Wednesday, 10 October 2018

नवरात्रि के दिनों में बगलामुखी साधना !

  बगलामुखी तंत्र साधना से लोग वशीकरण, मारण, उच्चाटन आदि कार्यों को बखूबी अंजाम देते हैं। अपने मन की बात को पूर्ण करने के लिए लोग इस तंत्र साधना का प्रयोग करते हैं और तंत्र-मंत्र पर अंधविश्वास करने वाले लोगों का मानना है की इससे बेहतर कोई अन्य विकल्प नहीं है। बगलामुखी मां की आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं और "श्री" वृद्धि होती है।

     तांत्रिक साधना से शत्रुओं का शमन, विवाद,अपने ऊपर हो रहे अकारण अत्याचार से बचाव, किसी को सबक सिखाना हो तो, मुकद्दमा जीतना, असाध्य रोगों से छुटकारा पाना, बंधनमुक्त होना, संकट से उद्धार पाना, नवग्रहों के दोष से मुक्ति के लिए तथा किसी अन्य के टोने को बेअसर करना हो तो बगलामुखी इसके लिए संजिवनी बुटी हैं। तंत्र मंत्र में महारथ हासिल किए जानकार कहते हैं की बाहर के शत्रु जातक को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितना सगे संबंधी पहुंचाते हैं।

      बगलामुखी साधना को पूर्ण करने के लिए निम्न बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अन्यथा साधना अपूर्ण रह जाती है।

1. बगलामुखी साधना करते समय पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें।

2. किसी भी स्त्री को छुना, वार्तालाप करना यहां तक की सपने में भी किसी स्त्री का आना पूर्णत: निषेध है। ऐसा न करने से आपकी साधना खण्डित हो जाएगी।

3. इस साधना को करने के लिए किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे का सहारा नहीं लेना चाहिए। बगलामुखी साधना करते समय साधक को डर, विचित्र आवाजें और खौफनाक आभास भी हो सकते हैं। जिन जातकों को काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से भय लगता हो, उन्हें यह साधना कदापि नहीं करनी चाहिए।

4. साधना का आरंभ करने से पूर्व अपने गुरू का सिमरण अवश्य करें।

5. मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में करना अत्यन्त शुभ फल देता है। नवरात्रि के दिनों में बगलामुखी साधना करना सबसे उत्तम फल देता है।

6. उत्तर की ओर मुंह करके बैठने के बाद ही साधना का आरंभ करें।

7. मंत्रों का जाप करते वक्त आपका स्वर अपने आप तेज होता जाएगा। ऐसा होने पर चिंता ना करें बल्कि अपना ध्यान मंत्रों पर केंद्रित रखें।

8. साधना को गुप्त रूप से करें। जब तक साधना पूर्ण न हो जाए किसी से भी इस विषय पर वार्ता न करें।

9. साधना आरंभ करने से पूर्व अपने चारों ओर घी और तेल के दिए जलाएं।

10. साधना करते वक्त पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पीले रंग के आसन का ही उपयोग करें।



बगलामुखी मां की आराधना से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

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प्रेषित मुहम्मद की मृत्यु नहीं हुई ?

12 September 2014 at 15:02
              प्रेषित मुहम्मद की मृत्यु नहीं हुई , भारत के महाकवि कालिदास के हाथों मारे गए थे ? इतिहास का एक अत्यंत रोचक तथ्य है कि, इस्लाम के पैगम्बर (रसूल) मुहम्मद साहब सन ६३२ में अपनी स्वाभाविक मौत नहीं मरे थे। अपितु भारत के महान साहित्यकार कालिदास के हाथों मारे गए थे।और मदीना में दफनाए गए (?) मुहम्मद की कब्र की जांच की जाए तो, रहस्य से पर्दा उठ सकता है कि, कब्र में मुहम्मद का कंकाल है या लोटा ।



