक्षा दी जाती है ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(18) प्रश्न :- लव जिहाद का विषय इतना ही महत्वपूर्ण है तो हिन्दू जनता इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- जानकारी के अभाव के कारण, आलस्य के कारण, या थोथी सैक्युलरिज़म के कारण । हिन्दू की शिक्षा ने ही उसे अधकचरा और सैक्युलर बना दिया है । जिससे की कभी कभी समस्या के पता होने के बावजूद भी वो आँख मूंद कर रहता है । किसी हिन्दू की पहचान करनी हो तो उससे बात करना और वो दो ही शब्द बोलना जानता है, "तुझको क्या ?" या "मुझको क्या ?"। इसी सैक्युलरिज़म के कारण ही ये हिन्दू समाज इतना नपुंसक बन गया है । तो इसको ना अपने धर्म रक्षा की चिंता है, न संस्कृति की चिंता, न देश की चिंता, न अपनी संतानों की नैतिक शिक्षा की चिंता, न अपनी जाती रक्षा की चिंता । बस ये हिन्दू यही रट लगाता है :- " तुझे क्या ? मुझे क्या ? हमको क्या ? तुमको क्या ? हमें क्या लेना ? तुम्हें क्या लेना ? मुझे क्या करना ? तुझे क्या करना ? " इत्यादी ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(19) प्रश्न :- अगर हमारी दृष्टि में कोई हिंदू लड़की लव जिहाद में फँस गई है, तो हमें क्या करना चाहिये ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- अगर तो आप उसे समझा सकते हैं तो समझायें, निसंकोच होकर उसके घर जायें उसके माता पिता से इस बारे में बात चीत करें और उनको लव जिहाद के विषय में विस्तार से बतायें । अगर आप नहीं समझा सकते तो पास ही किसी क्रियाशील संगठन जैसे [ आर्य समाज, स्वयंसेवक संघ, शिव सेना, बजरंग दल ] आदि से सम्पर्क करें और उनको इसकी सूचना दें । अगर आपकी बेटी या बहन इस चक्कर में फँस रही है तो उसे गुस्से या ज़बरदस्ती से न समझायें । क्योंकि ऐसा करने से वो घर छोड़ कर भी भाग सकती है । ऐसी training लव जिहादीयों को मिली होती है कि वो पूरी तरह से इनको सम्मोहित कर लेते हैं कि ये हिन्दू लड़कियाँ घर तक छोड़ने को तैयार हो जाती हैं और भारत में कानून भी यह कहता है कि अगर लड़की बालिग हो तो वो जहाँ चाहे विवाह कर सकती है । तो इसी का लाभ ये मति भ्रष्ट लड़कियाँ उठाती हैं । अपने घरों में धार्मिक वातावरण बनाने के प्रयास करें । ऋषि दयानंद सरस्वति कृत अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भी पढ़ायें जिसमें उन्होंने संसार के मुख्य मत पंथों की वैदिक धर्म से तुल्नात्मक समीक्षा की है । अवैदिक मतों का खण्डन किया है उसका प्रचार करें ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(20) प्रश्न :- क्या लव जिहाद से किसी हिन्दू लड़कियों को बचाया भी गया है या नहीं ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- हाँ निश्चित ही ऐसा हुआ है । हम महाराष्ट्र का उदाहरण देते हैं । सब जानते हैं कि वहाँ बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना सक्रीय है । और वहाँ के रहने वाले मुसलमानों को दबा रखा है, उनके अल्लाह हो अकबर के जुनून को ठंडा किया हुआ है । वहाँ नासिक के किसी Restorant में एक मुसलमान किसी हिन्दू लड़की के साथ बैठा था इसकी भनक शिव सैनिकों को लगी तो वो वहाँ गये और जमकर उस मुसल्ले की धुनाई कर दी और ऐसे ही महाराष्ट्र में मौलवीयों ने फत्वा निकाला हुआ था कि हिन्दू लड़कियों को छेड़ो और जन्नत पाओ । तो शिव सेना ने स्कूलों कालेजों की घेरा बन्दी की हुई है और यदी कोई सरफिरा मजनू वहाँ घूमता हुआ या घात लगाता हुआ पकड़ा जाता तो उसकी पिटाई करके जन्नत के नज़ारे दिखा दिये जाते हैं । इस आन्दोलन का असर हुआ कि महाराष्ट्र में लव जिहाद की घटनाओं में भारी घिरावट आई । तो इसी कारण ये मुसलमान शिव सैनिकों या संघीयों को भगवा आतंकी कहते हैं । और बेचारे कहेंगे भी क्या ? क्योंकि इनके मनसूबों का नाकाम करके इनको आतंकित जो कर रखा है । केरल में संघ ने करीब 171 हिन्दू लड़कियों को बचाया गया है । ऐसे और भी कई मामले हैं । यही कारण है कि ये मुसल्ले सनातन धर्म की रक्षा करनेवाले संगठनो को आतंकवादी संगठन बताते हैं । अरे भाई !! सीधी सी बात है, "जिन्होंने ऐसे दहशतगर्दों को आतंकित कर रखा हो वो आतंकवादी नहीं तो और क्या हैं ?"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
(21) प्रश्न :- अब हम फेसबुक युवाओं को क्या करना चाहिये ?</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
उत्तर :- आप लोग प्रश्न उत्तर नम्बर (15) को समझें और उस पर अमल करें ।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ओ३म् तत् सत् । pls share kare <b>लेखिका Gauri Rai</b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
===========</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhFg-IVVWtC9t9Sm2jznjwcyDQPNift6o7MHbyY6fg3VooZrlwQuxBmyFueqQLp8T0jw2m4nwg44o_zLkcokCf-wbbJE4tW8NGWjmii98u57CP6WqtHfP1g9dx-iBQpuQEP97txhQi2p_D_/s1600/Love+Jihad+Jagarujta.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhFg-IVVWtC9t9Sm2jznjwcyDQPNift6o7MHbyY6fg3VooZrlwQuxBmyFueqQLp8T0jw2m4nwg44o_zLkcokCf-wbbJE4tW8NGWjmii98u57CP6WqtHfP1g9dx-iBQpuQEP97txhQi2p_D_/s320/Love+Jihad+Jagarujta.jpg" width="248" /></a></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
महिला स्वातंत्र्य को अबाधित रखते हुए प्रत्येक माता-भगिनियों अपनी बहन-भाभी-मां-मौसी के अनुभव के साथ मित्रता बनाकर किसी को साथ लेकर ही निकलने का समय आया है। मोबाईल जितना प्रगत तंत्र अपनों के साथ संपर्क बनाएं रखने के लिए होता है। मात्र <b>आपका नंबर आपकी सहेलियां सार्वजनिक कराती है या अपने भाईजानो से मिलवाती है या जहां आप मोबाईल रिचार्ज करवाती है वहां से आपका नंबर सार्वजनिक हो सकता है।</b> युवती को अपने कुल और शील की रक्षा के लिए अपनी मां-बहन-मौसी-भाभी को विश्वास में लेकर वो सब कहना-विचारणा करनी चाहिए जो,विवाहिता मार्गदर्शन कर सकती है।<b> मां को अपनी बेटी के प्रेम में फंसने की सर्व प्रथम आशंका होनी चाहिए तथा जल्द विवाह कर देना चाहिए। </b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b>प्रत्येक मनुष्य स्त्री-पुरुष को लिंग और जिव्हा पर नियंत्रण रखना "कलियुग" में आव्हान है। </b></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj05xFOaavYf2ruOzfJ2z8EKjJuVDeiba912YSXonBUABBT4jjESKU5RqS1F_77tekVgV1BrRYT_lDVcZsgxB2HhMT3iM6238KnBnYz3yDBLU6wPDYmjr7Gp-U0AYTxUJULpKsldPZg1hJ7/s1600/Love+Jihad+Khatra.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj05xFOaavYf2ruOzfJ2z8EKjJuVDeiba912YSXonBUABBT4jjESKU5RqS1F_77tekVgV1BrRYT_lDVcZsgxB2HhMT3iM6238KnBnYz3yDBLU6wPDYmjr7Gp-U0AYTxUJULpKsldPZg1hJ7/s320/Love+Jihad+Khatra.jpg" width="308" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPBjQM6OyL4hBzyqMWd1JmkakqQ3VpKSkn7F5fccLZpgfy-4YCrnDwJpQG3yTy5COcwIEQLQzuUfkWyu4HBVWg-rvcXBfS-OjUyDnGRKSgcmxxz4uQc84D5z_4X9R4q4JLREVODFPiutuk/s1600/Love+Jihad+Virodhak+Samuh.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="478" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPBjQM6OyL4hBzyqMWd1JmkakqQ3VpKSkn7F5fccLZpgfy-4YCrnDwJpQG3yTy5COcwIEQLQzuUfkWyu4HBVWg-rvcXBfS-OjUyDnGRKSgcmxxz4uQc84D5z_4X9R4q4JLREVODFPiutuk/s640/Love+Jihad+Virodhak+Samuh.jpg" width="640" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b><br /></b></div>
</div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-79842857977065491402016-03-16T21:22:00.001-07:002016-03-16T21:22:23.314-07:00हिन्दू वह है जो,भारत में प्रादुर्भूत धर्म में आस्था रखता है !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjbwHqdNYzZc3HaLE2Gpm9ihJfKSflEYwCxF3xFfxoRFTmPwcp2aYGj_HOQ-cBBDHBu8HOua2-xKS-6qqP1Jgn8yQbQmrm_sX1ToCkDv5tOI8y50nAcSFyz1uF2TDT0pgov7fnlkV1sFL_R/s1600/Savarkar+Aartical+Gurumurti.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjbwHqdNYzZc3HaLE2Gpm9ihJfKSflEYwCxF3xFfxoRFTmPwcp2aYGj_HOQ-cBBDHBu8HOua2-xKS-6qqP1Jgn8yQbQmrm_sX1ToCkDv5tOI8y50nAcSFyz1uF2TDT0pgov7fnlkV1sFL_R/s640/Savarkar+Aartical+Gurumurti.jpg" width="526" /></a></div>
<br />
"हिन्दू" शब्द की उत्पत्ति<br />
<br />
हिंदू शब्द भारतीय विद्वानों के अनुसार ४००० वर्ष से भी पुराना है।<br />
शब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है ,में मन्त्र- "हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:"<br />
अर्थात हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है।<br />
<br />
इसी प्रकार "अदभुत कोष" में मन्त्र है, "हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने"।<br />
अर्थात हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।<br />
<br />
वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी)में मन्त्र,"हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:। वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्। "<br />
अर्थात जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।<br />
<br />
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं।तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।<br />
अर्थात हिमालय पर्वत से लेकर इंदु(हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस क्षेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।<br />
<br />
पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन अवेस्ता ग्रन्थ में लिखा है कि,<br />
"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।<br />
अर्थात व्यास नमक एक ब्राह्मण हिंद से आया जिसके बराबर कोई बुध्दिमान नही था।<br />
<br />
इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद साहब से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,............................<br />
<br />
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥<br />
अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है।<br />
<br />
उरूल उकुल काव्य संग्रह के पृष्ठ २३५ पर उमर बिन हश्शाम लिखते है,<br />
"व सहबी के याम फिम कामिल हिन्दे मौमन यकुलून न लाजह जन फइन्नक तवज्जरू"<br />
अर्थात-हे प्रभो,मेरा संपुर्ण जीवन आप ले लो परंतु,एकही दिन क्यों न हो मुझे हिन्दुस्थान में अधिवास मिलने दो। क्योकि,वहां पहुंचकर ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ती हो सकती है।<br />
<br />
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।<br />
महाकवि चन्द्र बरदाई....................जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।<br />
<br />
जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है की हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है।<br />
इन हजारों तथ्यों के अलावा भी लाखों तथ्य इस्लाम के लूटेरों ने तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों को नष्ट करके समाप्त कर दिए है।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgUgjV6FxsIH6n94wHSwFrG_H8O49WYF8Zt0saHAHw6gDlAj3yHU4gOn7mNdwl5YpSkNrZk4QZuCTfsOyZLduc9HQ8iq5Z_4wqcpglAGJdzgdBRTyO6cRwhIPmk_4LUzIy5PP2S526hPyOE/s1600/Hindu+Sutra.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgUgjV6FxsIH6n94wHSwFrG_H8O49WYF8Zt0saHAHw6gDlAj3yHU4gOn7mNdwl5YpSkNrZk4QZuCTfsOyZLduc9HQ8iq5Z_4wqcpglAGJdzgdBRTyO6cRwhIPmk_4LUzIy5PP2S526hPyOE/s320/Hindu+Sutra.jpg" width="226" /></a></div>
<br />
मात्र श्री मोहनराव भागवतजी के पूर्व द्वितीय सरसंघ चालक महोदय ने इसका ज्ञान होते हुए भी सावरकर जिन्होंने<br />
"आसिंधुसिंधु पर्यन्ता यस्य भरतभूमिका। पितृभूः पूण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितिस्मृतः ।।" बनाई<br />
इस आख्या को आद्य सरसंघ चालक ने भी स्वीकार किया था उसे नकारा।<br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;"> ऐसे में श्री मोहनराव भागवतजी के विहिंप ५० स्थापना वर्ष दिवस पर जो,"हजम करने के वक्तव्य दिए है" वह केवल हिन्दू आत्मघाती इतिहास की उद्घोषणा होगी ? </span><br />
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<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;"><br /></span></div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-86800837237683255542015-12-14T10:53:00.001-08:002016-07-24T08:23:11.469-07:00जन्नत में कुंवारी और सुन्दर 72 हूरें,गिलमा का क्या काम है ? कुरान-हदीस की समीक्षा-तुर्की सरकार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLGPwk6Mg8Ks9Rir2uYDZ1sLZdjO9_slZfJuG9UVHYf2DQ6X-unZ5buOjt8aT1UYVYUAYu4T1Tpqjj6j4u5twWi0rbVyXAkff8X_jwmVpWCpQaE8zjg4S2yjdgM6D2tM0oU3vb7QVTcAvm/s1600/Quran+Granth.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="213" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLGPwk6Mg8Ks9Rir2uYDZ1sLZdjO9_slZfJuG9UVHYf2DQ6X-unZ5buOjt8aT1UYVYUAYu4T1Tpqjj6j4u5twWi0rbVyXAkff8X_jwmVpWCpQaE8zjg4S2yjdgM6D2tM0oU3vb7QVTcAvm/s320/Quran+Granth.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
<b>कुरान में मुसलमानों से वादा किया गया है कि मरने के बाद उनको जन्नत में कुंवारी और सुन्दर 72 हूरें दी जाएँगी .और साथ में सुन्दर अल्पायु के लडके भी दिए जायेंगे</b> जिन्हें "गिलमा " कहा जाता .क्योंकि मुसलमान लड़कों के भी शौक़ीन होते हैं .वह जन्नत में जाये बिना ही यहीं अपनी इच्छा पूरी करते आये हैं .इसी के बारे में जानकारी दी जा रही है<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghv2ws0OsVkxi5Shtboi8F_fO2UQ8tq47veFzQwDiLkHdhTNjQndlRl0BbvM86wqpjmKfiBed64M5DpI16ZMZmmhRQ5muFi1kdOQ4n0P5SWqj12QMSBmAqg-RLWLj14_33lbwwuE-NMDzQ/s1600/Islam+Homosex.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="170" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghv2ws0OsVkxi5Shtboi8F_fO2UQ8tq47veFzQwDiLkHdhTNjQndlRl0BbvM86wqpjmKfiBed64M5DpI16ZMZmmhRQ5muFi1kdOQ4n0P5SWqj12QMSBmAqg-RLWLj14_33lbwwuE-NMDzQ/s320/Islam+Homosex.jpg" width="320" /></a></div>
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.<br />
यदि कोई व्यक्ति दुर्भावना रहित निष्पक्ष रूप से इस्लामी साहित्य ,मुस्लिम शासकों का इतिहास और मुसलमानों आचार विचार का गंभीर अध्यन करने पर आसानी से इस बात का निष्कर्ष निकला जा सकता ,कि है हरेक कुकर्म और अपराध का सम्बन्ध इसी गलत धार्मिक शिक्षा से है .ऐसा ही एक दुर्गुण है जो इस्लाम के साथ ही सम्पूर्ण विश्व में फ़ैल गया है ,जिसको समलैंगिकता <b>(Homo sexuality )</b> भी कहते हैं .और दूसरा दुर्गुण अफगानिस्तान ,पाकिस्तान और में मौजूद है जिसे "बच्चा बाजी " कहा जाता है .इसी तरह भारत में हिजड़ों कि प्रथा भी मुस्लिम शासक ही लाये थे .जिनको "मुखन्निस(Arabic مخنثون "effeminate ones") कहते हैं .यह ऐसे लडके या पुरुष होते हैं ,जिनका पुरुषांग काट दिया जाता ताकि वह स्त्री जैसे दिखें .और जब वह हरम में काम करें तो वहां की औरतोंसे कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं बना सकें .समलैंगिकता इस्लाम से पूर्व और इस्लाम के बाद भी किसी न किसी रूप से मुस्लिम देशों में मौजूद है .इसके लिए हमें कुरान ,हदीस और इतिहास का सहारा लेना जरुरी है .देखिये -<br />
1-<b>इस्लाम से पूर्व समलैगिकता</b><br />
इस्लाम से पहिले अरब के लोग सुन्दर लड़कों के साथ कुकर्म करते थे ,यह खुद कुरान से साबित होता है ,जो कहती है<br />
"जब हमारे फ़रिश्ते लड़कों के रूप में लूत( एक नबी ) के पास गए ,तो वह उन लड़कों के बारे में चिंतित हो गया .और खुद को बेबस समझाने लगा ,क्योंकि उसकी जाति लोग लडके देखते ही उसके घर की तरफ दौड़े आ रहे थे .क्योंकि वह लोग हनेशा से ऐसा कुकर्म करते रहते थे .लूत ने उन से कहा हे लोगो यह मेरी बेटियां हैं जो लड़कों से अधिक उपयोगी हैं और बिलकुल पाक हैं ,तुम लड़कों से साथ कुकर्म करके मुझे लज्जित नहीं करो .क्या तुम में कोई भला आदमी नहीं है ,वह बोले हमें तेरी बेटियों से कोई मतलब नहीं .तुम तो जानते हो की हमारा असली इरादा क्या है "<br />
सूरा -हूद 11 :77 से 79<br />
"लूत ने कहा तुम अपनी कम वासना की पूर्ति के लिए लड़कियों को छोड़कर लड़कों के पास जाते हो "सूरा-अल आराफ़ 7 :80<br />
<b>2-जन्नत में लडके मिलेंगे</b><br />
आपको यह बात जरुर अजीब लगेगी कि एक तरफ कुरान लड़कों के साथ दुराचार को बुरा कहती है ,और दूसरी तरफ लोगों को जन्नत में सुन्दर लडके मिलने का प्रलोभन देती है .जन्नत के इन लड़को को "गिलामाغِلمانُ " कहा गया है .कुरान में इनका ऐसा वर्णन है .<br />
" और उनके चारों तरफ लड़के घूम रहे होंगे ,वह ऐसे सुन्दर हैं ,जैसे छुपे हुए मोती हों "सूरा -अत तूर 52 :24<br />
"وَيَطُوفُ عَلَيْهِمْ غِلْمَانٌ لَّهُمْ كَأَنَّهُمْ لُؤْلُؤٌ مَّكْنُونٌ" 52:24<br />
"वहां ऐसे किशोर फिर रहे होंगे जिनकी आयु सदा एक सी रहेगी (immortal youths ) सूरा -अल वाकिया 56 :17<br />
इन लड़कों की हकीकत कुरान की इस आयत से पता चलती है ,जो कहती है कि,<br />
"ऐसे पुरुष जो औरतों के लिए अशक्त हों (who lack vigour ) सूरा -नूर 24 :31<br />
बोलचाल की भाषा में हम ऐसे पुरुषों नपुंसक या हिजड़ा (Eunuchs ) कहते हैं . मुस्लिम शासक कई कई औरते रखते थे ,और हरम की रक्षा के लिए हिजड़े रखते थे .जिन्हें "खोजा सरा" कहा जाता था .रसूल की हरम में भी कई औरतें थी .इसके लिए हिजड़ों की जरूरत होती थी .यह बात इन हदीसों से पता चलती है .सभी प्रमाणिक हदीसें हैं .<br />
<b>3-रसूल हिजड़े रखते थे .</b><br />
अपने हरमों में हिजड़ों को रखना इस्लाम की पुरानी परंपरा है .और रसूल के घर में भी हिजड़े रहते थे ,और कभी रसूल खुद हिजड़े खरीदते थे ,जो इन हदीसों और सीरत से पता चलता है ,<br />
