न्यायालय संरक्षित-शिलान्यासित श्रीराम जन्मस्थान को हिन्दू महासभा पूर्व सांसद स्वर्गीय बिशनचंद सेठ के के विरोध के पश्चात् भी बाबरी कहना नोट के लिए नहीं छोड़ा गया। १९९० मुलायम की सांठगांठ से कारसेवको पर गोलियां चलवाई। वहां कश्मीरी अलगाववादी संगठित हुए। हुर्रियत पैदा हुई। ६ दिसंबर१९९२ को मंदिर तोडा उसके दुष्परिणाम में राष्ट्रद्रोही संगठित हुए। दंगे-आगजनी पड़ोसी देशो से हत्याओ के पश्चात् हिन्दू स्थलांतरित हुए। १९९३ मुम्बई ब्लास्ट एक प्रतिशोध और हिन्दू जीवित हानी।
विश्व स्तरपर मुस्लिम ब्रदरहुड के निर्देश पर ७ अगस्त १९९४ को विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन में संपन्न हुवा।पारित प्रस्ताव, वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा " की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण का उद्देश्य दैनिक अमर उजाला में दि.२६ अगस्त १९९४ को शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किया था।
जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है।" विश्व में जारी हिंसा आतंकवाद,अलगाववाद के पीछे अरबी साम्राज्यवाद की वहाबी-सुन्नी वर्चस्व की मनीषा।
U.S.News & World Report नामक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ मुंबई हमले के पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी.इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की थी.उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है.देश की सरकार गिरे जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए लोग सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है."खंडित हिंदुस्थान को इस ही षड्यंत्र के अनुसार अस्थिर किया जा रहा है। मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे.इस्त्रायल का विरोध करते थे.उसके पीछे केवल यहूदियों से ही लड़ना नहीं था.विश्व की भू सत्ता संपादन का उद्देश था.जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये ! हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है.हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है !"
इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.जो मुस्लिम राष्ट्र शरियत का राज स्थापित नहीं करता। विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी क्षमा नहीं करते। इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या इराक-सीरिया-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बांग्लादेश जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है। वहा के अल्पसंख्यक अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण-हत्याओ से त्रस्त है। जहा शिया अल्प संख्य है वहा उनकी भी हत्या हो रही है। परन्तु, इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश होते हुए वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है.उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है। इस आधारपर कुछ विद्वान् सोचते है कि, उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने तो मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.रूस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.इस्लामी विघटन के पश्चात् सीरिया में कुछ काम हो रहा है। चीन सरकार पाकिस्तानी-अफगानी आतंक को कुचलने में कोताही नहीं करता.परन्तु विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में कश्मीर-बंगाल-आसाम सीमावर्ती क्षेत्र की गतिविधि जानते हुए भी अखंड पाकिस्तान की अलगाववादी राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर "छद्म हिन्दू" इफ्तार देकर करते है तब आश्चर्य होता है। कश्मीर-बंगाल-आसाम के सन्दर्भ में अखंड हिन्दुस्थान में हिन्दू महासभा ने दी चेतावनी को द्विराष्ट्रवादी कहकर अपप्रचारित किया गया। आसाम-त्रिपुरा आदि बांग्ला सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही घुसपैठ को अनदेखा करना घुसपैठियों को राष्ट्रीयता प्रदान करना सरकार का राष्ट्रद्रोह है और इसके लिए ऐसे सत्ताधारी दल पर प्रतिबन्ध लगाने की शक्ति राष्ट्रभक्त सुनिश्चित करे।
खंडित हिन्दुस्थान में विघटन-अलगाववादियों की घुसपैठ और बढती जनसँख्या एक चिंता का विषय है। उसपर अध्ययन भी हुवा और प्रकाशित भी है।
सन १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था कि, ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी। सन१९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष ही लगेंगे। सन १९९३ एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दे रहे है। १९९५ रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान। जब की कुछ मुस्लिम नेता आगामी १८ वर्ष में सब कुछ समाप्त हो जाने की बात करते है। देखिये लिंक http://en.wikipedia.org/wiki/Muslim_population_growth
सम्पूर्ण देश-प्रत्येक राज्य मुसलमानों की बढती हिंसा-अपहरण-बलात्कार-लव जिहाद-हत्या-लूटपाट के चपेट में है। हिन्दुओ ने प्रतिकार किया सशस्त्र प्रशिक्षा ली तो, उन्हें प्रतिबंधित करनेवाली सरकार और विदेशो में हिन्दुओ के देश की छवि बिगाड़नेवाली मिडिया इस वास्तविकता का विपर्यास करने में जुड़ जाती है। TV पर कभी सुना है ? विभाजनोत्तर आश्रयार्थी मुसलमान या घुसपैठियों ने दंगा फैलाया ! इसके लिए उन्हें आश्रय देनेवाली सरकार भी जिम्मेदार है .विशेष तो यह है कि, हिन्दुओ में असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने नहीं देते। संविधानिक की धर्म निरपेक्षता की राजनितिक आख्या समान नागरिकता के बिना अधूरी है।इसलिए यह विभाजनोत्तर हिंदुराष्ट्र है ! सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र में समान नागरिकता का अधिकार ; कथित हिन्दुओ ने द्वितीय कांग्रेस के निर्णय पर छोड़ दिया है। राष्ट्रीयता में विषमता अस्थाई आरक्षण व्यवस्था की निरंतरता से उपजी है ! इसलिए, भविष्यत् लोकसभा चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !
१९४६ के असेंबली चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम मतों के विभाजन के कारन कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने कांग्रेस का खुला समर्थन किया। संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने गुरूजी का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और गोलवलकरजी के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला। हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये।
विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू महासभा भवन ,मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में हिन्दू परिषद् संपन्न हुई ; सावरकरजी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर मुसलमान अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " कहा.
विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य पर केन्द्रित निर्भर है इस ही लिए महँगी भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते उनको आर्थिक सहायता और महंगाई होगी और उसे रोकना हमारे हाथ में है।
देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर राष्ट्रवाद की एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस-२ कहा था,वह सत्य हुवा है।
भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव का मूक समर्थन किया.१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोग कर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आरक्षण का कांग्रेस-भाजप समर्थको का प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व धर्मान्तरण के पश्चात् भी समाप्त नहीं हुवा है तो उनके शुध्दिकरण का मार्ग खुला है !
संघ-सभा के पूर्व नेतृत्व सावरकर विरोधी गोलवलकर का व्यक्ति वर्चस्ववाद का दुष्परिणाम अखंड हिन्दुस्थान को अनचाहे भुगतना पड़ा. इस वर्तमान कालखंड में गठबंधन की राजनीती में हिन्दू पक्ष-संगठनो की संयुक्त शक्ति से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकारा करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर हमें जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निःष्फल हो जाएगी.लव जिहाद और बढती राष्ट्रद्रोही जनसँख्या-घुसपैठ राष्ट्रिय त्रासदी बनी है.इसलिए हमारा संयुक्त दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए "सर्व दलीय हिन्दू संसद " बनाये !
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