Thursday, 8 December 2016

महान संतान

टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली
Updated Sat, 26 Dec 2015 04:15 PM IST

ब्रह्मवैवर्त पुराण के ब्रह्म खंडः 27.29-38 में लिखा है कि स्‍त्री-पुरुष म‌िलन के ल‌िए कुछ दिन हैं जो अशुभ माने जाते हैं। इन दिनों शादीशुदा या प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे के करीब नहीं आना चाहिए, भविष्य के लिए बुरा होता है। जानिए, कौन से हैं वो दिन।
अमावस्या का दिन जोड़ों के लिए अशुभ होता है।
इसी तरह पूर्णिमा पर भी दूर रहने में ही भलाई है।
संक्रान्ति पर भी जोड़ों को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए।
चतुर्दशी और अष्टमी तिथि।पुराण में रविवार को भी इस काम के लिए अशुभ बताया गया है।
श्राद्ध। पितृ पक्ष में जोड़ों को मिलन के बारे में नहीं सोचना चाहिए।व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली
Updated Sat, 26 Dec 2015 04:15 PM IST
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Kripa Shankar Bawalia Mudgal
24 March ·
महान संतान कैसे उत्पन्न होती है? ......
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जब स्त्री का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु मिलते हैं तब सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट होता है| उस समय पुरुष और स्त्री (विशेष कर के स्त्री) जैसी चेतना में होते हैं, वैसी ही चेतना की आत्मा आकर गर्भस्थ हो जाती है|

प्राचीन भारत में गर्भाधान संस्कार होता था|
संतान उत्पन्न करने से पूर्व पति और पत्नी दोनों छः माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और ध्यान साधना द्वारा एक उच्चतर चेतना में चले जाते थे| इसके पश्चात गर्भाधान संस्कार द्वारा वे चाहे जैसी संतान उत्पन्न करते थे|
भारत के मनीषियों को यह विधि ज्ञात थी इसीलिए भारत ने प्राचीन काल में महापुरुष ही महापुरुष उत्पन्न किये|

गर्भाधान के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे| गर्भवती स्त्री को एक पवित्र वातावरण में रखा जाता, जहाँ नित्य वेदपाठ और स्वाध्याय होता था| शिशु के जन्म के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे|

वे सारे संस्कार अब लुप्त हो गए हैं| इसीलिए भारत में महान आत्माएं जन्म नहीं ले पा रही हैं| अनेक महान आत्माएं भारत में जन्म लेना चाहती हैं पर उन्हें इसका अवसर नहीं मिल रहा|

आप चाहे जैसी संतान उत्पन्न कर सकते हैं| महान से महान आत्मा को जन्म दे सकते हैं|

आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन|
ॐ तत्सत | ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ |
#कृपाशंकर | चै.कृ.१ वि.सं.२०७२ #24March2016

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