"अमीरुल मोमिनीन आयशा ने कहा कि एक हिजड़ा रसूल के पास आता था .और एक दिन जब रसूल घर में घुसे तो उनकी पत्नियाँ औरतों के बारे में चर्चा कर रही थी .कि जब औरत आगे बढाती है तो चार गुनी और पीछे चलती है तो उनका पेट आठ गुना निकलता है .रसूल बोले मुझे इस बात पर विश्वास नहीं ,शायद यह हिजड़ा अधिक जानता हो . तब औरतों ने उस हिजड़े से पर्दा कर लिया .<br />
Narrated Aisha, Ummul Mu'minin: A mukhannath (eunuch) used to enter upon the wives of Prophet . They (the people) counted him among those who were free of physical needs. One day the Prophet entered upon us when he was with one of his wives, and was describing the qualities of a woman, saying: When she comes forward, she comes forward with four (folds in her stomach), and when she goes backward, she goes backward with eight (folds in her stomach). The Prophet said: Do I not see that this (man) knows what here lies. Then they (the wives) observed veil from him.<br />
Sunan Abu-Dawud, Book 32, Number 4095:<br />
<b>4-रसूल ने हिजड़ा ख़रीदा</b><br />
अरब में इस्लामी कल में गुलामों का बाजार लगता था ,और एक दिन जब रसूल गुलाम खरीदने गए तो उन्हें एक हिजड़ा मिला जिस का वर्णन सीरत ( मुहम्मद की जीवनी ) में इस तरह मिलता है<br />
"एक बार रसूल बाजार गए तो उनको वहां "जाहिर "(एक हिजड़ा ) मिल गया ,जिसे रसूल पसंद करते थे .तभी रसूल ने जाहिर को पीछे से आकार पकड़ लिया .जाहिर बोला मुझे छोडो ,तुम कौन हो ,रसूल बोले मैं गुलामों का व्यापारी हूँ ,यानि गुलाम खरीदने वाला हूँ .जब जाहिर को पता चला कि यह रसूल हैं ,तो वह रसूल कि छाती से और जोर से चिपट गया "<br />
One day, Muhammad went to the market, there he found Zahir, whom he liked, so he hugged him from behind. Zahir said: let go of me, who are you? Muhammad told him: I'm the slave trader (literally, I'm the one who buys the slaves), and refused to let go of him so when Zahir knew it was Muhammad, he drew (stuck) his back closer to Muhammad's chest.<br />
فى يوم خرج محمد إلى السوق فوجد زاهرا وكان يحبه فأحتضنه من الخلف<br />
فقال له زاهر اطلقنى من انت؟ فقال له محمد انا من يشترى العبيد ورفض ان<br />
يطلقه فلما عرف زاهر أنه محمد صار يمكن ظهره من صدر محمد<br />
السيرة الحلبية ج 3 ص 441 وفتحي رضوان في (الثائر الأعظم) ص 140<br />
Al Seera Al Halabya (Muhammad's Biography) by Al Halabya, volume 3, p. 441 and Fathy Rdwan in his book Al Tha'er al A'azam (The greatest rebel)<br />
<b>5-गुलाम लड़कों का काम</b><br />
गुलाम लड़कों (slave boys ) यानी गिलमा से कई तरह के काम कराये जाते है ,जिनमे एक के बारे में इस हदीस में लिखा है ,<br />
"अनस बिन मलिक ने कहा कि जब भी रसूल शौच के लिए जाते थे ,तो मैं उनके साथ रहता था .और मदद के लिए एक लड़का पानी से भरा बर्तन रखता था .ताकि वह पानी से रसूल के गुप्त अंगों को धो सके "<br />
"وروى أنس بن مالك :<br />
كلما رسول الله ذهب للرد على المكالمة من الطبيعة، وأنا مع صبي آخر يستخدم لمرافقته مع بهلوان كامل من الماء. (وعلق هشام "، حتى انه قد غسل فرجه معها".)<br />
Narrated Anas bin Malik:<br />
Whenever Allah's Apostle went to answer the call of nature, I along with another boy used to accompany him with a tumbler full of water. (Hisham commented, "So that he might wash his private parts with it.")<br />
(Sahih Al-Bukhari, Volume 1, Book 4, Number 152; see also Numbers 153-154<br />
<b>6-बच्चा बाजी</b><br />
बच्चा बाजी(Pederasty) ,यह इस्लाम का एक मनोरजन है ,इसमे छोटे छोटे लड़कों या तो खरीद कर या अगवा करके उठाव लिया जाता है .फिर उनको लड़कियों के कपडे पहिना कर नाच कराया जाता है .और नाच के बाद उनके साथ कुकर्म किया जाता है .कभी कभी ऐसे लड़कों को खस्सी करके (Castrated ) हिजड़ा बना दिया जाता है .यह इस्लामी परम्परा अफगानिस्तान ,सरहदी पाकिस्तान में अधिक है .इस कुकर्म के लिए 9 से 14 साल के लड़को को लिया जाता है .अफगानिस्तान में गरीबी और अशिक्षा अधिक होने के कारण वह आदर्श इस्लामी देश है .इसलिए वहां बच्चा बाजी एक जायज मनोरंजन है .विकी पीडिया में इसका पूरा हवाला मिल सकता है ,इसकी लिंक दी जा रही है .<br />
http://en.wikipedia.org/wiki/Bacha_Bazi<br />
<br />
<b>अधिक जानकारी के लिए यू ट्यूब से एक लिंक दी जा रही है ,</b><br />
Homosexual Pedophilia in Afghanistan: Bacha Bazi<br />
http://www.youtube.com/watch?v=P1BNeXTLHoY<br />
<br />
<b>7-मुस्लिम शासकों ने हिजड़े बनाये</b><br />
अरब लोगों में गिलमा यानी Salve Boys रखने की पहुत पुरानी परम्परा है .इसे इज्जतदार होने की निशानी समझा जाता था .अमीर उन गिलमा लड़कों के साथ कुकर्म किया करते थे .कुरान में गिलमा के बारे में सुन्दर लडके कहा गया है .लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि गिलमा लडके हिजड़े होते हैं ,जिन्हें कम आयु में ही Castrated करके हिजड़ा बना दिया जाता है .इसके बारे में प्रमाणिक और विस्तृत जानकारी खलीफा अल रशीद और खलीफा अल अमीन के इतिहास से मिलती है .जिसे सन 1948 में लन्दन से प्रकाशित किया गया था किताब का नाम<b> "Hitti PK (1948) The Arabs : A Short History, Macmillan, London, p. 99 </b>उसी से यह अंश लिए जा रहे हैं .दसवीं सदी ने खलीफा अल मुकतदिर (908 -937 ) ने बगदाद में अपने हरम में रखने के लिए 11 हजार लड़कों को हिजड़ा बनवाया ,जिनमे 7 हजार हब्शी और 4 हजार लडके ईसाई थे .( पेज 174 -175 ) इसका एक उद्देश्य तो उनके साथ कुकर्म करना था .और दूसरा उदेश्य पराजित लोगों को अपमानित करना भी था .<br />
बाद में यही काम भारत में आनेवाले हमलावर मुस्लिम शासकों ने भी किया ,जैसे जब बख्तियार खिलजी ने बंगाल पर हमला किया था ,तो उसने बड़े पैमाने पर 8 से 10 साल के हिन्दू बच्चों को हिजड़ा बना दिया था .बाद में मुगलों कि हुकूमत में (1526 -1799 ) में भी हिजड़े बनाए जाते रहे .इसका वर्णन <b>"आईने अकबरी :</b> में भी मिलता है .इसमे लिखा है अकबर ने 1659 में करीब 22 हजार राजपूत बच्चों को हिजड़ा बनवाया .बाद में जहाँगीर ने और औरंगजेब ने भी इस परंपरा को चालू रखा .ताकि हिन्दू वंशहीन हो जाएँ .इस से पहले सुल्तान अला उद्दीन खिलजी ने 50 हजार और मुहम्मद तुगकक ने 20 हजार और इतने ही फिरिज तुगलक ने भी हिजड़े बनवाये थे .<br />
यहांतक कुछ ऐसे भी हिजड़े थे जो दिल्ली के बादशाह के सेनापति भी बने ,जैसे अल उद्दीन का सेनापति "मालिक काफूर " हिजड़ा था .और कुतुबुद्दीन का सेनापति "खुसरू खान " भी हिजड़ा ही था .महमूद गजनवी और उसके हिजड़े गुलाम के "गिलमा बाजी" (homo sexual ) प्रेम यानि कुकर्म (Sodomy ) को इकबाल जैसे शायर ने भी आदर्श बताया है .क्योंकि यह कुरान और इस्लाम के अनुकूल है ? क्या कुरान-हदीस में इस लेखन को समाविष्ट किया गया है ? क्या तुर्की सरकार ने इसलिए पांच धर्माचार्यो की समीक्षा समिती गठित की है ?<b>(नोट -लेख का अंतिम भाग सारांश रूप में है ,पूरा विवरण अंग्रेजी में दी गयी साईट में देखें )</b><br />
सभी देशभक्त और धर्मप्रेमी ,किसी प्रकार के झूठे प्रचार में नहीं फंसें .इस्लाम को ठीक से समझें .आने वाले खतरों से सचेत होकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो ! संविधान विरोधी धार्मिक आज्ञा के अनुसार कमलेश को इनाम लगाकर मारने घोषणा पर सरकार कोई ऐक्शन नहीं लेगी तो,देश का हिन्दू जाती-पंथ-भाषा-दलगत राजनीती त्यागकर राष्ट्र संस्कृती विरोधियोंको पाकिस्तान की सीमा तक छोड़ने आएंगे !<br />
<i>http://islamic-slavery.blogspot.com/</i><br />
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<i>http://www.faithfreedom.org/…/islamic-slavery-part-10-sex-</i></div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com33tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-28844267825981088722015-05-22T12:48:00.000-07:002015-05-22T12:48:20.781-07:00मीम पार्टी चा राष्ट्रद्रोही ओवैसी,राष्ट्रध्वजा वरील धर्मचक्र काढून चांदतारा लावतोय.<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
७ ओगस्ट १९९४ लंडन,"विश्व इस्लामी संमेलन" संपन्न झाले."वेटिकनच्या धर्मसत्ता पध्दतीच्या आधारावर "निजाम का खलीफा"ची स्थापना आणि इस्लामी राष्ट्रांचे एकीकरण या प्रस्तावावर सहमत झाले !" संदर्भ २६ ओगस्ट १९९४ दैनिक अमर उजाला लेखक शमशाद इलाही अंसारी<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiadGNEmY_24kXQDi_pRBk2lFDoeVVsrfGNtXVSBaNNAOKn6D8luAAaijiS3dnpYfxoq_ZMa47j4Nq29tPQAa1i-zcoykmQa3zzzc934xx4PBnhYvMqtqwILATQ4fgLH8XJxqvowD91ob6y/s1600/Owaisi+with+Hijbullah+Comander.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiadGNEmY_24kXQDi_pRBk2lFDoeVVsrfGNtXVSBaNNAOKn6D8luAAaijiS3dnpYfxoq_ZMa47j4Nq29tPQAa1i-zcoykmQa3zzzc934xx4PBnhYvMqtqwILATQ4fgLH8XJxqvowD91ob6y/s1600/Owaisi+with+Hijbullah+Comander.jpg" /></a></div>
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केम्ब्रिज विद्यालय लंडन मध्ये प्रा.चौधरी रहमत अली याने १९३३ मध्ये "मुस्लिम ब्रदर हुड" हि अलगाववादीच नाही तर,अखंड पाकिस्तानवादी / विश्व इस्लामवादी पाया रोवला. जिन्नाह ने २६ मार्च १९४० लाहोर अधिवेशनात स्वीकार केलं कि,त्याच्या योजनेनुसार १० मुस्लिम राज्य बनवून ब्रिटीश इंडिया ला " दिनिया " बनवायचे आहे. राजस्थान मध्ये मुईनिस्तान, दक्खन मध्ये उस्मानिस्तान,मोपिलास्तान आदि अन्य मुस्लिम राज्यांची गुप्त योजना त्याच्या डोक्यात होती. संविधान सभेत मुस्लिम लीग चे पूर्वाश्रमीचे कांग्रेसी नेता चौ.खली कुज्जमा याने तर लाहोर जनसभेत म्हटलंय कि, " मुसलमानों के भाग्य में समस्त भारत का शासन करना लिखा है ! पाकिस्तान, मुसलमानों की अंतिम मांग नहीं है.किन्तु, वह तो समस्त इस्लामी जगत को एक महान राष्ट्र बनाने के लिए पहला कदम है !"<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhV-bkjWUyms38lqY5IKsYfopqsxbyJAJbaHKBzdKf9tfT7RV2xDH6J2Eosbz_xhDplMZYBUH2RS2YEKYfeCV5WJAh0uciPaItYL0lNxAxpfYzjeorTNwXTcw_1KE_4JpdESMTFyHi0YvSH/s1600/Dr.Aambedkar+Pakistan+Virodh+M..jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="160" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhV-bkjWUyms38lqY5IKsYfopqsxbyJAJbaHKBzdKf9tfT7RV2xDH6J2Eosbz_xhDplMZYBUH2RS2YEKYfeCV5WJAh0uciPaItYL0lNxAxpfYzjeorTNwXTcw_1KE_4JpdESMTFyHi0YvSH/s320/Dr.Aambedkar+Pakistan+Virodh+M..jpg" width="320" /></a></div>
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अल्पसंख्या २७% या आधारपर ३३% भू भागाचा स्वतंत्र देश मागणार्या मुसलमानांना पूर्णपणे पाकिस्तानात नि पाकिस्तानातील हिंदूंना शेष भारतात आणण्याची अदलाबदलीचा डॉक्टर आंबेडकर-लियाकत अली समझौता झाल्यानंतर नेहरूंनी त्याला केराच्या टोपलीत फेकले. त्यानंतर ,२६ ऑक्टोबर १९४७ ला ६६७ राष्ट्रिय मुसलमानांनी पंतप्रधान नेहरूची भेट घेवून पाकिस्तान समर्थक मुसलमानांना निष्कासित करण्याची मागणी केली होती.तरीही मुसलमान आश्रयार्थींना मतदार बनवून ठेवण्याची नेहरू-गाझीची अखंड पाकिस्तान ची कुटनिती कशी फलीभूत होत गेली ?<br />
लाहोर मधून प्रकाशित मुस्लिम पत्र 'लिजट' मध्ये अलीगढ मुस्लिम विद्यालय प्रा.कमरुद्दीन खान चे एक पत्र विभाजानोत्तर प्रकाशित झालं होत.त्याचा उल्लेख पुणे येथील दैनिक ' मराठा ' आणि दिल्ली मधील "ओर्गनायजर" नी २१ ओगस्ट १९४७ ला प्रकाशित केलं होत.धार्मिक अल्प्संख्यांकतेच्या जनसंख्येच्या प्रमाणात अखंड भारत भौगोलिक विभाजना नंतर देखील शेष भारतावर देखील मुसलमानांची कशी गिधाड दृष्टी होती याचा उल्लेख त्यात आहे.<br />
कमरुद्दीन खानची योजना,"या घटने नंतर ही नग्न स्वरूप प्रकट आहे की ५ करोड़ मुसलमान ज्यांना पाकिस्तान बनल्यावर देखील इथे राहण्यास विवश केलंय,त्यांना आपल्या आझादी साठी एक दुसरी लढाई लढावी लागणार आहे.आणि हा संघर्ष जेव्हा सुरु होईल तेव्हा स्पष्ट होईल कि,शेष भारताच्या पूर्वी आणी पश्चिमी सीमा प्रांतांत पाकिस्तान ची भौगोलिक आणी राजनितिक स्थिति आमच्यासाठी हिताची होईल यात संशय नाही.या उद्देश्यपुर्ती साठी जगभरातील मुसलमानांचे सहकार्य प्राप्त केले जाऊ शकते.यासाठी चार उपाय करावे लागतील.<br />
१) हिंदूंच्या वर्ण व्यवस्था,या कमजोरीचा फायदा उचलून ५ करोड़ अस्पृश्यांना हाजम (धर्मांतरित) करून मुसलमानांची जनसंख्या वाढविणे.<br />
२) हिन्दू बहुल प्रांतांतील राजकीय महत्वाच्या जागी मुसलमान आपली आबादी केन्द्रीभूत करील. उदाहरण, संयुक्त प्रान्त (उ प्र) मुसलमान पश्चिम भागात अधिक संख्येने येवून तिथे मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनवू शकतात.(खासदार इम्रान मसूद ने आपण ४२% आहोत ! असे म्हटलंय.) बिहार मधील मुसलमान पुर्णिया मध्ये केन्द्रित होवून मग पूर्वी पाकिस्तानात समाविष्ट होतील. <br />
३) पाकिस्तान शी निकटतम संपर्क बनवून त्यांच्या निर्देशानुसार कार्य करणे.<br />
४) अलीगढ मुस्लिम विद्यालय AMU सारख्या मुस्लिम संस्था जग भरातील मुसलमानांसाठी मुस्लिम हिताचे केंद्र बनवले जावे.संभाजीनगर येथे असे केंद्र स्थापित करण्याचा प्रयत्न झाला होता.<br />
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१८ ऑक्टोबर १९४७ दैनिक नवभारत मध्ये एक लेख प्रकाशित झाला होता," विभाजन के बाद भी पाकिस्तान सरकार और उसके एजंट भारत में प्रजातंत्र को दुर्बल बनाने तथा उसमे स्थान स्थान पर छोटे छोटे पाकिस्तान खड़े करने के लिए जो षड्यंत्र कर रहे है उसका उदाहरण जूनागढ़,हैदराबाद और कश्मीर बनाये जा रहे है।"<br />
डा.आंबेडकरजी यांची भूमिका :- मराठवाडा आणी हैदराबाद संस्थान अश्या निजामिस्तान चा पूर्वास्पृश्य वर्ग निर्धनता आणि दुसरीकडे निजामी अत्याचार-धर्मांतरण अश्या जात्यात भरडला जात होता.त्यासाठी निजामाने दोन करोड चा फंड बनवला होता.वेगळ्या राज्यासाठी आपल्या प्रधान करवी "मीम पार्टी" बनविणार्या निजाम मीर उस्मान अली खान ने डा.बाबासाहब आंबेडकर यांना २५ करोड ची लालच दाखवून इस्लाम स्वीकारण्याचा प्रस्ताव पाठवला होता.जर पूर्वास्पृश्य इस्लाम चा स्वीकार करणार असतील तर त्यांना उच्च पदावर नियुक्त केले जाईल.वगैरे आमिष दाखवली होती. डॉक्टर आंबेडकर यांनी निजामाचा प्रस्ताव ठोकरत मक्रणपुर येथे महार परिषद बोलावली. निजामाच्या राज्यातील अस्पृश्य आर्थिक दृष्टी ने जरूर निर्धन आहेत परंतू,मनानी निर्धन नाहीत.राहिली गोष्ट माझ्या इस्लाम ग्रहण करण्याविषयी,माझा जमीर खरीदण्याची ताकद कोणात नाही."डॉक्टर आंबेडकर यांनी १८-११-१९४७ तथा २७-११-१९४७ ला एक परिपत्र काढून जोर-जबरदस्तीने धर्मांतरित केल्या गेलेल्या पूर्व अस्पृश्यांना आवाहन केलं कि त्यांनी वापस आपल्या घरी यावे !" हे पत्र २८ नोव्हेंबर १९४७ च्या नैशनल स्टैण्डर्ड नामक दैनिकाने प्रकाशित केलंय.या सभे नंतर इराप्पा या आंबेडकर अनुयायाने निजामाचा वध करण्याचा असफल प्रयत्न केला आणि पकडला गेला.<br />
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मीम पार्टी चा राष्ट्रद्रोही वक्तव्य देणारा ओवैसी आंबेडकर अनुयायी यांना हाताशी धरून हिंदू मतात फुट पाडीत पूर्व योजना राबवतोय. राष्ट्रध्वजा वरील धर्मचक्र काढून चांदतारा लावतोय आणि उत्तरेत जसे यादव-मुस्लिम ; बहुजन-मुस्लिम राजकारण खेळलं जातंय तसं महाराष्ट्रात मीम दलित-मुस्लिम वोट बँकेच्या बळावर राष्ट्रीयतेतील विषमतेचा लाभ उकळू पाहतोय. यांना भारतीय राज्य घटनेतील समान नागरिकता नकोय तर बहुजनातील आरक्षणात हिस्सेदारी हवी आहे ! आणि संविधानात अस्थाई आरक्षण हे फक्त हिंदूंसाठी आहे ! खर्या अर्थाने आंबेडकर अनुयायी व्हा !<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_8D4frLJkWUvAaRXjwd6Dm9DwwBF4qL-_n3EUkNennh5kzl0iQftpSbY1hShR642fIpoLPGMHk2DVV_2p0bULdAklgjWtolUkBrKWyAKcvHA7tnjQb0AS7iBC3eVqGtlt6h4WH32J9sxb/s1600/Rashtra+Dhwaj+Vande+Mataram.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="118" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_8D4frLJkWUvAaRXjwd6Dm9DwwBF4qL-_n3EUkNennh5kzl0iQftpSbY1hShR642fIpoLPGMHk2DVV_2p0bULdAklgjWtolUkBrKWyAKcvHA7tnjQb0AS7iBC3eVqGtlt6h4WH32J9sxb/s320/Rashtra+Dhwaj+Vande+Mataram.jpg" width="320" /></a></div>
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Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-36077441061815637372015-05-02T11:20:00.001-07:002015-05-02T11:20:21.020-07:00वैष्णव पंथ बौध्द धम्म को मिली वैश्विक मान्यता-वैश्विक हिंदुत्व के विनाश में चीन की भूमिका<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzSYfRQv5OcWRpZwXYnOyTAp-uVvB-gFv7QEaYxFk_E5R8vGBKQkbZ3Aa3MHdCm9v-VV_y3rMBdhgi4dNtPfT1P55mVXHsEMqk32xPjartBew-bMalwW4WpjTrdu_gxecMSVKSEOFaCxxz/s1600/Bhagwan+Budhd+Sarnath+1+Pravachan.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzSYfRQv5OcWRpZwXYnOyTAp-uVvB-gFv7QEaYxFk_E5R8vGBKQkbZ3Aa3MHdCm9v-VV_y3rMBdhgi4dNtPfT1P55mVXHsEMqk32xPjartBew-bMalwW4WpjTrdu_gxecMSVKSEOFaCxxz/s1600/Bhagwan+Budhd+Sarnath+1+Pravachan.jpg" height="336" width="640" /></a></div>
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भगवान बुध्द की वंश परंपरा इक्ष्वाकु कुल की लिच्छवी शाखा से जुडी है। तो, प्रभु श्रीराम इक्ष्वाकु कुल की रघुकुल शाखा में अवतरित हुए थे।भगवान बुध्द सुर्यवंशी क्षत्रिय लिच्छवी कुल के दीपक है जो,श्रीराम जी के रघुकुल जैसे इक्ष्वाकु कुल की ही शाखा है।इसलिए उन्हें वैष्णव पंथ की शाखा से जोड़कर ही देखा जाता रहा है। उनके विचारो का प्रभाव विश्व में गया परन्तु विश्वव्यापक भारतीय सत्ता हिन्दू सम्राट अशोक तक ने प्रसारित नहीं की उलटे बृहत्तर भारत सत्ता का र्हास हुवा।दुर्भाग्य है की,चीन जाते हुए बृहत्तर भारत की सीमाए बढाने का गणित हमने नहीं बनाया।विश्व में जिनके तीर्थ भारत में है, वह हिंदुत्व की परिघी में होने चाहिए।यही बृहत्तर भारत और हिंदुत्व की परिचायक है।<br />