             भविष्य महापुराण (प्रतिसर्ग पर्व) में सेमेटिक मजहबों के सभी पैगम्बरों का इतिहास उनके नाम के साथ वर्णित है। नामों का संस्कृतकरण हुआ है I इस पुराण में मुहम्मद और ईसा मसीह का भी वर्णन आया है। मुहम्मद का नाम "महामद" आया है। मक्केश्वर शिवलिंग का भी उल्लेख आया है। वहीं वर्णन आया है कि सिंधु नदी के तट पर मुहम्मद और कालिदास की भिड़ंत हुई थी और कालिदासने मुहम्मद को जलाकर भस्म कर दिया। ईसा को सलीब पर टांग दिया गया और मुहम्मद भी जलाकर मार दिए गए।



            सेमेटिक मजहब के ये दो रसूल किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे। शर्म के मारे मुसलमान किसी को नहीं बताते कि मुहम्मद जलाकर मार दिए गए।  बल्कि वह यह बताते हैं कि, उनकी मौत कुदरती हुई थीI भविष्य महापुराण (प्रतिसर्ग पर्व,3.3.1-27) में उल्लेख है कि, ‘शालिवाहन के वंशमें १० राजाओं ने जन्म लेकर क्रमश: ५०० वर्ष तक राज्य किया। अन्तिम दसवें राजा भोजराज हुए ।उन्होंने देश की मर्यादा क्षीण होती देख दिग्विजय के लिए प्रस्थान किया ।उनकी सेना दस हज़ार थी और उनके साथ कालिदास एवं अन्य विद्वान्-ब्राह्मण भी थे ।उन्होंने सिंधु नदी को पार करके गान्धार, म्लेच्छ और काश्मीर के शठ राजाओं को परास्त किया और उनका कोश छीनकर उन्हें दण्डित किया ।उसी प्रसंग में मरुभूमि मक्का पहुँचने पर आचार्य एवं शिष्यमण्डल के साथ म्लेच्छ महामद (मुहम्मद) नामक व्यक्ति उपस्थित हुआ ।



                राजा भोज ने मरुस्थल (मक्का) में विद्यमान महादेव जी का दर्शन किया ।महादेवजी को पंचगव्य मिश्रित गंगाजल से स्नान कराकर चन्दनादि से भक्तिपूर्वक उनका पूजन किया और उनकी स्तुति की। “हे मरुस्थल में निवास करनेवाले तथा म्लेच्छों से गुप्त शुद्ध सच्चिदानन्द रूपवाले गिरिजापते ! आप त्रिपुरासुर के विनाशक तथा नानाविध मायाशक्ति के प्रवर्तक हैं । मैं आपकी शरण में आया हूँ, आप मुझे अपना दास समझें । मैं आपको नमस्कार करता हूँ ।” इस स्तुति को सुनकर भगवान् शिव ने राजा से कहा- “हे भोजराज ! तुम्हें महाकालेश्वर तीर्थ (उज्जयिनी) में जाना चाहिए ।यह ‘वाह्लीक’ नाम की भूमि है, पर अब म्लेच्छों से दूषित हो गयी है । इस दारुण प्रदेश में आर्य-धर्म है ही नहीं ।महामायावी त्रिपुरासुर यहाँ दैत्यराज बलिद्वारा प्रेषित किया गया है ।वह मानवेतर, दैत्यस्वरूप मेरे द्वारा वरदान पाकर मदमत्त हो उठा है और पैशाचिक कृत्य में संलग्न होकर महामद (मुहम्मद) के नाम से प्रसिद्ध हुआ है ।पिशाचों और धूर्तों से भरे इस देश में हे राजन् ! तुम्हें नहीं आना चाहिए। हे राजा ! मेरी कृपा से तुम विशुद्ध हो ।