सिकंदर के पश्चात् आये रोमन आक्रमणकारी शक सम्राट मिनैंडर ने सिकंदर की पंजाब से आक्रमण की भूल को सुधारकर वैष्णव पंथियों में भेद उत्पन्न करने बुध्द मत का झोला पहनकर आक्रमण करने मगध गया। उसे बुध्द समझकर बृहद्रथ ने सहयोग किया और फिर उसने अपना वास्तव स्वरुप प्रकट किया। भयंकर रक्तपात के बिच बुध्द मतावलंबीयो को वैष्णवों से अलग करने की कूटनिति अपनाई.बद्रिनाथ जी की मूर्ति उखाड़कर नारदकुंड में फेंक दी। श्रीराम-कृष्ण की जन्मभूमि को घेर कर ध्वस्त किया। वैष्णव मंदिरोंको तोडा,नरमुंड काटकर रक्तप्राशन किया। उसे चीनी बुध्दो ने आश्रय दिया और अभय माँगा। उसकी स्तुति में "मिलिंद पन्ह" ग्रन्थ लिखा। {संदर्भ Study of History by Toynbee Voll. v P.182 } इसका यतार्थ यह नहीं है की, बुध्द मत का मिनैण्डर पर प्रभाव पड़ा था। प्लूटार्क लिखता है, 'उसके धम्म स्वीकार करने के पीछे राजनितिक उद्देश्य था। परराष्ट्रनिष्ठां के कारण धम्म का ह्रास हुवा और चीन भागना पड़ा। मान्शासन और प्रचंड अमानवीय हिंसा का प्रतिक मिनैंडर ने बुध्द मत को मातृभूमि में ही निष्प्रभ किया।"<br />
फिर कुषाण आये। सन १२० में कुषाण राजा कनिष्क ने बुध्द भिक्खुओ की परिषद लेकर बौध्दो को संगठित रूप दिया। हीनयान उप पंथ की स्थापना कर संस्कृत का स्वीकार किया। कुषाण सम्राट कनिष्क का स्वागत किया। शक,कुषाणों की तरह आक्रान्ता हुण मिहिरगुल आये उन्होंने "तक्षशिला विद्यालय" तोड़ दिया। बाद में उसने वैदिक पंथ का स्वीकार किया था। उसे राजा यशोधर्मा ने ५२८ में मंदसौर में पकड़ा तो वह वैष्णव बन जाने के कारन बौध्द विदेशियों ने आनंद व्यक्त किया था। भारतीय बौध्दो ने चीनी बौध्दो की सहायता लेने के यह प्रमाण कहता है की,वैष्णवों में दिवार खडी करने में उनकी भूमिका थी। विदेशियों की सहायता लेकर भारतीय पंथ जब स्वकियो पर आक्रमण करने लगा तब चीन की "हाहा" नदी सीमा पर संग्राम हुवा और चीनी परास्त हुए। तब एक अनाक्रमण संधि भी हुई थी।<br />
इस्लामी आक्रमण काल में चीनी प्रवासियों ने पलायन किया और बामियान में बुध्द मठों का विध्वंस हुवा। अबुल फजल ने "आइने अकबरी" में बामियान की २,००० गुन्फाओ में १२,००० शिल्प कला के भवन देखने का वर्णन किया है। खारोष्टि लिपि में लिखा ग्रन्थ भी था। इस्लामी आक्रमण काल में राष्ट्र की दुर्गति,धर्मान्तरण बुध्द विचार का अहिंसक प्रभाव था। परन्तु चीन ने साम्यवादी बनकर सशक्त बनते समय बुध्द पंथ को भी किनारे कर दिया। आज भारत देश की दुरावस्था और विश्व में इस्लाम के विस्तार के लिए अहिंसक धम्म कारन बना यह प्रमाणित होता है। चीनी प्रतिनिधि मंडल वू के नेतृत्व में भारत आ जाने के पश्चात् मोपला काण्ड हुवा और खुला अलगाव वाद प्रकट हुवा। विभाजन पश्चात् चीनी नेता हो ची मिन्ह के इशारे पर कश्मीर १/३ घुसपैठ हुई।<br />
कहने का तात्पर्य यह है की, बुध्द पंथ ने चीन में विस्तार के बजाय स्वदेश में संकट ही खड़े किये।बृहत्तर भारत का बर्मा टुटा,श्रीलंका विघटित हुवा। नेपाल पास होकर दूर हुवा इसके लिए चीन जिम्मेदार है। आज यह सभी राज्य तथा आश्रयदाता चीन भी इस्लामी साम्राज्य वाद से झुज रहा है। विश्व इस्लाम के विरोध में संगठित होने के बजाय पाकिस्तान-अफगानिस्तान को सहयोग कर रहा चीन, शेष भारत को घेर चूका है और यह कल्पना कभी भगवान बुध्द ने की होती तो चीन की तरह सशक्त,सशस्त्र भारत होता।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvotA05JSqKGlA5sXIDvTuqJBpO2iMlQOhCzEFnPsERWmzGObqpQCy2e6F1h83IODRElrkKh-1VdWJRc6hm7ohZax0qK4o-UV7APzRzSDCR1IywSZ08pHTyQKYUh3cZVZwHZQpdgaW4_Zd/s1600/Bhagwan+Budhd.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvotA05JSqKGlA5sXIDvTuqJBpO2iMlQOhCzEFnPsERWmzGObqpQCy2e6F1h83IODRElrkKh-1VdWJRc6hm7ohZax0qK4o-UV7APzRzSDCR1IywSZ08pHTyQKYUh3cZVZwHZQpdgaW4_Zd/s1600/Bhagwan+Budhd.jpg" height="316" width="320" /></a></div>
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<b>वैष्णव पंथ बौध्द धम्म को मिली वैश्विक मान्यता के कारन यदि हिंदुत्व से भिन्न कहा जाता है तो,वैश्विक हिंदुत्व के विनाश में चीन की भूमिका स्पष्ट होती है।</b><br />
इस्वी सन से बुध्द धम्म का प्रसार करने बृहत्तर भारत से चीन गए मग ब्राह्मण प्रचारको को प्रसिध्दी नहीं मिली। चीनी सम्राट मिंग को स्वप्न में महान सत्पुरुष का दर्शन हुवा और प्रधान की सलाह पर बुध्द धम्म की उत्कंठा में मिंग ने कुछ आचार्य भारत वर्ष में भेजे। उनकी विनती पर भारत से धम्मोपदेशक चीन जाने लगे। भिन्न १३ चीनी ग्रंथो में इसका वर्णन आया है। मिंग के निमंत्रण पर सर्व प्रथम गांधार निवासी " काश्यप मातंग " तिब्बत के रस्ते चीन गए। स्थानीय लिपि आत्मसात कर अनेक ग्रंथो का अनुवाद चीनी भाषा में किया। काश्यप के अनुयायी धर्मरक्ष ने काश्यप के पश्चात् दीक्षा कार्य जारी रखा। तिब्बती ग्रंथो के अनुसार दूसरी शताब्दी में आर्यकाल,सुविनय,धर्मकाल,महाबल चीन गए। वहा के कन्फ्युशियस धर्मावलम्बीयों के सत्ता परिवर्तन काल में बुध्द मत का विलोप हो जाता था और उन प्रसारकों के भारत वर्ष में वापसी के रास्ते बंद हो जाते थे,बिना अनुमति वापस निकले धर्मक्षेम को मार डाला गया था।<br />
मध्य आशिया के खोतान प्रान्त पर हुए चीनी आक्रमण के पश्चात् अनेक बंदी चीन ले गए उनमे थे " कुमारजीव " (इ.सन ३४४-४१३) थे जिन्होंने महायान पंथ के संस्कृत ग्रंथो का चीनी में अनुवाद किया,यात्री " फाहियान " उनका शिष्य ! कश्मीर का राजपुत्र गुणवर्मा ने श्रमण वृत्ति का स्वीकार कर प्रसार कर अंत चीन में किया। इसके पश्चात् भी धर्मरुची,रत्नमती,बुध्द्शांत आदि ग्यारहवी शताब्दी तक प्रसारक चीन गए।<br />
चीनी प्रवासी फाहियेंन सम्राट चन्द्रगुप्त के कालखंड में तो, युवान च्वांग ठानेश्वर सम्राट हर्षवर्धन के कालखंड में भारत भ्रमण पर आये थे।उन्होंने वैदिक मत के हिन्दू और बौध्द मत के (वैष्णव) हिन्दुओ में सामंजस्य और सहिष्णुता का परस्पर पूरक संबंध देखा था। गुप्त कुल के वंश वैदिक मतावलंबी होते हुए भी नरसिंह गुप्त ने नालंदा में बौध्द मठ स्थापित किया था।<br />
हर्षवर्धन ने वृध्दावस्था में बौध्द मत का स्वीकार करने की मनीषा विदेशी प्रवासी युवान च्वांग के प्रयास पश्चात् व्यक्त की थी। उस समय उनका जो गौरव च्वांग ने किया वह वैदिको को पसंद नहीं आया।इस कालखंड में भले ही वैदिक-बौध्द मतभिन्नता प्रकट हुई हो, राजा हर्ष ने दोनों पंथ मतों में कभी अंतर नहीं किया।हर्ष का चरित्रकार बाण भट्ट वैदिक था उन्होंने भी कही भी बौध्दो के विरुध्द कभी कही भी अनुदार उद्गार नहीं लिखे।<br />
हर्ष चरित्र में अंकित दिवाकर मित्र के आश्रम में हुए मेले में भिक्षु,भागवत पंथी,केश लुंचक,कापालिक,लोकायतिक ऐसे नाना पंथी हिंदुत्व के अंतर्गत आनेवाले संप्रदाय उपस्थित थे, ऐसा वर्णन है।स्वयं सुर्यवंशी हर्ष के वंश में आदित्य कुल दैवत थे और उनके वंश में धार्मिक सहिष्णुता परमोच्च पद पर थी। कौन किस दैवत को भजे,किस पंथ मत की दीक्षा ले पूर्ण स्वतंत्रता थी।हर्ष की भगिनी राज्यश्री बुध्द संघ में प्रविष्ट हुई थी।<br />
युवान च्वांग ने किये वर्णन के अनुसार,हर्ष की सहिष्णुता का दर्शन यहा होता है।हर पांच वर्ष पश्चात् वह विश्वजीत यज्ञ संपन्न कर संपत्ति का दान करता था।ऐसा एक प्रसंग उनकी जीवनी में छठी बार सन ६४३ में आया तब च्वांग प्रयाग में उपस्थित था।वह लिखता है,"इस उत्सव के लिए प्रयाग में विस्तीर्ण मंडप बनाये थे।७५ दिनों तक यह उत्सव संपन्न होता रहा। चार से पांच लक्ष सर्व पंथ मत के लोग उपस्थित थे।प्रथम दिन मंडप में अग्रभाग में भगवान बुध्द की प्रतिमा दुसरे दिन अग्रभाग में सूर्य प्रतिमा तीसरे दिन मुख्य सन्मान की शिव प्रतिमा अग्रभाग में रखी गयी।चौथे दिन बुध्द भिक्षुओ को दान संतर्पण के बाद अगले बीस दिन ब्राह्मण संतर्पण करने के बाद अन्य छोटे पंथ-मत के लिए मुक्तद्वार रखा गया।अंतिम समय निराश्रित,विकलांग ऐसे लोगो को भी संतुष्ट किया गया।" संदर्भ :- Life of Hieun Tsang-By Beal P.83<br />
भारतीय पंथ-मतों में सहिष्णुता का यह प्रचंड दर्शन है।इसका पुनर्विचार करना चाहिए। पाकिस्तान परस्त चीन के विरोध में काफ़िरो को एकछत्र में भारतमाता के चरणों में पूजक बनाना भारतोत्पन्न पंथों के धर्माचार्यो का प्रथम कार्य हो !<br />
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Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-84914891664169168432015-01-02T23:54:00.001-08:002016-01-26T02:25:53.275-08:00श्रीराम द्वारा स्थापित अर्धपीठ शनि मंदिर <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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निम्न लेख शिवयोगी श्री प्रमोद कुमार महाराज फ़ैजाबाद के सौजन्य से लिखा गया है। </div>
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श्री शनि महाराज की उत्पत्ती </div>
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महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति से हुआ। इनका पुत्र सूर्य ! सूर्य का विवाह त्वष्टा की पुत्री संज्ञा से हुआ। संज्ञा को वैवस्वत मनु,यम और पुत्री यमुना हुई। सूर्य के अमित तेज से प्रदीप्त संज्ञा ने अपनी छाया को प्रतिरूप बनाकर सूर्य के पास छोड़ दिया और स्वयं पिता के घर पहुँच गई। पिता ने वापस लौटने को कहा तो,घोड़ी बनकर वह कुरु प्रदेश के वन में रहने लगी। सूर्य के पास रही संज्ञा की छाया को सावर्णि मनु और शनि दो पुत्र हुए। </div>
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छाया अपने पुत्र शनि से अधिक प्रेम करती थी परंतु ,संज्ञा के प्रथम पुत्रो के साथ सौतेला व्यवहार रखती थी। </div>
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संज्ञा पुत्र यम ने खेल खेल में छाया को लात दिखाई तो,क्रोधित होकर छाया ने यम को चरणहीन होने का श्राप दिया। यम ने पिता सूर्य को यह घटना बताई तो,उन्होंने इसका परिहार बता दिया और छाया से भेदभाव का कारन पूछा। छाया ने सत्य घटना का वर्णन किया। </div>
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सूर्य ससुराल आए। सारी घटना स्पष्ट हुई अपने तेज को सहनीय बनाने के त्वष्टा के प्रस्ताव को स्वीकार कर सूर्य ने अनुमती दी। त्वष्टा ने सूर्य को कांट छांटकर सहनीय बनाया। विश्वकर्मा ने उस तेज से सुदर्शन चक्र का निर्माण किया। </div>
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फिर संज्ञा ने नासत्य और दस्त्र नामक अश्विनी कुमारो को जन्म दिया।</div>
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यम की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें पितरो का अधिपत्य दिया और धर्म-अधर्म का निर्णय करने का अधिकारी बनाया। यमुना और ताप्ती नदी के रूप में प्रवाहित हुई। शनि महाराज को नव ग्रहो में स्थान मिला। </div>
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शनिदेव दंडनायक मंदगति एवं अधोदृष्टि कैसे हुए ?</div>
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शनि को क्रूर गृह माना गया है। शनिदेव की दृष्टी से मानव ही नहीं देवता भी बचने का प्रयास करते है। </div>
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शिवगणों से युध्द कर परास्त कर देने से शिव और शनि के बिच युध्द हुआ। शिव ने तीसरा नेत्र खोला तो,शनि ने मारक दृष्टी का प्रयोग किया। दोनों संहारक शक्तियों के प्रपात से उत्पन्न ज्योति शनिलोक पर जा गिरी। शनि पर त्रिशूल से प्रहार होते ही शनि अचेत हो गए। सुर्यदेव ने पुत्र स्नेह से जीवनदान की मांग की। शिवजी ने जीवनदान देकर समस्त संकट को हरकर क्रमानुसार दंड देने के लिए दंडनायक बना दिया। शनि के बंधू यम को मृत्यु प्रदान का कार्य सौप दिया। </div>
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बालक पिप्पलाद मुनि के पिता का निधन शनि द्वारा दिए कष्टो के कारन हुआ था।बड़े होकर प्रतिशोध के लिए शनि महाराज के पीछे चल पड़े। अचानक पीपल के वृक्ष पर शनि का वास मिला तब मुनि ने ब्रह्मदण्ड चलाया। जिसके कारन शनि के दोनों पग टूट गए। पीड़ा से कराहकर शनि महाराज ने शिव जी का स्मरण किया। महादेव ने पिप्पलाद की शंका का निराकरण किया। "शनि तो,केवल सृष्टि के नियमो का पालनकर्ता है !" शनि का इसमें कोई दोष नहीं जानकर पिप्पलाद ने उन्हें क्षमा कर दिया। मात्र ब्रह्मदण्ड से पैर टूटने के कारन चाल मंदगति हो गई। </div>
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विवाहयोग्य होनेपर श्रीकृष्ण भक्त शनि का विवाह चित्ररथ की पुत्री गुणवती से करा दिया गया।एकबार उनकी पत्नी पुत्र कामना रखकर उनके पास गई। तब वह श्रीकृष्णार्चन में तल्लीन थे। पत्नी की ओर ध्यान नहीं दिया। इसकारण पत्नी ने कोपित होकर पति को श्राप दिया कि,आपकी दृष्टी सदा के लिए अधो ही रहेगी। इसकारण उनकी दृष्टी अधोमुखी हुई। मात्र जिसपर पड़ी उसका नाश निश्चित ! शनिदेव न्याय देवता है। </div>
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श्रीगणेश के जन्म पर सभी दर्शन करने कैलाश पहुंचे थे। जैसे ही शनि ने मुख पर दृष्टी डाली तो,मस्तक कटकर धरती पर गिरा। पश्चात हाथी मस्तक उनके धड़ पर लगाकर पुनर्जीवित किया गया। (ब्रह्म वैवर्त पुराण )</div>
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26 Jan.2016 </div>
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उज्जैन नरेश विक्रमादित्य ने भरी सभा में शनि महाराज का उपहास किया तब शनि महाराज का भ्रमण उज्जैन पर हो रहा था। अनेक संकटों से घिरे विकलांग हुए,साढ़ेसाती से घिरे विक्रमादित्य महाराज ने जब शनि महाराज की प्रार्थना कर क्षमा मांगी वह स्थान था, " नशरथपुर " उसे आगे अपभ्रंश से " नस्तनपुर " कहा गया है।<br />
शनि महाराज के साढ़ेसात पीठ है, उज्जैन M.P.,बदरीधाम U.K.,पैठन M.S.,पशुपतेश्वर Nepal, सूर्यकुंड H.P.,द्वारका Guj.,नस्तनपुर M.S.और गंगासागर W.B.; नस्तनपुर अर्ध पीठ है।<br />
यह स्थान नाशिक जिले के नांदगाव (रे.स्टे.) तहसील में है। नायडोंगरी-नांदगाव रेल्वे स्टेशन के मध्य में यह अतिप्राचीन स्थान है। ऐसा कहा जाता है कि ,प्रभु श्री रामचन्द्र जी को माता कैकयी ने बनवास में भेजने की जब मांग की तब प्रभु को शनि महाराज का प्रकोप आरम्भ हुवा था। इस स्थान प्रभु श्रीराम जी को बाल शनि महाराजजी ने दर्शन दिए। अपने दंडकारण्य बनवास काल प्रवास में प्रभु श्रीराम जी ने बाल शनि महाराज की मूर्ति स्थापित की है। वह छायाचित्र संलग्न<br />
मंदिर का जीर्णोध्दार हो रहा है। इसलिए, मूल मंदिर दर्शन के लिए प्रतीकात्मक मूर्ति पूजन-तेल-उड़द-नमक-काले कपडे अर्पण करने रखी गयी है।<br />
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<br />
चालीसगाव रेलवे स्टेशन से नांदगाव, बस से जाते समय २४ कि.मी. नस्तनपुर की सीमा पर खोजा किले के पास उतरकर आधा किलो मीटर रेल ब्रिज के निचे से चलकर जाया जा सकता है या नांदगाव से नायडोंगरी जानेवाली टेम्पो से नस्तनपुर जाया जा सकता है। तथा नासिक के ठक्कर बस स्टेंड सी.बी.एस.से दोपहर १२ बजे सीधी नस्तनपुर बस जाती है ३ घंटे की यात्रा है.वापसी में मुंबई आने के लिए चालिसगाव से रात ८-४० को अमृतसर-दादर एक्सप्रेस आराम से मिलती है।<br />
२१ सप्तम्बर १२ को १९९७ का एक संग्रहित दैनिक वार्ताहर में प्रकाशित लेख के आधारपर<br />
<br />
<b>दशरथकृत शनि स्तोत्र</b><br />
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।<br />
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।२५।।<br />
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।<br />
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।२६<br />
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।<br />
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।२७<br />
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।<br />
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।२८<br />
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।<br />
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ।।२९<br />
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।<br />
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ।।३०<br />
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।<br />
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।।३१<br />
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।<br />
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।३२<br />
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।<br />
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।३३<br />
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।<br />
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ।।३४<br />
<b>अर्थ </b>:- जिनके शरीर का वर्ण कृष्ण नील तथा भगवान् शंकर के समान है, उन शनि देव को नमस्कार है। जो जगत् के लिए कालाग्नि एवं कृतान्त रुप हैं, उन शनैश्चर को बार-बार नमस्कार है।।२५<br />
जिनका शरीर कंकाल जैसा मांस-हीन तथा जिनकी दाढ़ी-मूंछ और जटा बढ़ी हुई है, उन शनिदेव को नमस्कार है। जिनके बड़े-बड़े नेत्र, पीठ में सटा हुआ पेट और भयानक आकार है, उन शनैश्चर देव को नमस्कार है।।२६<br />
जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोएं बहुत मोटे हैं, जो लम्बे-चौड़े किन्तु सूके शरीर वाले हैं तथा जिनकी दाढ़ें कालरुप हैं, उन शनिदेव को बार-बार प्रणाम है।।२७<br />
हे शने ! आपके नेत्र कोटर के समान गहरे हैं, आपकी ओर देखना कठिन है, आप घोर रौद्र, भीषण और विकराल हैं, आपको नमस्कार है।।२८<br />
वलीमूख ! आप सब कुछ भक्षण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है। सूर्यनन्दन ! भास्कर-पुत्र ! अभय देने वाले देवता ! आपको प्रणाम है।।२९<br />
नीचे की ओर दृष्टि रखने वाले शनिदेव ! आपको नमस्कार है। संवर्तक ! आपको प्रणाम है। मन्दगति से चलने वाले शनैश्चर ! आपका प्रतीक तलवार के समान है, आपको पुनः-पुनः प्रणाम है।।३०<br />
आपने तपस्या से अपनी देह को दग्ध कर लिया है, आप सदा योगाभ्यास में तत्पर, भूख से आतुर और अतृप्त रहते हैं। आपको सदा सर्वदा नमस्कार है।।३१<br />
ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है। काश्यपनन्दन सूर्यपुत्र शनिदेव आपको नमस्कार है। आप सन्तुष्ट होने पर राज्य दे देते हैं और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते हैं।।३२<br />
देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग- ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते हैं।।३३<br />
देव मुझ पर प्रसन्न होइए। मैं वर पाने के योग्य हूँ और आपकी शरण में आया हूँ।।३४<br />
<br />
<br />
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः।<br />
अब्रवीच्च शनिर्वाक्यं हृष्टरोमा च पार्थिवः।।३५<br />
तुष्टोऽहं तव राजेन्द्र ! स्तोत्रेणाऽनेन सुव्रत।<br />
एवं वरं प्रदास्यामि यत्ते मनसि वर्तते।।३६<br />
राजा दशरथ के इस प्रकार प्रार्थना करने पर ग्रहों के राजा महाबलवान् सूर्य-पुत्र शनैश्चर बोले- ‘उत्तम व्रत के पालक राजा दशरथ ! तुम्हारी इस स्तुति से मैं अत्यन्त सन्तुष्ट हूँ। रघुनन्दन ! तुम इच्छानुसार वर मांगो, मैं अवश्य दूंगा।।३५-३६<br />
<br />
उवाच-दशरथ<br />
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम्।<br />
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित्।।३७<br />
प्रसादं कुरु मे सौरे ! वरोऽयं मे महेप्सितः।<br />
राजा दशरथ बोले- ‘प्रभु ! आज से आप देवता, असुर, मनुष्य, पशु, पक्षी तथा नाग-किसी भी प्राणी को पीड़ा न दें। बस यही मेरा प्रिय वर है।।३७<br />
शनि उवाच-<br />
अदेयस्तु वरौऽस्माकं तुष्टोऽहं च ददामि ते।।३८<br />
त्वयाप्रोक्तं च मे स्तोत्रं ये पठिष्यन्ति मानवाः।<br />
देवऽसुर-मनुष्याश्च सिद्ध विद्याधरोरगा।।३९<br />
न तेषां बाधते पीडा मत्कृता वै कदाचन।<br />
मृत्युस्थाने चतुर्थे वा जन्म-व्यय-द्वितीयगे।।४०<br />
गोचरे जन्मकाले वा दशास्वन्तर्दशासु च।<br />
यः पठेद् द्वि-त्रिसन्ध्यं वा शुचिर्भूत्वा समाहितः।।४१<br />
न तस्य जायते पीडा कृता वै ममनिश्चितम्।<br />
प्रतिमा लोहजां कृत्वा मम राजन् चतुर्भुजाम्।।४२<br />
वरदां च धनुः-शूल-बाणांकितकरां शुभाम्।<br />
आयुतमेकजप्यं च तद्दशांशेन होमतः।।४३<br />
कृष्णैस्तिलैः शमीपत्रैर्धृत्वाक्तैर्नीलपंकजैः।<br />
पायससंशर्करायुक्तं घृतमिश्रं च होमयेत्।।४४<br />
ब्राह्मणान्भोजयेत्तत्र स्वशक्तया घृत-पायसैः।<br />
तैले वा तेलराशौ वा प्रत्यक्ष व यथाविधिः।।४५<br />
पूजनं चैव मन्त्रेण कुंकुमाद्यं च लेपयेत्।<br />
नील्या वा कृष्णतुलसी शमीपत्रादिभिः शुभैः।।४६<br />
दद्यान्मे प्रीतये यस्तु कृष्णवस्त्रादिकं शुभम्।<br />
धेनुं वा वृषभं चापि सवत्सां च पयस्विनीम्।।४७<br />
एवं विशेषपूजां च मद्वारे कुरुते नृप !<br />
मन्त्रोद्धारविशेषेण स्तोत्रेणऽनेन पूजयेत्।।४८<br />
पूजयित्वा जपेत्स्तोत्रं भूत्वा चैव कृताञ्जलिः।<br />
तस्य पीडां न चैवऽहं करिष्यामि कदाचन्।।४९<br />
रक्षामि सततं तस्य पीडां चान्यग्रहस्य च।<br />
अनेनैव प्रकारेण पीडामुक्तं जगद्भवेत्।।५०<br />
<br />
शनि ने कहा- ‘हे राजन् ! यद्यपि ऐसा वर मैं किसी को देता नहीं हूँ, किन्तु सन्तुष्ट होने के कारण तुमको दे रहा हूँ। तुम्हारे द्वारा कहे गये इस स्तोत्र को जो मनुष्य, देव अथवा असुर, सिद्ध तथा विद्वान आदि पढ़ेंगे, उन्हें शनि बाधा नहीं होगी। जिनके गोचर में महादशा या अन्तर्दशा में अथवा लग्न स्थान, द्वितीय, चतुर्थ, अष्टम या द्वादश स्थान में शनि हो वे व्यक्ति यदि पवित्र होकर प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल के समय इस स्तोत्र को ध्यान देकर पढ़ेंगे, उनको निश्चित रुप से मैं पीड़ित नहीं करुंगा।।३८-४१<br />
हे राजन ! जिनको मेरी कृपा प्राप्त करनी है, उन्हें चाहिए कि वे मेरी एक लोहे की मर्ति बनाएं, जिसकी चार भुजाएं हो और उनमें धनुष, भाला और बाण धारण किए हुए हो।* इसके पश्चात् दस हजार की संख्या में इस स्तोत्र का जप करें, जप का दशांश हवन करे, जिसकी सामग्री काले तिल, शमी-पत्र, घी, नील कमल, खीर, चीनी मिलाकर बनाई जाए। इसके पश्चात् घी तथा दूध से निर्मित पदार्थों से ब्राह्मणों को भोजन कराएं। उपरोक्त शनि की प्रतिमा को तिल के तेल या तिलों के ढेर में रखकर विधि-विधान-पूर्वक मन्त्र द्वारा पूजन करें, कुंकुम इत्यादि चढ़ाएं, नीली तथा काली तुलसी, शमी-पत्र मुझे प्रसन्न करने के लिए अर्पित करें।<br />
काले रंग के वस्त्र, बैल, दूध देने वाली गाय- बछड़े सहित दान में दें। हे राजन ! जो मन्त्रोद्धारपूर्वक इस स्तोत्र से मेरी पूजा करता है, पूजा करके हाथ जोड़कर इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसको मैं किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होने दूंगा। इतना ही नहीं, अन्य ग्रहों की पीड़ा से भी मैं उसकी रक्षा करुंगा। इस तरह अनेकों प्रकार से मैं जगत को पीड़ा से मुक्त करता हूँ।।।४२-५०। </div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-40745342940872711362014-12-26T09:42:00.000-08:002015-05-03T12:27:32.572-07:00धर्मांध टीपू सुलतान की वास्तविकता ४ मई १७९९ मौत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjf_tYAce4yrqQkeTsGeGHNoFMoRwL5YQQbFn4Mr6FzfkHuDHh_7OaT_Lk7dUCYAthyQANQizsiBAY7Dk0SV113kWaHSu_urB8dRgNB-TTrGtWfPfs9Wt7hFA3wkBBMuTLWRemh77qjIR79/s1600/Tipu+Sultan.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjf_tYAce4yrqQkeTsGeGHNoFMoRwL5YQQbFn4Mr6FzfkHuDHh_7OaT_Lk7dUCYAthyQANQizsiBAY7Dk0SV113kWaHSu_urB8dRgNB-TTrGtWfPfs9Wt7hFA3wkBBMuTLWRemh77qjIR79/s1600/Tipu+Sultan.jpg" height="205" width="320" /></a></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
टीपू सुलतान को जानने के लिए उसके संपुर्ण जीवन में किये गए कार्यकलापों के विषय में समझना अत्यंत आवश्यक हैं | अपवाद के रूप में एक-दो मठ-मंदिर को सहयोग करने से सहस्त्रो मंदिरों को नष्ट-ध्वस्त करने का,लक्षावधी हिन्दुओ को इस्लाम में धर्मपरिवर्तन करने या उनकी हत्या का दोष टीपू के माथे से धुल नहीं सकता | </div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
टीपू के अत्याचारों की अनदेखी कर उसे धर्म निरपेक्ष सिद्ध करने के प्रयास को हम बौध्दिक आतंकवाद की श्रेणी में गिनती करे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, सेक्युलरवादियों का कहना हैं कि, टीपू ने श्री रंगपट्टनम के मंदिर और श्रृंगेरी मठ में दान दिया तथा श्रुङ्गेरि मठ के श्री शंकराचार्यजी के साथ टीपू का पत्र व्यवहार भी था | जहाँ तक श्रृंगेरी मठ से सम्बन्ध हैं</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b>डॉ.एम्.गंगाधरन साप्ताहिक मातृभूमि जनवरी दिनांक १४-२० सन १९९० में लिखते हैं कि</b>," टीपू सुलतान भूत प्रेत आदि में विश्वास रखता था। उसने, श्रृंगेरी मठ के आचार्यों को धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए दान-दक्षिणा भेजी जिससे उसकी इस्लामी सेना पर भुत प्रेत आदि का कूप्रभाव न पड़े |" PCN राजा-केसरी वार्षिक अंक १९६४ के अनुसार, श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के पुजारियों द्वारा टीपू सुल्तान से आत्मरक्षा के लिए एक भविष्यवाणी की थी उसके भय से, "टीपू मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान करवाता हैं तो, उसे दक्षिण भारत का सुलतान बनने से कोई रोक नहीं सकता।" अंग्रेजों से एक बार युद्ध में विजय प्राप्त होने का श्रेय टीपू ने ज्योतिषों की उस सलाह को दिया था जिसके कारण उसे युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी , इसी कारण से टीपू ने उन ज्योतिषियों को और मंदिर को ईनाम रुपी सहयोग देकर सम्मानित किया था ना की धर्म निरपेक्षता या हिन्दुओ के प्रति सद्भावना थी।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
नबाब हैदर अली की म्रत्यु के बाद उसका यह पुत्र टीपू मैसूर की गद्दी पर बैठा था। गद्दी पर बैठते ही टीपू ने मैसूर को मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया। मुस्लिम सुल्तानों की परम्परा के अनुसार टीपू ने एक आम दरबार में घोषणा की,"मै सभी काफिरों को मुसलमान बनाकर रहूंगा।" तत्काल उसने सभी हिन्दुओं को आदेश जारी कर दिया।उसने मैसूर के गाव- गाँव के मुस्लिम अधिकारियों के पास लिखित सूचना भेज दी कि,<b> "सभी हिन्दुओं को इस्लामी दीक्षा दो ! जो स्वेच्छा से मुसलमान न बने उसे बलपूर्वक मुसलमान बनाओ और जो पुरूष विरोध करे, उनका कत्ल करवा दो ! उनकी स्त्रिओं को पकडकर उन्हें दासी बनाकर मुसलमानों में बाँट दो। "</b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b><br /></b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
इस्लामीकरण का यह तांडव टीपू ने इतनी तेजी से चलाया कि , समस्त हिन्दू समाज में त्राहि त्राहि मच गई।इस्लामिक दानवों से बचने का कोई उपाय न देखकर धर्म रक्षा के विचार से हजारों हिंदू स्त्री पुरुषों ने अपने बच्चों समेंत तुंगभद्रा आदि नदिओं में कूद कर जान दे दी। हजारों ने अग्नि में प्रवेश कर अपनी जान दे दी ,किंतु धर्म त्यागना स्विकार नहि किया।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
टीपू सुलतान को हमारे इतिहास में एक प्रजा वत्सल राजा के रूप में दर्शाया गया है।टीपू ने अपने राज्य में लगभग ५ लक्ष हिन्दुओ को बलात्कार से मुसलमान बनाया।लक्षो की संख्या में कत्ल करवाये। इसके कुछ ऐतिहासिक तथ्य भी उपलब्ध है जिनसे टीपू के दानवी हृदय का पता चलता हैं।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
टीपू द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारो पर डॉ.गंगाधरन<b> ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर</b> लिखते हैं कि,"ज़मोरियन राजा के परिवार के सदस्यों को और अनेक नायर हिन्दुओ की बलपूर्वक सुन्नत करवाकर मुसलमान बना दिया गया था और गौ मांस खाने के लिए भी विवश किया गया था।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* <b>ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर</b>, टीपू सुल्तान के मालाबार हमलों (१७८३-१७९१) के समय करीब ३०,००० हिन्दू नम्बुद्रि मालाबार में अपनी सारी धन-दौलत और घर-द्वार छोड़कर त्रावणकोर राज्य में आकर बस गए थे।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* <b>इलान्कुलम कुंजन पिल्लई लिखते हैं कि</b>, टीपू सुलतान के मालाबार आक्रमण के समय कोझीकोड में ७००० ब्राह्मणों के घर थे। उसमे से २००० को टीपू ने नष्ट कर दिया और टीपू के अत्याचार से लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर जंगलों की ओर भाग गए। टीपू ने औरतों और बच्चों तक को नहीं छोड़ा। धर्म परिवर्तन के कारण मोपला मुसलमानों की संख्या में अत्यंत वृद्धि हुई और हिन्दू जनसंख्या न्यून हो गई।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* <b>विल्ल्यम लोगेन मालाबार मैन्युअल</b> में टीपू द्वारा तोड़े गए हिन्दू मंदिरों का उल्लेख करते हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में हैं।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* राजा वर्मा केरल में संस्कृत साहित्य का इतिहास में मंदिरों के टूटने का अत्यंत वीभत्स विवरण करते हुए लिखते हैं की,हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर व पशुओ के सर काटकर मंदिरों को अपवित्र किया जाता था।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
मैसूर में भी टीपू के राज में हिंदुओ की स्थिति कुछ अच्छी न थी,"<b>ल्युईस रईस के अनुसार,</b> श्रीरंग पट्टनम के किले में केवल दो हिन्दू मंदिरों में हिन्दुओ को दैनिक पूजा करने का अधिकार था बाकी सभी मंदिरों की संपत्ति जब्त कर ली गई थी।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
यहाँ तक की राज्य सञ्चालन में हिन्दू और मुसलमानों में भेदभाव किया जाता था। मुसलमानों को कर में विशेष छुट थी और अगर कोई हिन्दू, मुसलमान बन जाता था तो उसे भी छुट दे दी जाती थी।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
जहाँ तक सरकारी नौकरियों की बात थी हिन्दुओ को न के बराबर सरकारी नौकरी में रखा जाता था। कूल मिलाकर राज्य में ६५ सरकारी पदों में से एक ही प्रतिष्ठित हिन्दू था, केवल पूर्णिया पंडित !</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* इतिहासकार एम्.ए.गोपालन के अनुसार अनपढ़ और अशिक्षित मुसलमानों को आवश्यक पदों पर केवल मुसलमान होने के कारण नियुक्त किया गया था|</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
बिद्नुर,उत्तर कर्नाटक का शासक अयाज़ खान था जो पूर्व में हिन्दू कामरान नाम्बियार था, उसे हैदर अली ने इस्लाम में दीक्षित कर मुसलमान बना दिया था। टीपू सुल्तान अयाज़ खान को शुरू से पसंद नहीं करता था इसलिए उसने अयाज़ पर हमला करने का मन बना लिया। अयाज़ खान को इसका पता चला तो वह मुम्बई भाग गया।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
टीपू बिद्नुर आया और वहाँ की सारी जनता को इस्लाम कबूल करने पर विवश कर दिया था। जो न धर्म बदले उनपर भयानक अत्याचार किये गए।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
कुर्ग पर टीपू साक्षात् राक्षस बन कर टूटा था।लगभग १०,००० हिन्दुओ को इस्लाम में बलात धर्म परिवर्तित किया गया। कुर्ग के लगभग १००० हिन्दुओ को पकड़ कर श्रीरंग पट्टनम के किले में बंद कर दिया। उन लोगो पर इस्लाम कबूल करने के लिए अत्याचार किया गया। बाद में अंग्रेजों ने जब टीपू को मार डाला तब जाकर वे कारागार से छुटे और फिर से हिन्दू बन गए।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
कुर्ग राज परिवार की एक कन्या को टीपू ने बलात मुसलमान बना कर निकाह तक कर लिया था। ( सन्दर्भ PCN राजा केसरी वार्षिक अंक १९६४)</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
विलियम किर्कपत्रिक ने १८११ में टीपू सुलतान के पत्रों को प्रकाशित किया था। जो, उसने विभिन्न व्यक्तियों को अपने राज्यकाल में लिखे थे।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* जनवरी १९,१७९० में जुमन खान को टीपू पत्र में लिखता हैं की, "मालाबार में ४ लक्ष हिन्दुओ को इस्लाम में शामिल किया हैं, अब मैंने त्रावणकोर के राजा पर हमला कर उसे भी इस्लाम में शामिल करने का निश्चय किया हैं।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* जनवरी १८, १७९० में सैयद अब्दुल दुलाई को टीपू पत्र में लिखता हैं की, "अल्लाह की रहमत से कालिकत के सभी हिन्दुओ को इस्लाम में शामिल कर लिया गया हैं। कुछ हिन्दू कोचीन भाग गए हैं उन्हें भी धर्मान्तरित कर लिया जायेगा।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* २२ मार्च १७२७ को टीपू ने अपने एक सेनानायक अब्दुल कादिर को एक पत्र लिखा की ,"१२००० से अधिक हिंदू मुसलमान बना दिए गए।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* १४ दिसम्बर १७९० को अपने सेनानायकों को पत्र लिखा की, "मैं तुम्हारे पास मीर हुसैन के साथ दो अनुयायी भेज रहा हूँ उनके साथ तुम सभी हिन्दुओं को बंदी बना लेना और २० वर्ष से कम आयुवालों को कारागार में रख लेना और शेष सभी को पेड़ से लटकाकर मार देना।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* टीपू के शब्दों में "यदि सारी दुनिया भी मुझे मिल जाए,तब भी मै हिंदू मंदिरों को नष्ट करने से नही छोडूंगा।"(फ्रीडम स्ट्रगल इन केरल)</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* टीपू ने अपनी तलवार पर भी खुदवाया था ,"मेरे मालिक मेरी सहायता कर कि, में संसार से सभी काफिरों (गैर मुसलमान) को समाप्त कर दूँ !"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b>इस प्रकार टीपू के धर्मनिष्ठ तथ्य टीपू को एक जिहादी गिद्ध से अधिक कुछ भी सिद्ध नहीं करते।</b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b><br /></b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
* मुस्लिम इतिहासकार पी.एस.सैयद मुहम्मद केरला मुस्लिम चरित्रम में लिखते हैं की," टीपू का केरला पर आक्रमण हमें भारत पर आक्रमण करनेवाले चंगेज़ खान और तैमुर लंग की याद दिलाता हैं।"</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
ऐसे कितनेक ऐतिहासिक तथ्य टीपू सुलतान को एक धर्मान्ध,निर्दयी ,हिन्दुओं का संहारक सिध्द करते हैं। क्या ये हिन्दू समाज के साथ अन्याय नही है कि, हिन्दुओं के हत्यारे को हिन्दू समाज के सामने ही एक वीर देशभक्त राजा बताया जाता है , टाइगर ऑफ़ मैसूर की उपाधि दी जाती है, मायानगरी में इस आतंकी को सेनानी के रूप में प्रदर्शित कर पैसा कमाया जाता है , टीवी की मदद से "स्वोर्ड ऑफ़ टीपू सुलतान" नाम के कार्यक्रम ने तो घर घर में टीपू सुलतान को महान स्वतंत्रता सेनानी बना कर पंहुचा दिया है।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b>अगर टीपू जैसे हत्यारे को भारत का आदर्श शासक बताया जायेगा तब तो सभी इस्लामिक आतंकवादी भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक महान पुरुष बनेगे।</b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<b><br /></b></div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
इस लेख में टीपू के अत्याचारों का अत्यंत संक्षेप में विवरण दिया हैं।यदि इतिहास का यतार्थ विवरण करने लग जाये तो हिन्दुओ पर किये गए टीपू के अत्याचारों का वर्णन करते करते पूरा ग्रन्थ ही बन जायेगा। </div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