             भगवान् शिवके इन वचनों को सुनकर राजा भोज सेना सहित पुनः अपने देश में वापस आ गये ।उनके साथ महामद भी सिंधुतीर पर पहुँच गया ।अतिशय मायावी महामद ने प्रेमपूर्वक राजा से कहा- ”आपके देवता ने मेरा दास्यत्व स्वीकार कर लिया है ।”राजा यह सुनकर बहुत विस्मित हुए। और उनका झुकाव उस भयंकर म्लेच्छ के प्रति हुआ ।उसे सुनकर कालिदास ने रोषपूर्वक महामद से कहा-“अरे धूर्त ! तुमने राजा को वश में करने के लिए माया की सृष्टि की है । तुम्हारे जैसे दुराचारी अधम पुरुष को मैं मार डालूँगा ।“ यह कहकर कालिदास नवार्ण मन्त्र (ॐ ऐंह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) के जप में संलग्न हो गये । उन्होंने (नवार्ण मन्त्र का) दस सहस्र जपकरके उसका दशांश (एक सहस्र) हवन किया । उससे वह मायावी भस्म होकर म्लेच्छ-देवता बन गया ।इससे भयभीत होकर उसके शिष्य वाह्लीकदेश वापस आ गये और अपने गुरु का भस्म लेकर मदहीनपुर (मदीना) चले गए और वहां उसे स्थापित कर दिया जिससे वह स्थान तीर्थ के समान बन गया।

             एक समय रात में अतिशय देवरूप महामद ने पिशाच का देह धारणकर राजा भोज से कहा-”हे राजन् !आपका आर्यधर्म सभी धर्मों में उत्तम है। लेकिन मैं उसे दारुण पैशाच धर्म में बदल दूँगा ।उस धर्म में लिंगच्छेदी (सुन्नत/खतना करानेवाले),शिखाहीन, दढि़यल, दूषित आचरण करनेवाले, उच्चस्वर में बोलनेवाले (अज़ान देनेवाले), सर्वभक्षी मेरे अनुयायी होंगे ।कौलतंत्र के बिना ही पशुओं का भक्षण करेंगे. उनका सारा संस्कार मूसल एवं कुश से होगा ।इसलिये ये जाति से धर्म को दूषित करनेवाले ‘मुसलमान’ होंगे ।इस प्रकार का पैशाच धर्म मैं विस्तृत करूंगा I”‘



एतस्मिन्नन्तरेम्लेच्छ आचार्येण समन्वितः ।महामद इति ख्यातः शिष्यशाखा समन्वितः ।। 5 ।।

नृपश्चैव महादेवं मरुस्थलनिवासिनम् ।गंगाजलैश्च संस्नाप्य पंचगव्यसमन्वितैः ।चन्दनादिभिरभ्यच्र्य तुष्टाव मनसा हरम् ।। 6 ।।

भोजराज उवाचनमस्ते गिरिजानाथ मरुस्थलनिवासिने।त्रिपुरासुरनाशाय बहुमायाप्रवर्तिने ।। 7 ।।

म्लेच्छैर्मुप्ताय शुद्धाय सच्चिदानन्दरूपिणे ।त्वं मां हि किंकरं विद्धि शरणार्थमुपागतम्।। 8 ।।

सूत उवाचइति श्रुत्वा स्तवं देवः शब्दमाह नृपाय तम् ।गंतव्यं भोजराजेन महाकालेश्वरस्थले ।। 9 ।।

म्लेच्छैस्सुदूषिता भूमिर्वाहीका नाम विश्रुता ।आर्यधर्मो हि नैवात्र वाहीके देशदारुणे ।। 10 ।।

वामूवात्र महामायो योऽसौ दग्धो मया पुरा ।त्रिपुरो बलिदैत्येन प्रेषितः पुनरागतः ।। 11 ।।

अयोनिः स वरो मत्तः प्राप्तवान्दैत्यवर्द्धनः ।महामद इति ख्यातः पैशाचकृतितत्परः।। 12 ।।

नागन्तव्यं त्वया भूप पैशाचे देशधूर्तके।मत्प्रसादेन भूपाल तव शुद्धि प्रजायते ।। 13 ।।

इति श्रुत्वा नृपश्चैव स्वदेशान्पु नरागमतः ।महामदश्च तैः साद्धै सिंधुतीरमुपाययौ।। 14 ।।

उवाच भूपतिं प्रेम्णा मायामदविशारदः ।तव देवो महाराजा मम दासत्वमागतः ।। 15 ।।

इति श्रुत्वा तथा परं विस्मयमागतः ।। 16 ।।

म्लेच्छधनें मतिश्चासीत्तस्यभूपस्य दारुणे ।। 17 ।।

तच्छ्रुत्वा कालिदासस्तु रुषा प्राह महामदम् ।माया ते निर्मिता धूर्त नृपमोहनहेतवे ।। 18 ।।