सबसे बड़ी विडम्बना मुसलमानों के साथ यह हैं कि, इन लेखों को पढ़ पढ़ कर दक्षिण भारत के विशेष रूप से केरल,आन्ध्र और कर्नाटक के मुसलमान उसकी वाह वाह कर रहे होंगे।जबकि सत्यता यह हैं <b>टीपू सुलतान ने लगभग २०० वर्ष पहले उनके ही हिन्दू पूर्वजों को जबरन मुसलमान बनाया था और उसे वह गौरव समझते है।</b>यही स्थिति कुछ कुछ पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमानों की हैं जो अपने यहाँ बनाई गई परमाणु मिसाइल का नाम गर्व से गज़नी और गौरी रखते हैं जबकि मतान्धता में वे यह तक भूल जाते हैं की उन्ही के हिन्दू पूर्वजों पर विधर्मी आक्रमणकारियों ने किस प्रकार अत्याचार कर उन्हें हिन्दू से मुसलमान बनाया था।वहा इनका जिहादी दृष्टिकोण उन कट्टरपंथीयो के विरुध्द जब तक नहीं खौलता तब तक इस्लाम की आड़ में स्वयं शिकार होते रहेंगे।</div>
<div style="background-color: white; color: #141823; font-family: 'Helvetica Neue', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">
<br /></div>
</div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-86820935052599837702014-12-21T19:23:00.000-08:002014-12-21T19:44:51.123-08:00 ईसाई-इस्लामी मत कोई धार्मिक नहीं !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इस्लाम के जन्म का अवतरण होने के लिए यहूदी-ज्यू लोगों पर रोमन साम्राज्यवादीयों का अत्याचार इन्क्विझिशन जिम्मेदार है !<br />
इसा मसीह के जन्म के सौ वर्ष पूर्व जेरूशलेम पर सम्राट राजदत्त का राज्य था। सन ३२४ तक वेटिकन "वेद वाटिका" थी। बौध्द अर्थात वैष्णव यहाँ स्थापित थे। सन ५२६ ब्रिटेन राजघराने ने रोमन राजसत्ता अर्थात धर्मांतरण का स्वीकार किया और धर्म-अधर्म की आड़ में साम्राज्य विस्तार के लिए वधस्तम्भ का भय दिखाकर उस ही को पूजनीय बनाया। वास्तविकतः येशु कभी रोम गए ही नहीं थे।<br />
रोमनों के अत्याचार से बचने पलायन कर चुके दमिश्क में इकठ्ठा हुए यहूदी लोगों के दुक्ख और अत्याचार को देखकर मोहम्मद पैगम्बर को ३५५ देवता स्थान का मक्का जो शैव बहुल धार्मिक-व्यावसायिक केंद्र था को सोश्यल इंजीनियरिंग की प्रेरणा मिली। एकेश्वरवाद का यह उद्देश्य केवल रोमन अत्याचार - साम्राज्य विस्तार रोकना मात्र था। उनके आक्रमण के पूर्व उनपर आक्रमण कर कबाइलियों को वेतन के रूप में लूट-अपहरण जो उनके अंगभूत लक्षण थे उसे छूट दी गई थी। वहीं आगे धर्माज्ञा बनी ? या बनाई इसपर टर्की में कुरान संशोधन के लिए समिती बनी है। उनका दावा है कि,अनेक आयत अपने स्वार्थ के लिए खलीफाओं ने अंतर्भूत किये है।<br />
अर्थात ईसाई-इस्लामी मत कोई धार्मिक नहीं न ही धर्म ग्रंथ को कहा जाएं की वह धार्मिक है। इसलिए प्रथम प्रार्थना स्थल नष्ट करना अति आवश्यक ! अरबस्थान में प्रेषित के जन्मस्थान को ही ढहाया गया है।<br />
<br />
बृहद भारत भूमि पर हुए आक्रमण-लूट-अपहरण-बलात्कार और सामाजिक विषमता धर्मांतरण का कारन बनी। यही कारन भारत खंड-खंड, देश विभाजन का कारन बना। १९१९-१९३५ के संविधान ने अल्पसंख्य शब्दोत्पत्ती कर वक्फ बोर्ड बनाया। डॉक्टर आंबेडकरजी के संविधान ने राष्ट्रीयता में विषमता नष्ट करने के स्पष्ट संकेत दिए है। उसे लागु किए बिना धर्म निरपेक्षता लागु नहीं। अर्थात जनगणना आयोग के संकेत तथा रफीक झकेरिया द्वारा लिखित पुस्तक के अनुसार, २०२१ में हिन्दू अल्पसंख्य होने का धोका टालने के लिए पूर्वाश्रमी हिंदुओ का शुद्धिकरण आवश्यक ! इसे धर्मांतरण कहनेवाले समान नागरिकता का अर्थात धर्म निरपेक्षता का आग्रह करे !<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwLHopkUeei7LAU-NGZPiSjacEWmVaLdZ2yfOb2z0ghyphenhyphen-qyUsjwpBNGTlHRZVLsbQ1S1Up6x3EfHa_zq0DlyNNU0WSNs9-PEMzGWNOBpfNNAyao1X_JQanXSgPLrhIFnblG7nYxtb2MSHi/s1600/Yeshu+Vadhstambh.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwLHopkUeei7LAU-NGZPiSjacEWmVaLdZ2yfOb2z0ghyphenhyphen-qyUsjwpBNGTlHRZVLsbQ1S1Up6x3EfHa_zq0DlyNNU0WSNs9-PEMzGWNOBpfNNAyao1X_JQanXSgPLrhIFnblG7nYxtb2MSHi/s1600/Yeshu+Vadhstambh.jpg" height="285" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirn5nd7NgFth8kE1Dzf-sl5SmqCxeYeojXz05bz0bbgA-vpSpG3DYwjfaFKaqaRTZTsWNWXUE8uCrzYD2sNE4CFSuD946OE58Ggr4deEPinqnY6w1TLGhhqv6G2OC3KWe55m_o-SkDelrD/s1600/Swami+Shradhdanand+Shudhdi.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirn5nd7NgFth8kE1Dzf-sl5SmqCxeYeojXz05bz0bbgA-vpSpG3DYwjfaFKaqaRTZTsWNWXUE8uCrzYD2sNE4CFSuD946OE58Ggr4deEPinqnY6w1TLGhhqv6G2OC3KWe55m_o-SkDelrD/s1600/Swami+Shradhdanand+Shudhdi.jpg" height="199" width="320" /></a></div>
<br /></div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-23618120658280588882014-12-10T20:15:00.000-08:002016-06-19T07:54:46.716-07:00विश्व योग दिवस २१ जून ! <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkqYqHwbNmLR-44UaShuBlz0yPDGEOyqpZ9dyGJ8p0j0CFKCgbs0Ta32ZPUluZiSlahWW4mzKaTlR3iJiAPMVMmjLUNcj_RTKEe65Oq0BVJpHLbnMpF41C7CxaglL_m09jWz0_Xz_P4pAH/s1600/patanjali-2_061815093529.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkqYqHwbNmLR-44UaShuBlz0yPDGEOyqpZ9dyGJ8p0j0CFKCgbs0Ta32ZPUluZiSlahWW4mzKaTlR3iJiAPMVMmjLUNcj_RTKEe65Oq0BVJpHLbnMpF41C7CxaglL_m09jWz0_Xz_P4pAH/s320/patanjali-2_061815093529.jpg" width="320" /></a></div>
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लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व कोडर ग्राम,वजीरगंज-गोंडा उत्तर प्रदेश में जन्मे <b>महर्षि पतंजलि को शेषावतार कहा जाता है।</b> महर्षि के जन्म पूर्व शरयु ने अपनी चंचलता का त्याग कर कोडर झील का रूप धारण किया था। गोंडिका नामक कन्या सूर्य को अर्ध्य दे रही थी उस समय उनका जन्म हुआ। ऐसी किंवदंती है।<br />
<b>श्री पतंजलि जन्मभूमि न्यास समिति ने केंद्र और राज्य सरकारों को बाइस बार अड़तालीस प्रस्ताव भेजे है परंतु,पर्यटन स्थल की श्रेणी नहीं मिली। </b><br />
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रत्नागिरी के निर्बंध बंदिवास में योगाभ्यासी,ग़दर क्रांतिकारी बाबाराव सावरकरजी के बंधू वीर विनायक दामोदर सावरकरजी ने "अखिल हिन्दू ध्वज" का निर्माण किया था। जो रा.स्व.संघ की जननी अखिल भारत <b>हिन्दू महासभा का पक्ष ध्वज</b> बनकर रहा है। कुछ संगठन इस ध्वज का स्वीकार करते है,प्रसार माध्यम भी इसकी महत्ता न जानते हुए उसे उनका ध्वज मानते है।<b>इस ध्वज को योगगुरु बाबा रामदेव की राष्ट्रीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक,शिवाजी पार्क,दादर-मुम्बई आएं तब,अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी के भतीजे स्वर्गीय विक्रमराव नारायणराव सावरकरजी ने उनके हाथ में अखिल हिन्दू ध्वज सौपकर योग का वैश्विक प्रसार करने का दायित्व सौपा था।</b><br />
<b><br /></b>
इस अखिल हिन्दू ध्वज पर अंकित कुण्डलिनी की महत्ता विशद करते हुए वीर सावरकरजी ने कहा है,<b>" साधको को अलौकिक अतीन्द्रिय आनंद प्राप्त होता है।जिसे योगी कैवल्यानन्द कहते है।अद्वैती ब्रह्मानंद कहेंगे या भौतिक परिभाषा जाननेवाले केवल परमानंद कहेंगे। ...... किसी का विश्वास विशिष्ट अवतार पर,पैगम्बर पर,ग्रंथों पर या ग्रंथिक मतान्तरो पर हो या न हो चार्वाक,वैदिक,सनातनी,जैन,बौध्द,सिक्ख,ब्राह्मो,आर्य,इस्लाम आदि सभी धर्म पंथों को कुण्डलिनी मान्य है। ..... योगसाधना का विचार पूर्णतः विज्ञाननिष्ठ है और भारतवर्ष ने ही विश्व को प्रदान किया यह दान है। बंदिवास में मैंने योग की उर्जा का अनुभव किया है।</b>" (सन्दर्भ :- हिन्दू ह्रदय सम्राट भगवान सावरकर ले.स्व.रा.स.भट )<br />
वीर सावरकर जी शक्ति और शांति का मार्ग दिखाते समय हिन्दू मतावलंबियों की अहिंसा,सहिष्णुता और दया की विकृति पर भी कोड़े बरसते है।श्रीमद भगवद्गीता में भगवान द्वारा प्राप्त ज्ञानपर चलनेवाले वह आधुनिक अर्जुन थे। " अत्याचारी,आक्रामको का शमन और दुर्बल एवं पीड़ित मनुष्यों के प्रति करुणा का व्यवहार, उनकी सेवा और उनके साथ हुए अन्यायों का निवारण और भूल का परिमार्जन ही सावरकर चिंतन का सार है।"<br />
सन १९२८ अगस्त में वीर जी ने ध्वज के विषय में लिखा, <b>" कुंडलिनी का यह संकेत चिन्ह हिन्दू धर्म एवं हिन्दुराष्ट्र के वैदिक कालखंड से लेकर आज तक के और आज से लेकर युगांत तक के महत्तम ध्येय को सुस्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करेगा ; स्वस्तिक प्राचीन है,किन्तु मनुष्य निर्मित है।कुंडलिनी प्रकृति की देन है और वह शास्त्रीय तथा शास्त्रोक्त संकेत है।इसलिए कृपाण,कुण्डलिनी,स्वस्तिक अंकित ध्वज को ही हिन्दुध्वज माना जाए।कृपाण और कुंडलिनी से दो चिन्ह क्रमशः भुक्ति और मुक्ति ; शक्ति और शांति ; भोग तथा योग ; आचार-विचार,कर्म और ज्ञान, सत और चित,प्रवृत्ति और निवृत्ति इनके ही प्रतिक रूप है और उनमे सुचारू रूप से समन्वय बनाये रखनेवाले प्रतिक है।"</b> ( सन्दर्भ :- मासिक जनज्ञान फरवरी १९९७ पृष्ठ २७ ले.स्व.बालाराव सावरकर )<br />
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योगाभ्यास करते समय ओमकार के उच्चारण को लेकर धर्मांध-अराष्ट्रीय लोगो ने फतवे तक निकाले थे। परंतु , कुरान शरीफ पारा १ सूरे बकर आयत १ में लिखा है- "अल्लाह के नाम से निहायत दयावान मेहरबान है , अलिफ-लाम-मीम "मौलाना अहमद बशीर M.A.कहते है ,उनको <b>"हरुफे मुक्तआत"</b> कहा जाता है।<br />
अरबी व्याकरण के अनुसार,लाम अक्षर ,'वाउ' अक्षर में बदल जाता है। तब अलिफ-लाम-मीम मिलकर अलिफ-वाउ-मीम बन जाता है। अलिफ + वाउ मिलकर "ओ" का उच्चारण में मीम मिलाने पर अलिफ+वाउ +मीम = ओम बन जाता है। <b>ॐ जो,ईश्वर का सर्व श्रेष्ठ मुख्य नाम है। अर्थात कुरान में सिपारे या सूरत के प्रारम्भ में कई जगह इसका उल्लेख है। </b></div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-63423483968026577372014-12-08T00:39:00.000-08:002015-12-30T03:10:51.037-08:00 हैपी ख्रिसमस-न्यू ईयर कहेंगे ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjDHI1YOdeMjVBnV4aCSW8i91frFE4O5SwkhVABxEhcWytqVEZFLsTPtDmHlB8w4viqfO2ySbjxjoKhhYWCR2mim2zxah9_Ofu3m-ZgJLVLNptd_c1s4ouAAwz8y2A5N2B4qYD9YHRMKLZ/s1600/Yeshu+Vadhstambh.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="285" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjDHI1YOdeMjVBnV4aCSW8i91frFE4O5SwkhVABxEhcWytqVEZFLsTPtDmHlB8w4viqfO2ySbjxjoKhhYWCR2mim2zxah9_Ofu3m-ZgJLVLNptd_c1s4ouAAwz8y2A5N2B4qYD9YHRMKLZ/s1600/Yeshu+Vadhstambh.jpg" width="320" /></a></div>
गांधारी के श्राप से बचने यादव कुल सदस्य बलराम दाऊ के साथ रोम गए थे। ऐसे ऐतिहासिक प्रमाण है। येशु ख्रिस्त के जन्म के १०० वर्ष पूर्व राजा राजदत्त की सत्ता इस्त्रायल में थी।गुजराथ राज्य के काठेवाड प्रांत के "पालिताना" निवासियों ने वहा व्यापार की वसाहत (कॉलोनी) बसाई थी।जो आज "पैलेस्टाईन" है।येशु काले रंग का ज्यू था।काले समुद्र के निकट गुंफा में मिले ग्रन्थ के अनुसार,ज्यू पंथ का निर्माण 100 वर्ष पूर्व हुवा और येशु इस ही पंथ में पैदा हुए।ऑस्ट्रेलियन धर्मगुरु श्रीकृष्ण को येशु के अध्यात्मिक आदर्श मानते है।परंतु,इसका प्रयोग वह धर्मांतरण के लिए करते आ रहे है।<br />
ऐसा कहा जाता रहा है बाल येशु, हत्या से बचने के लिए शेफर्ड (चरवाह) के साथ बृहत्तर भारत में प्रविष्ट हुए।जगन्नाथ पुरी के राजपुत्र के आग्रह पर सम्राट ने आश्रय देकर सुरक्षित रखा,वेद अध्ययन करवाया। वापस लौटते हुए लद्दाख के हेमीस बुध्द मठ में त्रिपिटक का भी अध्ययन येशु ने किया।<br />
जेरुशलेम जाकर उसने श्रीमद् गीता प्रधान धर्म का विचार प्रस्तुत किया।रोमन साम्राज्यवादी येशु के बढ़ते अध्यात्मिक संगठन और श्रीमद भगवद्गीता के आशय से डरकर राज्यक्रांति रोकने के लिए पकड़कर येशु को लकडे के वधस्तंभ पर किल से ठोंक दिया। येशु और उसके शिष्या की कब्र कश्मीर में होने की बात भी प्रकट हुई है।<br />
मात्र जहा रोम में येशु कभी नहीं गए वहा वही पूर्व वैदिक-बौध्द रोमन लोग सन ३२४ पश्चात्,यहूदीयो को भी वधस्तंभ का भय दिखाकर,इन्क्विझिशन द्वारा तड़पाकर मारे या धर्मान्तरण कर येशु के वधस्तंभ को आराध्य बनाकर रोम लेकर गए।रोम में वैदिक-बुध्द मत संयुक्त रूप से अभिन्न रह रहे थे।वेटिकन श्री शंकराचार्य जी की वेद वाटिका थी।वह नष्ट हुई। सन ५२६ में रोमनो ने बृहद ब्रिटन पर आक्रमण किया।राजसत्ता को धर्मान्तरित कर राष्ट्र को ख्रिश्च्यन बनाया।ब्रिटिश राज ने वेटिकन सेना के रूप में विश्व पर सत्ता स्थापित की, अमेरिका पर सोलहवी शताब्दी में झंडा लहराया।अब रोमन साम्राज्यवादी ब्रिटन-अमेरिका की आड़ में विश्व पर धार्मिक-आर्थिक-सांस्कृतिक-सामरिक कब्ज़ा बनाये है।वधस्तंभ पर लटकाया येशु (प्रेत) पुजनीय बनाकर रोमन लोमडिचाल चल रहे है।हिन्दू राज्यसत्ता का अभाव हमें कहा ले जायेगा ? रोमन संस्कृति की आधुनिकता से बहन-बच्चिया बाहर निकले।ख्रिसमस मनाने के लिए सरकार बलात्कार के विरोध में उठ रही चीत्कार कुचल रही है।फिर भी ये संस्कृति हिन कुछ आंदोलक कल हैपी ख्रिसमस-न्यू ईयर कहेंगे ?<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRvUPwfIHWbQisU6fWpUcCrtWqlKm6zFMG6cAzm4AQFhyAURAvh5dGTda4looDCrlFYB1FIou5ZnXd3czhj6cUye0KUXeG0GN2KSaslxKvDySkkHs3xcrEpkNx6KfgwAF_XsXB6MXprzWo/s1600/Yeshu+with+wife+Merry.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRvUPwfIHWbQisU6fWpUcCrtWqlKm6zFMG6cAzm4AQFhyAURAvh5dGTda4looDCrlFYB1FIou5ZnXd3czhj6cUye0KUXeG0GN2KSaslxKvDySkkHs3xcrEpkNx6KfgwAF_XsXB6MXprzWo/s1600/Yeshu+with+wife+Merry.jpg" width="300" /></a></div>
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See it Link :<br />
http://aajtak.intoday.in/story/female-student-katherine-oconnor-arrested-for-dressing-up-as-pope-naked-from-waist-down-and-handing-out-condoms-1-730385.html</div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-80009924120721215772014-12-07T20:42:00.001-08:002016-04-10T23:25:01.591-07:00मुसलमानों ने साक्ष दिए है,ऐसे मंदिर को "बाबरी" का कलंक लगाकर ध्वस्त करना क्या यहीं हिंदुत्ववाद है ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
प्रभु श्रीराम की स्मृती में उनके पुत्र लव कुश ने श्रीराम जन्मस्थान पर ८४ कसोटी के ८४ स्तंभ लगाकर भव्य मंदिर बनाया था। जो,रामकोट नामसे भी जाना जाता था। नंदवंश के कालतक श्रीराम जन्मस्थान मंदिर का वैभव अक्षुण्ण बना रहा। ईसापूर्व तीनसौ वर्ष यूनानी आक्रमण आरंभ हुए। सिकंदर की जगज्जेता बनने की इच्छा पंजाब के १७ गणराज्यों ने संगठीत प्रत्याक्रमण के साथ धराशाई की। मिनेंडर ने मार्ग बदलकर आक्रमण किया और वैष्णव मंदिर ध्वस्त करते हुए वैष्णव पंथ के अंगभूत पंथ को अलग किया। हिंदुत्व और भारतीयता को नष्ट करने के लिए सभी पंथ का मूल इक्ष्वाकु कुल के श्रीराम के मंदिर को ध्वस्त करना आवश्यक समझा। हिन्दुओं के प्रबल विरोध के पश्चात भी मंदिर ध्वस्त हुआ। उपरोक्त हार के कारण सभी हिन्दू अपने भेद नष्ट करके संगठीत होकर तीन महीने के संघर्ष के पश्चात शुंग वंशीय राजा द्युमत्सेन ने मिनेंडर को परास्त किया और मार गिराया। फिर भी कुषाणों के आक्रमण बारंबार होते रहे,इसलिए श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर बनाने में बाधा आती रही।<br />
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ईसापूर्व सौ वर्ष महाराजा विक्रमादित्य के बड़े भाई भर्तृहरि ने राज्य छोड़कर संन्यास लिया,गुरु गोरखनाथ महाराज के शिष्य बने। विक्रमादित्य महाराज ने श्रीराम जन्मस्थान के अवशेष खोदकर वहां मंदिर का पुनर्निर्माण किया। इसके स्तम्भों का उल्लेख 'वंशीय प्रबंध' तथा 'लोमस रामायण' में मिलता है। प्रभु श्रीराम की श्यामवर्ण मूर्ति थी। इस प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा राम नवमी को उत्सव के साथ की गई।<br />
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इस्लाम के उद्भव के कारण अनेक आक्रमण बृहत्तर भारत ने झेले। सन १०२६ सोरटी सोमनाथ मंदिर पर महमूद गझनवी ने आक्रमण कर ध्वस्त किया तो,उसके भांजे सालार मसूद ने १०३२ में 'सतरखा' (साकेत) जीता और अयोध्या पर आक्रमण किया। मंदिर ध्वस्त करने के कारण अनेक राजाओं ने मिलकर उसे भागने पर विवश किया। राजा सुहेलदेव पासी ने उसका पीछा किया और सिंधौली-सीतापुर में सय्यद सालार मसूद के पांच सिपहसालार मार गिराए। वहीं उनको दफनाकर पासी राजा मसूद के पीछे पड़ा। मात्र अब इनकी कब्र को मजार कहकर " पंचवीर " कहा जा रहा है।<br />
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मसूद के जीवनीकार अब्दुर्रहमान चिश्ती ने लिखा है, सुहेलदेव ने अनेक राजाओं को पत्र लिखा था। य़ह मातृभूमी हमारे पूर्वजों की है और यह बालक मसूद हमसे छिनना चाहता है।जितनी तेजी से हो सके आओ,अन्यथा हम अपना देश खो देंगे। यह पत्र सालार के हाथ लगा था और भागने की तयार था।पासी राजा के नेतृत्व में लडने १७ राजा सेना लेकर आए।इनमें राय रईब,राय अर्जुन,राम भिखन,राय कनक,राय कल्याण,राय भकरू,राय सबरू,राय वीरबल,जय जयपाल,राय श्रीपाल,राय हरपाल,राय प्रभू,राय देव नारायण और राय नरसिंह आदी पहूंचे।बहराइच से ७ कोस दूर प्रयागपुर के निकट घाघरा के तटपर महासमर हुवा।चारों ओर से घेरकर, रसद तोडकर कई दिनों के युध्द पश्चात् १४ जून १०३३ को सालार मसूद मारा गया।चूनचूनकर मुसलमान लुटेरों को मारा गया।सालार मसूद को जहां दफनाया उस कब्र को अब मजार कहकर मुसलमान धार्मिक प्रतिष्ठा दे रहे है।<br />
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इस ध्वस्त मंदिर को गढवाल नरेश गोविंदचंद्र शैव (१११४-५४) ने ८४ कसोटी के पत्थर भेजकर अपने सामंत कनौज के नयचंद द्वारा बनवाया।इस मंदिर में दर्शन करने गुरूश्री नानकदेव बेदी अपने मुसलमान शिष्य मरदाना के साथ आएं थे।इस मंदिर का व्यवस्थापन श्री पंच रामानंदीय निर्मोही आखाडे के पास था तब मीर बांकी ने मंदीर पर आक्रमण किया था।१,७२,००० हिंदू मंदिर बचाते मारे गए तब, निर्मोही आखाडे के पुजारी श्यामानंद ने मुर्तीयां शरयु नदी के लक्ष्मण घाट के निचे छुपा दी थी।मीर बांकी ने मंदिर प्रवेश को रोक रहे श्यामानंद का शिर कांटकर प्रवेश किया और बुतशिकन का ओहदा पाने से वचित मीर ने तोप से मंदिर ध्वस्त किया।इस मलबे से चुनकर स्तंभोंपर जो वास्तू खडी की उसमें कभी नमाज नहीं हो सकी।कयोंकि,स्तंभोंपर बुत-मुर्तीयां थी।<br />
७८ बल्वों के साथ मंदिर का अधिपत्य निर्मोही आखाडे के पास रहा।२४ दिसंबर १९४९ को मंदिर कलंकमुक्त हुआ।मंदिर में मुर्तीयां रखने का आरोप छह निर्मोहीयों पर लगा,निर्दोष छुटे।<br />
हिन्दू महासभा १९४९ अयोध्या आन्दोलन के पश्चात् यह मंदिर न्यायालय संरक्षित है।१९५०-५१ हिन्दू महासभा फ़ैजाबाद जिला अध्यक्ष ठा गोपाल सिंग विशारद द्वारा चली ३ / १९५० दिवाणी, न्यायालयीन कार्यवाही में अयोध्या परिसर के १७ राष्ट्रिय मुसलमानों ने कोर्ट में दिए हलफनामे का आशय,<br />
*"*हम दिनों इमान से हलफ करते है की,बाबरी मस्जिद वाकई में राम जन्मभूमि है।जिसे शाही हुकूमत में शहेंशाह बाबर बादशाह हिन्द ने तोड़कर बाबरी बनायीं थी।इस पर से हिन्दुओ ने कभी अपना कब्ज़ा नहीं हटाया।बराबर लड़ते रहे और इबादत करते आये है।बाबर शाह बक्खत से लेकर आज तक इसके लिए ७७ बल्वे हुए।सन १९३४ से इसमें हम लोगो का जाना इसलिए बंद हुवा की,बल्वे में तीन मुसलमान क़त्ल कर दिए गए और मुकदमे में सब हिन्दू बरी हो गए।कुरआन शरीफ की शरियत के मुतालिक भी हम उसमे नमाज नहीं पढ़ सकते क्योंकी,इसमें बुत है।इसलिए हम सरकार से अर्ज करते है की,जो यह राम जन्मभूमि और बाबरी का झगडा है यह जल्द ख़त्म करके इसे हिन्दुओ को दिया जाये।" वली मुहमद पुत्र हस्नु मु.कटरा ; अब्दुल गनी पुत्र अल्ला बक्श मु.बरगददिया ;अब्दुल शफुर पुत्र इदन मु.उर्दू बाजार ; अब्दुल रज्जाक पुत्र वजिर मु.राजसदन ; अब्दुल सत्तार पुत्र समशेर खां मु.सैय्यदबाड़ा ;शकुर पुत्र इदा मु.स्वर्गद्वार ; रमझान पुत्र जुम्मन मु.कटरा ; होसला पुत्र धिराऊ मु.मातगैंड ; महमद गनी पुत्र शैफुद्दीन मु.राजा का अस्तंबल ; अब्दुल खलील पुत्र अब्दुरस्समद मु.टेडी बाजार ; मोहमद हुसैन पुत्र बसाऊं मु.मीरापुर डेरा बीबी ; मुहम्मद जहाँ पुत्र हुसैन मु.कटरा ; लतीफ पुत्र अब्दुल अजीज मु.कटरा ; अजीमुल्ला पुत्र रज्जन मु.छोटी देवकाली ; मोहम्म्द उमर पुत्र वजीर मु.नौगजी ; फिरोज पुत्र बरसाती मु.चौक फ़ैजाबाद ; नसीबदास पुत्र जहान मु.सुतहटी<br />
<br />
* टांडा निवासी नूर उल हसन अंसारी की अर्जुनसिंग को दी साक्ष*,"मस्जिद में मूर्ति नहीं होती इसके स्तंभों में मुर्तिया है।मस्जिद में मीनार और जलाशय होता है वह यह नहीं है।स्तंभों पर लक्ष्मी,गणेश और हनुमान की मुर्तिया सिध्द करती है की,यह मस्जिद मंदिर तोड़कर बनायीं गयी है।"<br />
<br />
* कुरआन को समझनेवाले सुलतानपुर के विधायक मुहम्मद नाजिम ने मुसलमानों को किया आवाहन :- "बाबरी मस्जिद के मुतालिक मुसलमानों के बहुत से ऐसे बयानात मैंने अखबारात में पढ़े है। किसी ने इस काम को करनेवालों को जालिम कहां है। किसी ने फसादी और किसीने तो,बढकर गुंडा कहा है। यह उन मुसलमानों के बयानात है जो,महमूद गजनवी के इस जुमले को सदैव गर्व से दुहराया करते है कि,बुतपरस्त नहीं बल्कि बुतशिकन हूँ। यह बात आज तक मेरी समझ में नहीं आयी कि,जिस काम को करके एक मुसलमान गाजी का लक़ब पा सकता है उसी काम को करके एक हिन्दू गुंडा कैसे हो सकता है ? अभी भी वक्त है कि,हिन्दुस्थान के कुछ समझदार हिन्दू और मुसलमान इस काम को हाथ में लेकर मोहब्बत,रबादारी और इंसानियत को दरमियान में लेकर एक दूसरे की इबादतगाहों को वापस करने की बात सोचे। इससे हमारे सभी भाई जो दोनों कौमों के मध्य खंदक बना गए है ,वह पट जाएगी। "<br />
माननीय न्यायालय का आदेश है की ,*"मेरे अंतिम निर्णय तक मूर्ति आदि व्यवस्था जैसी है* वैसे *ही सुरक्षित रहे और सेवा,पूजा तथा उत्सव जैसे हो रहे थे वैसे ही होते रहेंगे।*"<br />
पक्षकार हिन्दू महासभा की मांग पर १९६७ से १९७७ के बिच प्रोफ़ेसर लाल के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग के संशोधक समूह ने श्रीराम जन्मभूमि पर उत्खनन किया था। इस समिती में मद्रास से आये<br />
*संशोधक मुहम्मद के.के.भी आएं थे, वह लिखते है कि,*<br />
,"वहा प्राप्त स्तंभों को मैंने देखा है। JNU के इतिहास तज्ञोने हमारे संशोधन के एक ही पहलु पर जोर देकर अन्य संशोधन के पहलुओ को दबा दिया है।मुसलमानों की दृष्टी में मक्का जितना पवित्र है उतनी ही पवित्र अयोध्या हिन्दुओ के लिए है।मुसलमानों ने राम मंदिर के लिए यह वास्तु हिन्दुओ को सौपनी चाहिए।उत्खनन में प्राप्त मंदिर के अवशेष भूतल में मंदिर के स्तंभों को आधार देने के लिए रची गयी इटोंकी पंक्तिया,दो मुख के हनुमान की मूर्ति,विष्णु,परशुराम आदि के साथ शिव-पार्वती की मुर्तिया उत्खनन में प्राप्त हुई है।"<br />
भाजप-विहिंप ने,रामानंदीय निर्मोही आखाड़े का श्रीराम जन्मस्थानपर १९४९ पूर्व से अधिकार होने की साक्ष देनेवाले देवकीनंदन अग्रवाल को "रामसखा" बनाकर अपनी कब्जे की दृष्ट बुध्दी का परिचय देने के पश्चात् रुकना चाहिए था। सरकारी वेतन से कार्यरत चार पुजारी-एक रिसीव्हर और दर्शन-भोग-उत्सव हो रहे मंदिर के श्री एन डी तिवारी-बुटासिंग के हाथों शिलान्यास हुआ है। मुसलमानों ने साक्ष दिए है। कुराण भी ऐसे स्थानपर मस्जिद को अमान्य करता है। ऐसे मंदिर को राजनीतिक-आर्थिक षड्यंत्र के लिए "बाबरी" का कलंक लगाकर राष्ट्रद्रोहियों को संगठीत करना और मंदिर ध्वस्त कर देश-विदेश के हिन्दुओं को सांप्रदायिक दंगे में झोंकना क्या यहीं हिंदुत्ववाद है ? इनकी राजनीती के कारण बने बनाये समझौते नष्ट हो रहे है। श्रेय-कब्ज़ा-बटवारा की राजनीती कर रही भाजप-विहिंप के कारन मुस्लिम पक्ष सबल होकर निर्णय बदल रहा है। इसके लिए संसद में कानून का कोई औचित्य नहीं !<br />
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Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-75772687052720419942014-08-20T01:47:00.000-07:002016-05-28T09:41:17.237-07:00हिन्दुराष्ट्र को हिन्दू राजसत्ता से उपेक्षित रखनेवाले दोषी !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
हिंदू शब्द भारतीय विद्वानों के अनुसार ४००० वर्ष से भी पुराना है।<br />
शब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है ,में मन्त्र- "हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:"<br />
अर्थात हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है।<br />
<br />
इसी प्रकार "अदभुत कोष" में मन्त्र है, "हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने"।<br />
अर्थात हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।<br />
<br />
वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी)में मन्त्र,"हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:। वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्। "<br />
अर्थात जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।<br />
<br />
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं।तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।<br />
अर्थात हिमालय पर्वत से लेकर इंदु(हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस क्षेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।<br />
<br />
पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन अवेस्ता ग्रन्थ में लिखा है कि,<br />
"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।<br />
अर्थात व्यास नमक एक ब्राह्मण हिंद से आया जिसके बराबर कोई बुध्दिमान नही था।<br />
<br />
इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद साहब से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,............................<br />
<br />
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥<br />
अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है।<br />
<br />
उरूल उकुल काव्य संग्रह के पृष्ठ २३५ पर उमर बिन हश्शाम लिखते है,<br />
"व सहबी के याम फिम कामिल हिन्दे मौमन यकुलून न लाजह जन फइन्नक तवज्जरू"<br />
अर्थात-हे प्रभो,मेरा संपुर्ण जीवन आप ले लो परंतु,एकही दिन क्यों न हो मुझे हिन्दुस्थान में अधिवास मिलने दो। क्योकि,वहां पहुंचकर ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ती हो सकती है।<br />
<br />
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।<br />
महाकवि चन्द्र बरदाई....................जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।<br />
<br />
जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है की हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है।<br />
इन हजारों तथ्यों के अलावा भी लाखों तथ्य इस्लाम के लूटेरों ने तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों को नष्ट करके समाप्त कर दिए है।<br />
<br />
मात्र श्री मोहनराव भागवतजी के पूर्व द्वितीय सरसंघ चालक महोदय ने इसका ज्ञान होते हुए भी सावरकरजी जिन्होंने<br />
"आसिंधुसिंधु पर्यन्ता यस्य भरतभूमिका। पितृभूः पूण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितिस्मृतः ।।" आख्या बनाई<br />
इस आख्या को आद्य सरसंघ चालक ने भी स्वीकार किया था उसे नकारा।द्वितीय सरसंघ चालक महोदय ने सावरकर-हिन्दू महासभा विरोध के लिए १९४६ के चुनाव में नेहरू का साथ देकर अखंड भारत पर विभाजन का बोझ डाला।<br />
सन १९३९ कोलकाता अधिवेशन में वीर सावरकर राष्ट्रीय अध्यक्ष,डॉक्टर हेडगेवार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,राजे घटाटेजी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य चुने गये तो,हिंदू महासभा भवन कार्यालय मंत्री गुरु गोळवलकर महामंत्री पद का चुनाव हार का ठीकरा सावरकरजी पर फोडकर हिंदू महासभा-सावरकर विरोधी बने थे।<br />
<b> १९४९ चुनाव में कांग्रेस तीसरे क्रमांक पर थी। सावरकर-गोळवलकर प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाकर सत्ता पिपासु नेहरू ने हिंदू महासभा का "अखंड भारत" का वचन गुरुजी को देकर समर्थन मांगा। गुरुजी ने नेहरू का खुला समर्थन घोषित कर संघ स्वयंसेवक हिन्दू महासभा प्रत्याशियो को अंतिम क्षण नामांकन वापस लेने का आदेश दिया। परिणामतः वैकल्पिक प्रत्याशी उतारना असंभव होकर १६ % वोट पाकर हिंदू महासभा पराजित हुई। हिंदू प्रतिनिधी के रूप में काँग्रेस को संघ समर्थन के कारण विभाजन करार पर हस्ताक्षर करने निमंत्रित किया गया।</b>विभाजन केवल हिन्दुराष्ट्र के कारन हुआ है। धार्मिक अल्पसंख्य लोगों को पाकिस्तान देने के पश्चात भी यह "हिन्दुराष्ट्र" है।क्योंकि,धर्मनिरपेक्षता की नींव संवैधानिक समान नागरिकता लागु नहीं है।यहां केवल "हिन्दू राजसत्ता" नहीं है और भाजप समर्थक संगठन "हिन्दू महासभा" को केवल इस ही लिए उभरने नहीं दे रहे है।<b>हिन्दू महासभा नेता वीर सावरकरजी ने ९ अगस्त १९४७ को सर्व दलीय हिन्दू राजसत्ता की मांग की थी।</b><br />
अखिल भारत हिन्दू महासभा के अकेले विरोध के पश्चात् अखंड हिन्दुस्थान विभाजन की पार्श्वभूमी पर केन्द्रीय कार्यालय,हिन्दू महासभा भवन,मंदिर मार्ग,नई दिल्ली -१ पर दिनांक ९ अगस्त १९४७ दोपहर ४ से रात्रि ९ हिन्दू नेता-संस्थानिको की संयुक्त परिषद तथा अखिल भारत हिन्दू महासभा की राष्ट्रिय कार्यकारिणी की बैठक प्रभात में ९ से १२ तक संपन्न हुई थी।राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ.ना.भा.खरे तथा पं.श्री.मौलीचन्द्र शर्माजी ने यह बैठक आयोजित की थी।इस बैठक में वीर सावरकरजी के साथ अमर हुतात्मा पं.नथूराम गोडसे तथा दैनिक हिन्दूराष्ट्र के संचालक श्री.नाना आपटे जी हवाई जहाज से दिनांक ८ को दिल्ली आये थे। हिन्दू परिषद के परिपत्रक में लिखा बैठक का उद्देश यह था, "<br />
<b>१] खंडित हिन्दुस्थान के नागरिकोंको समान अधिकार परन्तु, प्रस्तावित पाकिस्तान में हिन्दू जाती-पंथिय जैसे 'समाधान (?) पूर्वक' रहेंगे वैसे ही मुस्लमान यहाँ भी रहेंगे</b><br />
<b>२] हिन्दुस्थान के सभी अधिकार के पद तथा विशेष संरक्षण, नगर रक्षण,राजनितिक और यातायात विभाग में मुसलमानोंको अधिकार पद न दिया जाये।</b><br />
<b>३] हिन्दुस्थान के युवाकोंको सैनिकी शिक्षा अनिवार्य</b><br />
<b>४] पाकिस्तान के मुस्लिमेतर नागरिकोंको हिन्दुस्थान का नागरिक माना जायेगा।</b><br />
<b>५] हिंदी भाषिक प्रान्तोंमे शिक्षा का माध्यम देवनागरी लिखित हिंदी ; अन्य प्रान्तोमे शिक्षा का माध्यम प्रांतीय भाषा-लिपि रहेगी परन्तु,प्रशासकीय और न्यायदान के लिए राष्ट्रभाषा हिंदी को मान्यता होगी।</b><br />
<b>६]गो वध बंदी तत्काल प्रभाव से लागु हो।</b><br />
<b>७]हिन्दू धर्मस्थान और तीर्थस्थानो की सुरक्षा</b><br />
<b>८] अज्ञानतावश या बलात्कार से धर्मांतरितोंका इच्छानुसार शुध्दिकरण</b><br />
<b>९] हिन्दू जाती-पंथ में सवर्ण-अवर्ण ऐसा भेद किये बिना सभी को समानता के साथ प्रश्रय</b><br />
<b>१०]सभी को समान अवसर और संपत्ति का समान वितरण</b><br />
<b>११]बलवंत अखंड हिन्दुस्थान की निर्मिती के लिए सभी संस्थानिक हिन्दुस्थान में समाविष्ट हो।</b><br />
<b>१२] हिन्दुस्थान का ऐक्य और अधिक दृढ़ करने के लिए भाषिक सिध्दांत पर प्रान्त की पुनर्रचना।</b><br />
<b> इन मुद्दोपर सभी की एक राय बनी और संस्थानिकोने इसे मान्य किया। </b> <br />
दिनांक १० अगस्त १९४७ को प्रभात में ८ से दोपहर १ बजे तक धर्मचक्र अंकित तिरंगा,राष्ट्रध्वज और कुंडलिनी कृपाण अंकित अखिल हिन्दू ध्वज पर चर्चा हुई, सावरकरजी ने कहा ' यथा माम् प्रपद्यन्ते ' यही हमारा सिध्दांत हो ! हम दुसरे ध्वज का अपमान तब तक नहीं करेंगे जब तक उनसे हमारा ध्वज अवमानित नहीं किया जाता।सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है। " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए !", "रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी,ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है।इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर मुसलमान अपनी मांगे रखते रहेंगे।उसका अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान हुए बिना नहीं रहेंगे।उनकी ऐसी मांगो को जैसे को तैसा उत्तर देकर नष्ट करना होगा।रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा।इसलिए ' हिन्दुओंको पक्षभेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य' संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " कहा था।इसे संघ नेतृत्व ने नेहरू के समर्थन में अनुलक्षित किया। इसके पश्चात सामने आया ..........<br />
<b>अखंड पाकिस्तान का लक्ष</b><br />
लाहोर से प्रकाशित मुस्लिम पत्र 'लिजट' में अलीगढ विद्यालय के प्रा.कमरुद्दीन खान का एक पत्र प्रकाशित हुवा था जिसका उल्लेख पुणे के दैनिक ' मराठा ' और दिल्ली के "ओर्गनायजर" में २१ अगस्त १९४७ को छपा था। सरकार के पास इसका रेकॉर्ड है।" हिन्दुस्थान बट जाने के पश्चात् भी शेष भारत पर भी मुसलमानों की गिध्द दृष्टी किस प्रकार लगी हुई है,लेख में छपा था चारो ओर से घिरा मुस्लिम राज्य इसलिए समय आनेपर हिन्दुस्थान को जीतना बहुत सरल होगा।"<br />
कमरुद्दीन खा अपनी योजना को लेख में लिखते है, " इस बात से यह नग्न रूप में प्रकट है की ५ करोड़ मुसलमानों को जिन्हें पाकिस्तान बन जाने पर भी हिन्दुस्थान में रहने के लिए मजबूर किया है , उन्हें अपनी आझादी के लिए एक दूसरी लडाई लड़नी पड़ेगी और जब यह संघर्ष आरम्भ होगा ,तब यह स्पष्ट होगा की,हिन्दुस्थान के पूर्वी और पश्चिमी सीमा प्रान्त में पाकिस्तान की भौगोलिक और राजनितिक स्थिति हमारे लिए भारी हित की चीज होगी और इसमें जरा भी संदेह नहीं है की,इस उद्देश्य के लिए दुनिया भर के मुसलमानों से सहयोग प्राप्त किया जा सकता है. " उसके लिए चार उपाय है। <br />
१)हिन्दुओ की वर्ण व्यवस्था की कमजोरी से फायदा उठाकर ५ करोड़ अछूतों को हजम करके मुसलमानों की जनसँख्या को हिन्दुस्थान में बढ़ाना।<br />
२)हिन्दू के प्रान्तों की राजनितिक महत्त्व के स्थानों पर मुसलमान अपनी आबादी को केन्द्रीभूत करे। उदाहरण के लिए संयुक्त प्रान्त के मुसलमान पश्चिम भाग में अधिक आकर उसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र बना सकते है.बिहार के मुसलमान पुर्णिया में केन्द्रित होकर फिर पूर्वी पाकिस्तान में मिल जाये। <br />
३)पाकिस्तान के निकटतम संपर्क बनाये रखना और उसी के निर्देशों के अनुसार कार्य करना।<br />
४) अलीगढ मुस्लिम विद्यालय AMU जैसी मुस्लिम संस्थाए संसार भर के मुसलमानों के लिए मुस्लिम हितो का केंद्र बनाया जाये।क्या यह कथित हिन्दू संगठनों के विस्मरण में चला गया था ?<br />
<br />
गांधी वध के पश्चात हिन्दू महासभा और संघ के नेता-कार्यकर्ता धरे गए। सावरकरजी को फ्रेम करने का नेहरू का प्रयास डॉक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी और डॉक्टर आंबेडकर के सूझबूझ से विफल हुआ।तब मुखर्जी पर नेहरू ने "अखिल भारत हिन्दू महासभा" से "हिन्दू" शब्द हटाकर गैर हिन्दू सदस्यता खुली करने का दबाव बनाया। वीर सावरकरजी के विरोध के कारन नेहरू ने मंत्री पद से त्यागपत्र देने का दबाव बनाया।सन १९४९ अयोध्या आंदोलन में हिन्दू महासभा को मिली सफलता जनाधार में न बदले इसलिए अयोध्या में मंदिर के समर्थक सरदार पटेल ने गुरु गोलवलकर को तिहाड़ से मुक्त करने के ऐवज में कांग्रेस-नेहरू मुक्त भारत के लिए नए दल के निर्माण का वचन लिया। <b>गुरूजी के आदेश से उत्तर भारत संघ चालक बसंतराव ओक को डॉक्टर मुखर्जी के पीछे छोड़कर उनके नेतृत्व में "हिन्दू महासभा" तोड़कर "जनसंघ" बनाया गया।</b><br />
इसपर गोलवलकरजी के निकटवर्ती स्वयंसेवक,पत्रकार,लेखक गंगाधर इन्दूरकरजी ने "रा स्व संघ-अतीत और वर्तमान" पुस्तक लिखी है। वह लिखते है,<b>"वीर सावरकरजी की सैनिकीकरण की योजना के विरोध का कारन,यह भी हो सकता है कि,उन दिनों भारतभर में और खासकर महाराष्ट्र में वीर सावरकरजी के विचारों की जबरदस्त छाप थी। उनके व्यक्तित्व और वाणी का जादू युवकोंपर चल रहा था। युवक वर्ग उनसे बहुत आकर्षित हो रहा था ऐसे में,गोलवलकरजी को लगा हो सकता है कि,यह प्रभाव इसप्रकार बढ़ता गया तो,युवकों पर संघ की छाप कम हो जाएंगी। संभवतः इसलिए हिन्दू महासभा और सावरकरजी से असहयोग की नीति अपनाई हों।" इस विषयपर इन्दूरकरजी ने संघ के वरिष्ठ अधिकारी अप्पा पेंडसे से हुई वार्तालाप का उल्लेख करते हुए लिखा है कि,"ऐसा करके गोलवलकरजी ने युवकोंपर सावरकरजी की छाप पड़ने से तो,बचा लिया। पर ऐसा करके गोलवलकरजी ने संघ को अपने उद्देश्य से दूर कर दिया।"</b><br />
<br />
वीर सावरकरजी के निर्देश पर उ प्र हिन्दू महासभा अध्यक्ष महंत श्री दिग्विजयनाथ महाराज,फ़ैजाबाद जिला हिन्दू महासभा अध्यक्ष ठाकुर गोपालसिंग विशारद तथा हिन्दू महासभाई निर्मोही संतों के सहयोग से सफल श्रीराम जन्मस्थान मंदिर १९४९ आंदोलन में छह रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के हिन्दू महासभाइयों पर मंदिर में मुर्तिया रखने का आरोप लगा और निर्दोष मुक्त भी हुए थे। इस अभियोग को १२ वर्ष के भीतर पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से सुन्नी वक्फ बोर्ड ने "हिन्दू महासभा द्वारा रखी गई मुर्तिया हटाने की याचिका " १९६१-६२ में लगाई थी।<br />
<br />
अ.भा.हिंदू महासभा अध्यक्ष नित्य नारायण बैनर्जी ने "विश्व हिन्दू धर्म संमेलन" का आयोजन महामहीम राष्ट्रपती डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णनजी की अध्यक्षता में सन १९६३ दिसंबर अंतिम सप्ताह विश्व हिंदू धर्म संमेलन-विज्ञान भवन-देहली में संपन्न किया।<br />
परम पूज्य श्री शंकराचार्य द्वारिका,पुरी,बद्रीनाथ और गोरखनाथ पीठ के महंत श्री दिग्विजयनाथजी महाराज,पंच पीठाधीश्वर पंडित श्रीराम शर्मा अनेक संत,महात्मा,महंत,साधू-संन्यासी उपस्थित थे। <br />
गुरु गोळवलकरजी ने सावरकरजी के समक्ष प्रस्ताव रखा कि,'हिंदू महासभा अब राजनीती छोड सांस्कृतिक-शुद्धीकरण के कार्य करे !' सावरकरजी ने कहा विभाजन को मान्यता देकर भी "हिंदुराष्ट्र" के समक्ष खडी समस्या का समाधान नहि निकला। इसलिये हिंदू राजनीती की आवश्यकता शेष है !'<br />
सावरकरजी के नकार को गुरुजी ने सन १९३९ से चल रहे व्यक्ती वर्चस्ववाद में "विश्व हिंदू धर्म संमेलन" को हायजैक कर के सावरकरजी के मकान सावरकर सदन के निकट वडाला में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सन १९६४ को "विहिंप" की स्थापना की। और अखिल भारत हिंदू महासभा संस्थापक सदस्य पं.मदन मोहन मालवीय तथा शेठ बिर्लाजी द्वारा श्रीकृष्ण जन्मभूमी मुक्ती तथा मंदिर निर्माण के लिये इकठ्ठा किये कोष से श्रीकृष्ण जन्मस्थान को विवादित छोडकर बगल में हवेली खरीदकर श्री केशवराय मंदिर बनवाया।इसे विवादित बनाए रखने के कारन,<br />
श्रीराम जन्मभूमी आंदोलन का वीर सावरकर के निर्देश पर नेतृत्व करनेवाले गोरक्ष पीठ महंत श्री दिग्विजयनाथ महाराज ने जनसंघ के आत्मघात पर अपने मृत्युपत्र में मेरा उत्तराधिकारी केवल "हिन्दू महासभाई" होगा ! लिखकर रखा था।भाजप ने चतुराई से इस कथित बाबरी आंदोलन का अध्यक्ष महंत श्री अवैद्यनाथ महाराज हिन्दू महासभा सांसद को सौपकर जो कार्य आरंभ किया इसके कारन हिन्दू महासभा उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद १९९१ कार्यकारिणी बैठक में उनके साथ अन्य ५ सदस्यों को निष्कासित किया था। मात्र योगी आदित्यनाथ महाराज भाजप के ध्वज और हिन्दू महासभा के बैनर पर चुनाव लड़ते रहे और १८ अक्तुबर १९९२ श्रीराम जन्मभूमी आंदोलक महंत श्री रामदास ब्रह्मचारी उनका विरोध करने के लिए हिन्दू महासभा के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे थे।१९९६ के चुनाव में हिन्दू महासभा को ७ स्थान छोड़कर हिन्दू महासभा के अजेंडे पर चुनाव में उतरी भाजप के नेता बाजपेई ने,"हिन्दू महासभा का पुनरुत्थान भाजप के लिए आत्मघात होगा !" कहकर छोड़ी गई ७ जगह पर अपने प्रतिनिधी खड़े कर विश्वासघात किया था।<br />
<br />
२६ जुलाई २००९ को श्रीराम जन्मस्थान के २३ मार्च १५२८ पूर्व से ६७:७७ भूमी के अधिपत्यधारी रामानंदीय निर्मोही आखाड़े की सन १८८५ से चल रही मालिकाना अधिकार की सुनवाई १९४९ अयोध्या आंदोलन की फाइल्स के अभाव में रुकी।जो,उ प्र एस डी ओ सुभाष भान साध के पास थी। २००० में लिबरहान आयोग में साक्ष देने जाते समय तिलक ब्रिज रेल स्थानक पर धक्का देकर फाइल्स गायब कर दी गयी है। ऐसा मुख्यमंत्री मायावती की प्रेस से पता चला। तो,घटना को परिणाम देने के लिए सहयोग करनेवाले को बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी का उपकुलगुरु बनाए जाने का षड्यंत्र भी उजागर हुआ है। हिन्दू महासभा उत्तर प्रदेश के षड्यंत्र के अनुसार अध्यक्ष बने के माध्यम से हिन्दू महासभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निष्कासित पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-अधिवक्ता के माध्यम से विहिंप ने याचिका लगवाकर ३० सप्तम्बर को उच्च न्यायालय द्वारा भाजप ने १९९१ में विवादित बनवाई २:७७ भूमि का १/३ निर्णय आनेवाला है ! यह ध्यान में रखकर भाजप नेता रविशंकर प्रसाद हिन्दू महासभा के अधिवक्ता के रूप में देश के सामने समर्थक ? बनकर उभरे थे।इसका हिन्दू महासभा ने विरोध किया था। अब मंदिर-मस्जिद समझौता- १/३ बटवारे के लिये सक्रिय "पलोक बसु समिती" का संयोजन तुलसी स्मारक-रामघाट-अयोध्या में होता रहा। हिन्दू महासभा ने वहां भी विरोध कर रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के अधिकार क्षेत्र की मांग की। श्रीराम जन्मभूमी कब्जाने के लिए ही, हिंदू महासभा को अपने हस्तको द्वारा नेतृत्व कब्जाने के लिए न्यायालयीन विवाद उल्झाकर समानांतर हिंदू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणीया बनाकर पहले भाजप-विहिंप समर्थक स्वामी चक्रपाणि,नंदकिशोर मिश्रा अब विहिंप केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य, रामानुज संप्रदाय के श्री त्रिदंडी जीयर स्वामी को आगे कर समानांतर हिन्दू महासभा की विहिंप राष्ट्रीय कार्यकारिणी ? सावरकर परिवार विरोधको के साथ मिलकर बनाई, संत महासभा बनाकर हिंदू महासभा भवन- श्रीराम जन्मस्थान मंदिर पर कब्जा करना हिंदू हित की राजनीती का दमन नहि हैं ? अंधश्रध्द हिन्दू गुमराह होते रहे और सत्य को झुठलाते रहने का यह दुष्परिणाम "हिन्दुराष्ट्र" भुगत रहा है। इसके लिए कही आप भी जिम्मेदार है ? मंथन करें !</div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-7092430020117092752012-07-25T14:44:00.000-07:002016-07-21T05:26:06.934-07:00अरबी साम्राज्यवाद का इस्लामी विस्तार रोको,हिन्दू संसद से !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho7PPAgL-BeJ74q55y8b-SztQWfJ14e6ZB4QsaDWHiUbHm1627cgLQs72wh2dSHt8C9OeTUpyvUhZNsG-QZoXQ7QLJ8h-m90RYpLctXI_ktsBJxIiHLfu7_i4R4Pl7S8P92gQOK8RugIH3/s1600/Shri+Ram+Mandir+6+Dic.1992.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="308" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho7PPAgL-BeJ74q55y8b-SztQWfJ14e6ZB4QsaDWHiUbHm1627cgLQs72wh2dSHt8C9OeTUpyvUhZNsG-QZoXQ7QLJ8h-m90RYpLctXI_ktsBJxIiHLfu7_i4R4Pl7S8P92gQOK8RugIH3/s400/Shri+Ram+Mandir+6+Dic.1992.jpg" width="400" /></a></div>
<br />
न्यायालय संरक्षित-शिलान्यासित श्रीराम जन्मस्थान को हिन्दू महासभा पूर्व सांसद स्वर्गीय बिशनचंद सेठ के के विरोध के पश्चात् भी बाबरी कहना नोट के लिए नहीं छोड़ा गया। १९९० मुलायम की सांठगांठ से कारसेवको पर गोलियां चलवाई। वहां कश्मीरी अलगाववादी संगठित हुए। हुर्रियत पैदा हुई। ६ दिसंबर१९९२ को मंदिर तोडा उसके दुष्परिणाम में राष्ट्रद्रोही संगठित हुए। दंगे-आगजनी पड़ोसी देशो से हत्याओ के पश्चात् हिन्दू स्थलांतरित हुए। १९९३ मुम्बई ब्लास्ट एक प्रतिशोध और हिन्दू जीवित हानी।<br />
<br />
विश्व स्तरपर मुस्लिम ब्रदरहुड के निर्देश पर <b> ७ अगस्त १९९४</b> को विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन में संपन्न हुवा।पारित प्रस्ताव, वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर <b>" निजाम का खलीफा "</b>
की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण का उद्देश्य दैनिक अमर उजाला
में दि.२६ अगस्त १९९४ को शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किया था।<br />
जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में
लिखा है,<b>" इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे
के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं
होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है।"</b> विश्व में जारी हिंसा आतंकवाद,अलगाववाद के पीछे अरबी साम्राज्यवाद की वहाबी-सुन्नी वर्चस्व की मनीषा।<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrvzDVnzvZV3mFiczh3ecQasV-sv7AhiJ5mNRnUT9jg27rUIlEGRhMdqHtBk-jguq1fYd4Nr4HhjMpiZ8z_rQAD4BMBrzdY5YMVIip6JBQQ-o5X0-KbSrKhGOscSRYV3WyHtjr7yLnswTI/s1600/Quran+Granth.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="213" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrvzDVnzvZV3mFiczh3ecQasV-sv7AhiJ5mNRnUT9jg27rUIlEGRhMdqHtBk-jguq1fYd4Nr4HhjMpiZ8z_rQAD4BMBrzdY5YMVIip6JBQQ-o5X0-KbSrKhGOscSRYV3WyHtjr7yLnswTI/s320/Quran+Granth.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
U.S.News & World Report नामक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक
मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी
नेताओ ने २६/११ मुंबई हमले के पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी.इस बैठक के
पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की थी.उनका <b>लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है.देश की सरकार गिरे जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए लोग सडको पर उतरे यही </b>उनका
उद्देश है."खंडित हिंदुस्थान को इस ही षड्यंत्र के अनुसार अस्थिर किया जा रहा है। मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन
लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते
थे.इस्त्रायल का विरोध करते थे.उसके पीछे केवल यहूदियों से ही लड़ना नहीं
था.विश्व की भू सत्ता संपादन का उद्देश था.जहा <b>स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था उसपर कब्ज़ा करना है</b>.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, <b>'
धीरज रखिये ! हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त
करना चाहते है.हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब
इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी
राज बहुत ही निकट है !"</b><br />
<b><br /></b>
इस्लामी पुरातनवादीयो
की विशेषता यह है की वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.जो मुस्लिम
राष्ट्र शरियत का राज स्थापित नहीं करता। विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित
करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी क्षमा नहीं करते। इजिप्त,काहिरा आदि
अरबी गण राज्य हो या इराक-सीरिया-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बांग्लादेश जहा मुस्लिम राष्ट है
वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है। वहा के अल्पसंख्यक
अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण-हत्याओ से त्रस्त है। जहा शिया अल्प संख्य है वहा
उनकी भी हत्या हो रही है। परन्तु, इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना
है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश होते हुए वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी
है.उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है। इस आधारपर कुछ विद्वान् सोचते है कि, <b>उनके आपसी विवाद इस्लामी राज
का उद्देश समाप्त करेगा ! </b>इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने तो
मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.रूस ने अपने पैर पर
कुल्हाड़ी मार ली है.इस्लामी विघटन के पश्चात् सीरिया में कुछ काम हो रहा है। चीन सरकार पाकिस्तानी-अफगानी आतंक को कुचलने में कोताही
नहीं करता.परन्तु विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में
कश्मीर-बंगाल-आसाम <b>सीमावर्ती क्षेत्र की गतिविधि जानते हुए भी अखंड पाकिस्तान की अलगाववादी राजनीती</b> को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर "छद्म हिन्दू" इफ्तार देकर करते है तब आश्चर्य होता है। <b>कश्मीर-बंगाल-आसाम के सन्दर्भ में अखंड हिन्दुस्थान में हिन्दू महासभा ने दी चेतावनी</b>
को द्विराष्ट्रवादी कहकर अपप्रचारित किया गया। आसाम-त्रिपुरा आदि बांग्ला
सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही घुसपैठ को अनदेखा करना घुसपैठियों को राष्ट्रीयता प्रदान
करना <b>सरकार का राष्ट्रद्रोह है</b> और इसके लिए ऐसे सत्ताधारी दल पर प्रतिबन्ध लगाने की शक्ति राष्ट्रभक्त सुनिश्चित करे।<br />
<br />
खंडित हिन्दुस्थान में विघटन-अलगाववादियों की घुसपैठ और<b> बढती जनसँख्या एक
चिंता का विषय</b> है। उसपर अध्ययन भी हुवा और प्रकाशित भी है।<br />
<b>सन १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन
गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था कि, ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या
समाप्त हो जाएगी। सन१९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ
को लुप्त होने में ४२० वर्ष ही लगेंगे। सन १९९३ एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और
एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दे रहे
है। १९९५ रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित
हिन्दुस्थान। जब की कुछ मुस्लिम नेता आगामी १८ वर्ष में सब कुछ समाप्त हो
जाने की बात करते है।</b> देखिये लिंक http://en.wikipedia.org/wiki/Muslim_population_growth<br />
<br />
सम्पूर्ण देश-प्रत्येक
राज्य मुसलमानों की बढती हिंसा-अपहरण-बलात्कार-लव जिहाद-हत्या-लूटपाट के चपेट में
है। हिन्दुओ ने प्रतिकार किया सशस्त्र प्रशिक्षा ली तो, उन्हें प्रतिबंधित करनेवाली सरकार और विदेशो में
हिन्दुओ के देश की छवि बिगाड़नेवाली मिडिया इस वास्तविकता का विपर्यास करने
में जुड़ जाती है। TV पर कभी सुना है ? विभाजनोत्तर आश्रयार्थी मुसलमान या घुसपैठियों ने दंगा फैलाया ! इसके लिए उन्हें आश्रय देनेवाली
सरकार भी जिम्मेदार है .विशेष तो यह है कि, हिन्दुओ में असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म
निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने नहीं देते। <b>संविधानिक की धर्म निरपेक्षता की राजनितिक आख्या समान नागरिकता
के बिना अधूरी है।इसलिए यह विभाजनोत्तर हिंदुराष्ट्र है ! </b>सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया
संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र में समान नागरिकता का अधिकार ; कथित हिन्दुओ ने द्वितीय कांग्रेस के निर्णय पर छोड़ दिया है। राष्ट्रीयता में विषमता अस्थाई आरक्षण व्यवस्था की निरंतरता से उपजी है ! इसलिए, <b>भविष्यत् लोकसभा चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे ! </b><br />
<b><br /></b>
१९४६ के असेंबली चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम मतों के विभाजन के कारन कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति
इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने कांग्रेस का खुला
समर्थन किया। संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने गुरूजी का
आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और गोलवलकरजी के समर्थन के कारण ही
कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला। हिन्दू
पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये।<br />
<br />
विभाजन की
पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू महासभा भवन ,मंदिर मार्ग,नई
दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर
सावरकरजी की अध्यक्षता में हिन्दू परिषद् संपन्न हुई ; सावरकरजी ने कहा,<b>"
अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व
पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना
चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का
युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात
की धमकिया देकर मुसलमान अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो
इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को
तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए "
हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और
देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! "</b> कहा.<br />
<br />
विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम
की धन सत्ता इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य पर केन्द्रित निर्भर है इस ही लिए महँगी भी
हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते उनको आर्थिक
सहायता और महंगाई होगी और उसे रोकना हमारे हाथ में है।<br />
<br />
<b>देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर
बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर राष्ट्रवाद की एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है,
न्यायालय की सूचना के बाद भी संविधानिक समान नागरिकता को </b>नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस-२ कहा था,वह सत्य हुवा है।<br />
<br />
<b>भाजप
के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद
अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव का मूक समर्थन किया.१२ मई २०१२
को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोग कर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह
पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आरक्षण का
कांग्रेस-भाजप समर्थको का प्रस्ताव बाबा ने रखा है. </b>रामदेव इस विषय का अध्ययन करे.
देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश
हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.<b>धर्मान्तरितो का दलितत्व धर्मान्तरण के पश्चात् भी समाप्त नहीं हुवा है तो उनके शुध्दिकरण का मार्ग खुला है !</b><br />
<b><br /></b>
संघ-सभा के पूर्व नेतृत्व सावरकर विरोधी गोलवलकर का व्यक्ति
वर्चस्ववाद का दुष्परिणाम अखंड हिन्दुस्थान को अनचाहे भुगतना पड़ा. इस <b>वर्तमान कालखंड में </b>गठबंधन की राजनीती में हिन्दू पक्ष-संगठनो की संयुक्त शक्ति से अखंड पाकिस्तान के
षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके,
धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकारा करने का भी अधिकार नही रहेगा और
उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर हमें जो
स्वाधीनता प्रदान की है वह निःष्फल हो जाएगी.लव जिहाद और बढती
राष्ट्रद्रोही जनसँख्या-घुसपैठ राष्ट्रिय त्रासदी बनी है.इसलिए <b>हमारा संयुक्त दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए "</b>सर्व दलीय<b> हिन्दू संसद " बनाये ! </b></div>
Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2430670330023659062.post-12050922678672890592012-07-14T15:38:00.001-07:002012-07-14T15:38:26.223-07:00अध्यात्म-विज्ञान की संयुक्त धारा संवर्धन करेगी !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
धर्मशास्त्र का स्वरुप,कार्य,दृष्टिकोण,पध्दती,महत्त्व और मर्यादा का विश्लेषण ग्रीक शब्द के अनुसार थिओलोजी अर्थात ईश्वर विषयक चर्चा का शास्त्र !<br />
अनेकेश्वरवाद में अनेक उपास्य देवताओ का अंतर्भाव होता है। तदनुसार उनकी उपासना,पूजा,प्रार्थना पध्दति,मुर्तिशास्त्र,पौराणिक कथा निर्माण होती है। व्रत वैकल्य पाप से मुक्ति तथा पुण्य कर्म से मोक्ष की कामना की जाती है। सभी दैवत एक ही परमेश्वर या परमात्मा की स्वरूपे है ऐसी श्रध्दा " एको देवः सर्वभूतेषु गुढः " इस भाव से प्रकट होती है तब एकेश्वरवाद प्रकट होता है। <br />
अरब्स्थान के सनातनी अनेक कबीलाई समूह मक्का को धार्मिक और आर्थिक केंद्र बनाकर क्षेत्र में व्यापार करते थे। मक्का में 100 योजन ऊँचे शिवलिंग के निकट 355 कबीलाई मुर्तिया थी। रोमनो ने यहुदियोंको धर्मान्तरित करने के लिए अमानवीय अत्याचार किये तब बचकर निकले यहूदी दमिश्क में संगठित हुए थे।वही संगठन और धार्मिक प्रवचन होते थे।इस्लाम के कथित प्रेषित उस समय दमिश्क में मालिक व्यापारी की मृत्यु के पश्चात् रुका था और नियमित प्रवचन सुनता था।रोमनो के अमानवीय अत्याचार से अरब्स्थान को बचाने के लिए सभी कबीलाई समूह को एकसंघ करने के लिए एकेश्वरवाद का प्रचार किया विरोध पर तलवार के बल पर 300 फिट ऊँचे शिवलिंग और उसके आसपास की भिन्न कबीलाई 355 मुर्तियोंको एकत्रित कर " काब्बा " बनाया उसकी परिक्रमा करने की परिपाठी डालकर वही पितरोंकी मुक्ति के लिए क्षौर (मुंडन) का नियम बनाया।अलिफ़+लाम+मीम=ॐ को "हरुफे मुक्तआत" कहकर ग्रंथिय धर्म परंपरा स्थापित की। एकेश्वरवाद स्थापित करने की यह सामाजिक उत्क्रांति थी इसे रोमनो के आक्रमण के भय से संगठित किया और उनके आक्रमण के पूर्व, विस्तारवादी आक्रमण का या साम्राज्यवाद का बीजारोपण हुवा। कबीलाई परंपरा को धर्माज्ञा कहकर प्रस्थापित किया गया।<br />
सनातन विश्व धर्म था; उसमे अनेक देवतावाद,एक ईश्वरवाद,सर्वेश्वरवाद और केवलवाद आदि स्थित्यंतर हुए।कबीलाई धर्म (ट्रायबल), राष्ट्रधर्म और विश्वधर्म ऐसे परिवर्तन दिखाई देते है।श्रेष्ठ धर्म प्रणालीयो में प्राचीन कालबाह्य प्रथा प्रकट होती है। धर्म का उगम जादू ,यातुविद्या में से हुवा होगा,अंधश्रध्दा के रूप में शेष है फिर भी सनातन धर्मं की मौलिक श्रेष्ठता मानव कल्याणकारी नैतिक मुल्योंके कारण "विश्व धर्म" कहने के योग्य है। श्रध्दा,परलोक निष्ठां,मानव कल्याणकारी प्रेरणा,आत्मिक अनुभूति की प्रत्यक्षता के कारण अंतर्बाह्य पावित्र्यभाव और अध्यात्मिक सत्ता के विषय में आस्था प्रकट होती है। डॉ.राधाकृष्णन कहते है, तौलनिक धर्म में सनातनी अंधश्रध्दा को स्थान नहीं परन्तु,वह अश्रध्दा बढाता नहीं।मानव की श्रध्दा को दृष्टी प्रदान करना और धर्म जीवन सहिष्णु करना तौलनिक धर्म का अप्रत्यक्ष कार्य है। (ईस्ट एंड वेस्ट इन रिलिजन,पृ.19)<br />
धर्म के तत्वज्ञान का अभ्यासक धर्म,संस्कृति,धर्मशास्त्र को अंधश्रध्दा से नहीं सश्रध्द भावना से देखता है।ईश्वरी अस्तित्व-कृपा और प्रेम के अनुभव संकलित कर महानुभावो के ध्येय, उनकी उपासना, त्याग से प्रेरणा लेते है। दैन्य,दुःख,पाप से दूर रहने या उसके निर्मूलन के साधन धर्माचरण में प्रत्युत होते है। परमसत्य का अनुभव लेने साधना करते समय विवेक वैराग्य,शमदम आदि का पालन,मुमुक्षुत्व के साथ योगाभ्यास, निष्काम कर्माचरण का अंतर्भाव करते है। प्रापंचिक या सार्वजनिक व्रत-त्यौहार में सामुदायिक पूजा-पाठ , प्रार्थना,तीर्थस्थल यात्रा का हेतु धार्मिक सद्गुण का विकास हो,उसकी अनुभूति होती रहे यही भावना है।वास्तविक धर्म और अधर्म क्या है ? इनका आकलन ठीक से न होने के कारण धार्मिक क्षेत्र में विभिन्न समस्या और संघर्ष उत्पन्न हुए है।स्वमत समर्थन और परमत खंडन करते समय ह्रुषी-मुनि-आचार्य-संत-महात्माओ ने सर्व समाज कल्याण की दृष्टी से जो कार्य किया है उसका अवलोकन करना चाहिए।<br />
धर्म का संस्कृति के अन्य घटकों से, जादू या यातुविद्या,विज्ञान,निति,कला और अध्यात्म से सम्बन्ध है। मनुष्य का धार्मिक जीवन का आरंभ संस्कृति और परम्पराओ से जुडा है। धर्म व विज्ञान का उगमस्थान यातुविद्या से सम्बंधित है। जादू मुख्यतः भ्रम मूलक क्रिया है इससे विपरीत यातुविद्या अर्थात 'अभिचार विद्या' ऐहिक-भौतिक पूर्ति के लिए निसर्ग शक्तियोंको वशीभूत कर किये जानेवाली गूढ़ रहस्यात्मक विधि विधानात्मक क्रिया।<br />
' एन्सायक्लोपीडिया ऑफ़ रिलिजन एंड एथिक्स ' भाग 8 पृष्ठ 245-321 में जादू-यातुविद्या पर बहुमोल संशोधन हुवा है। विश्व के सभी प्रमुख धर्म और प्रमुख मानवी संस्कृति में यातुविद्या का प्रभाव प्राचीन काल से है और धर्मजीवन इस विद्या से सम्मोहित था।रोगनिवारण,विषहरण,वशीकरण,धान की पैदावार,अधिकार प्राप्ति,युध्द में विजय,शत्रुनाश,द्रव्यलाभ आदि अनेक हेतु इस विद्या का प्रयोग होता था। इसकी भूमिका ऐहिक कामना पूर्ति की, उपयुक्तता वादी, सुखवादी होकर इसमें धर्म और नीति का स्थान गौण है। जारण-मारण-उच्चाटन-स्वरक्षा-आक्रमण आदि अनेकविध उद्दिष्ट हो सकते है। अविकसित-ग्रामीण धार्मिक जीवन का नेतृत्व तांत्रिक-मान्त्रिक करते है।गंडा-ताबीज-वनस्पति-पत्थर अविकसित धार्मिक जीवन के धर्म साधन बन जाते है।<br />
आदि वेद में यातुधान शब्द है जो उत्तर कालीन वांग्मय में 'राक्षस' वाचक बना। ह्रुषियोंको 'माया' विश्व की विधायक-रचनात्मक शक्ति मान्य है। उत्तरकालीन तत्वज्ञान की शक्ति उपासना,प्रकृतिवाद, त्रिगुणात्मिका माया का दृष्टिकोण विकसित हुवा।ह्रुषियो को काली जादू मान्य नहीं, राक्षसी-संहारक-पीड़ादायक विद्या का धिक्कार किया है।क्योंकि,उनके मत विश्वात्मक नैतिक मूल्योंपर श्रध्दासीन है और नीति के अधिष्ठान के बिना धर्म बांझ और दृष्टिहीन है।उपनिषदों में अंतर्भूत नीति व अध्यात्मशास्त्र के विकास के बीज यातुविद्या में नहीं। शिक्षा-संस्कार और संस्कृति के अध्ययन से अंधश्रध्दा का निर्मूलन होता है।मनुष्य का मन स्वभावतः अंधश्रध्दा शरण होता है। ग्रामीण मानसिकता अदृश्य योनी की पीड़ाकारक शक्ति से रक्षा हेतु यातुविद्या के अधीन हो जाती है।<br />
मानव से श्रेष्ठ दिव्य शक्ति से मानव तथा प्रकृति का नियंत्रण होता है। उसकी प्रार्थना-पूजा-स्तोत्र पठन- उपासना-याज्ञिक कर्म शरणागत होकर श्रध्दा-प्रेमभाव से करने से अनुभूति मिलती है। ईश्वर से शरण जाने के लिए सदगुरू की आवश्यकता होती है,आदरभाव-पावित्र्य भाव-कृतज्ञता वृत्ति से अधिकाधिक प्राप्ति होती है। क्षुद्र देवतो की, राक्षसी, पाशवी शक्ति की उपासना के धर्म को ' साधन मूल्य' कहते है।<br />
फ्रेझर के अनुसार, ' जादू विज्ञान की मायावी बहन है।' मेरेट कहते है,विज्ञान का चमत्कार पर विश्वास नहीं होता,विज्ञान का संबंध प्राकृतीक शक्ति से होता है उसका नियंत्रण प्रायोगिक उपकरणों से संचालित होता और जादू का नियंत्रण अतींद्रिय शक्ति के मांत्रिक से होता है।<br />
प्राचीन काल में मानवी जीवन निसर्गाधीन था। ज्ञान संपादन के साधन कम थे इसलिए, ज्ञानशक्ति का विकास हो न पाया उसकी सोच/ दृष्टी संकुचित अंधश्रध्द रही। इसलिए प्राचीन जीवन में धर्म-जादू-विज्ञान का मिश्रण दिखाई देता है। उस काल में धर्म जादू का तात्विक अंग था तो,जादू धर्म का व्यवहारिक, उपयोजनात्मक अंग था। जैसे जैसे अंधश्रध्दा कम होती गयी उसके प्रमाण में धर्म शुध्द होकर विज्ञान क्षेत्र स्वतंत्र हुवा। विकसित धर्म में यातुविद्या को अनैतिक,दुष्ट,अधर्मकारक समाज विरोधी,समाज घातक माना गया।<br />
धर्म और विज्ञान का उगम यातुविद्या से हुवा या नहीं यह वादग्रस्त विषय है। फिर भी यातुविद्या दोनों की जननी है ; ऐसा मानने में भी मतभेद है। आज की स्थिति में मानवी जीवन में धार्मिक वैज्ञानिक वर्तन में 'अंधश्रध्दा' शेष है। जादूटोना-अभिचार प्रयोग को आज भी स्थान है। क्यों की,विज्ञान कितना भी प्रगत हो जाये,धर्म पर जिनकी आस्था है वह अतीन्द्रिय शक्ति का शेष अनुभव करते है। प्रगत मानवी जीवन में ' ईश्वर ' को नैतिक अधिष्ठान प्राप्त है। इस जीवन को सामाजिक प्रतिष्ठा है और निजी स्तर पर अध्यात्मिक अनुभूति का आधार धर्म होता है।<br />
श्री पञ्च रामानंदीय निर्मोही अखाडा के नागा संत समर्थ श्री रामदास स्वामी जी ने अध्यात्म को केन्द्रित करते हुए 'वैज्ञानिक संशोधन पध्दति' विकसित की है। " श्री मत दासबोध " तथा " मनाचे श्लोक " इन ग्रंथो ने अपसमज,अपश्रध्दा,प्रमाद,भ्रम-आभास-चिंता-क्लेष-भय से मनुष्य की ज्ञानप्रक्रिया को शुध्द किया है। निजी दुजाभाव-पूर्वग्रह,मनुष्य सुलभ अपसमज,अशुभ संकेत इनसे मुक्त कर आतंरिक शोध के द्वारा अंतर्मल को शुध्द किया है।निष्क्रिय प्रारब्धवाद-दैववाद को पौरुषयुक्त-पराक्रमयुक्त जीवन जीने की विधायक वृत्ती (मानसिकता) मनुष्य में विज्ञानं से पूर्व संतो ने निर्माण की। किसी भी प्रकार की श्रध्दा जब सांप्रदायिक या पंथनिष्ठ बन जाती है तब वह अंधश्रध्दा बनने का संभव होता है।इसलिए श्रध्दा को सद्विवेक बुध्दी के सहकार्य से और व्यापक,सर्वसमावेशक सहिष्णु दृष्टिकोण की साथ मिली तो सत्य " सनातन " है क्यों की वह " नित्य नूतन " है। अपने निजी स्वभावधर्म के अनुसार तथा ईश्वरी अनुग्रह के अनुसार अनुभूति मिलती है। केवल बुध्दिवाद से समस्या का समाधान, यह आग्रह भी वास्तविक बुध्दिवाद का अभाव दर्शाता है। और यह भी एक अंधश्रध्दा ही है।<br />
कार्याकारण भाव तथा तात्विक भूमिका का अधिष्ठान,दृष्टिकोण,परंपरा का वर्तन को अंधश्रध्दा नहीं कहा जा सकता। ईश्वर अस्तित्व, संतो के अनुभव पर आत्मा-परमात्मा,अमरत्व,परलोक कल्पना,पूर्व जन्म और पुनर्जन्म, कर्माधारित्त पाप-पुण्य, विवेक को अंधश्रध्दा नहीं कही जा सकता। बुध्दिवाद व विज्ञान के नामपर धर्म के आधारभूत गृहीत तत्वों का तात्विक विश्लेषण किये बिना उसका उच्छेदन करना बुध्दिवादी विचारप्रक्रिया नहीं है। सभी धार्मिक श्रध्दा अंधश्रध्दा ही होती है ? ऐसा एकांगी,पूर्वग्रहदुषित मतप्रदर्शन कर सनातनी धार्मिक श्रध्दाओंको नकारना हिंदुत्व पर अन्याय है।<br />
विज्ञान से अधिक धर्म का निकट का सम्बन्ध नीति से है। इसमें मानवी आचार संहिता लागु होती है। मात्र नीति का किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है ऐसे अधर्म को धर्म नहीं कहा जा सकता।व्यक्ति-समाज को ध्येयदृष्टि प्रदान करना,आचार धर्म का नियमन-नियंत्रण-मार्गदर्शन करना यह नीति का प्रधान कार्य है। प्रगतिशील मानव को नैतिकता का आदरभाव होता है। नैतिक वर्तन के लिए कोई सक्ती-दबाव या भय नहीं होता। सद्विवेक बुध्दी को आदेश या समाजहित की दृष्टी से नैतिकता के प्रति पावित्र्यभाव-आदरभाव प्रकट होता है। धर्मग्रन्थ,इष्टदेव, धर्मगुरु,धर्मपीठ,धर्म क्षेत्र,तीर्थक्षेत्र को ईश्वरी श्रध्दा से स्वीकार करने के कारन नैतिक वर्तन में परिवर्तन होता है,प्रेरणा मिलती है। परहित बुध्दी,भूतदया,परोपकार,मैत्री,करुणा जैसे नैतिक वर्तन की प्रेरणा मिलती है।<br />
प्राचीन मानवी जीवन में नीति का अभाव था। उनकी श्रध्दा शक्ति को अधिसत्ता प्रदान कर अनुशासन के लिए धार्मिक आदेश की अवज्ञा से पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक का चक्र बना। परम्परानिष्ठ वर्तन विवेकशुध्द नीति से भिन्न होता है। विभिन्न प्रकार के यज्ञ याग,होम-हवन,व्रत-उपवास,दान-धर्म में नैतिक मूल्यों की अनदेखी नहीं होती। यह सभी कार्य निष्काम बुध्दी से किये जाये तो हरेक विधि विधान का फल तो मिलना ही है परन्तु, "..... फल प्राप्त्यर्थं " संकल्प से विवेक कार्य अंधश्रध्द बन जाता है। दुसरी ओर धार्मिक आस्था के कारन स्वयं प्रेरणा,आत्मीयता से की गई कृति से धर्म भाव और नैतिक विवेक का अधिष्ठान तयार होता है और निति धार्मिक अनुभूति के विकास का श्रेष्ठ साधन बन जाती है।<br />
सनातन धर्म में भेद बुध्दी नहीं है। सद्धर्म में सर्वहित बुध्दी प्रमाण मानी गयी है। केवल मनुष्य के ही लिए नहीं अपितु,सजीव-निर्जीव सृष्टि से प्रेम, मित्रता,अंतःकरण विकास-शुध्दी का प्रयास कहा गया है। अन्य धर्मो में ऐसा नहीं है, परधर्मियो से असहिष्णु-द्वेष युक्त वर्तन जो अधार्मिक है। परन्तु,धर्म के नाम पर मानवी हत्या,पशु हत्या करने से भूतदया-करुणा का अव्हेर होता है। सनातनी संत-धर्माचार्यो ने मनुष्य की प्रज्ञा- नैतिक विवेकशक्ति को आवाहन किया है।उन्होंने निजी-सामाजिक,धार्मिक-धर्मिकेतर व्यवहार में ज्ञाननिष्ठ, नीतिमान रहनेपर भार दिया है।पूजा,प्रार्थना,व्रताचरण इन बाह्य साधनों के अतिरिक्त, नीति मूल्यों पर आधारित " अंतरंग साधना " जो अनेकेश्वर के स्थानपर एक मुख्य देव ( ईश्वर ) का परिचय कैसे करे, आत्माराम का परिचय दिया है। " एको वशी सर्वभुतान्तरात्मा एकं रूपं बहुधा यः करोति " (कठ.2.2.12) एक बार यह दृष्टी प्राप्त हुई तो धर्म और नीति का द्वैत भाव दूर हो जाता है। अन्य को पीड़ा न पहुंचना,हिंसा न करना, 'सर्वभुती भगवद्भाव' रखना,करुनायुक्त अंतःकरण से सहकार्य करना यह धर्म के लक्षण है। संत-महात्माओ में मानवी कल्याण की दृष्टी से शाश्वत नैतिक मूल्यों का परिशीलन करते हुए मनुष्य को सत्य धर्म की प्राप्ति होने लगती है। प्राचीन प्राकृतिक शक्तियों के अघोरी उपायों के विकल्प के रूप में ईश्वरीय शक्ति की बहिर्मुख भक्ति को अंतर्मुखी करनेवाली उपासना से विवेकनिष्ठ नीतिधर्म का निर्माण होता है।<br />
सन्दर्भ:-धर्माचे तत्वज्ञान-ले. श्री.ज.वा.जोशी कांटिनेंटल प्रकाशन-पुणे से साभार </div>Pramod Pandit Joshi Hindu MahaSabhaihttp://www.blogger.com/profile/07051131745793045656noreply@blogger.com0