हनिष्यामिदुराचारं वाहीकं पुरुषाधनम् ।इत्युक्त् वा स जिद्वः श्रीमान्नवार्णजपतत्परः ।। 19।।

जप्त्वा दशसहस्रंच तदृशांश जुहाव सः ।भस्म भूत्वा समायावी म्लेच्छदेवत्वमागतः ।। 20 ।।

मयभीतास्तु तच्छिष्या देशं वाहीकमाययुः ।गृहीत्वा स्वगुरोर्भस्म मदहीनत्वामागतम्।। 21 ।।

स्थापितं तैश्च भूमध्येतत्रोषुर्मदतत्पराः ।मदहीनं पुरं जातं तेषां तीर्थं समं स्मृतम्।। 22 ।।

रात्रौ स देवरूपश्च बहुमायाविशारदः ।पैशाचं देहमास्थाय भोजराजं हि सोऽब्रवीत् ।। 23 ।।

आर्यधर्मो हि ते राजन्सर्वधर्मोत्तमः स्मृतः ।ईशाख्या करिष्यामि पैशाचं धर्मदारुणम् ।। 24 ।।

लिंगच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी स दूषकः ।उच्चालापी सर्वभक्षीभविष्यति जनो मम।। 25 ।।

विना कौलं च पशवस्तेषां भक्षया मता मम ।मुसलेनेव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति ।। 26 ।।

तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः ।इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः ।। 27 ।।’

(भविष्यमहापुराणम् (मूलपाठ एवं हिंदी-अनुवादसहित), अनुवादक: बाबूराम उपाध्याय, प्रकाशक: हिंदी-साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग; ‘कल्याण’ (संक्षिप्त भविष्यपुराणांक),प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर, जनवरी,1992 ई.)



           कुछ विद्वान कह सकते हैं कि, महाकवि कालिदास तो प्रथम,शताब्दी के शकारि विक्रमादित्य के समय हुए थे और उनके नवरत्नों में से एक थे, तो हमें ऐसा लगता है कि कालिदास नाम के एक नहीं बल्कि अनेक व्यक्तित्व हुए हैं,बल्कि यूं कहा जाए की कालिदास एक ज्ञानपीठ का नाम है, जैसे वेदव्यास, शंकराचार्य इत्यादि.विक्रम के बाद भोज के समय भी कोई कालिदास अवश्य हुए थे।  इतिहास तो कालिदास को छठी-सातवी शती (मुहम्मद के समकालीन) में ही रखता है। कुछ विद्वान "सरस्वती कंठाभरण", समरांगण सूत्रधार","युक्ति कल्पतरु"-जैसे ग्रंथों के रचयिता राजा भोजको भी ९वी से ११वी शताब्दी में रखते हैं जो गलत है.भविष्यमहापुराण में परमार राजाओं की वंशावली दी हुई है। इस वंशावली से भोज विक्रम की छठी पीढ़ी में आते हैं और इस प्रकार छठी-सातवी शताब्दी (मुहम्मद के समकालीन) में ही सिद्ध होते हैं।

कालिदास त्रयी-एकोऽपि जीयते हन्त कालिदासो न केनचित्।शृङ्गारे ललितोद्गारे कालिदास त्रयी किमु॥

(राजशेखर का श्लोक-जल्हण की सूक्ति मुक्तावली तथा हरि कवि की सुभाषितावली में)
इनमें प्रथम नाटककार कालिदास थे जो अग्निमित्र या उसके कुछ बाद शूद्रक के समय हुये।                 
द्वितीय महाकवि कालिदास थे। जो उज्जैन के परमार राजा विक्रमादित्य के राजकवि थे।इन्होंने रघुवंश, मेघदूत तथा कुमारसम्भव-ये ३ महाकाव्य लिखकर ज्योतिर्विदाभरण नामक ज्योतिष ग्रन्थ लिखा। इसमें विक्रमादित्य तथा उनके समकालीन सभी विद्वानों का वर्णन है।
अन्तिम कालिदास विक्रमादित्य के ११ पीढ़ी बाद के भोजराज के समय थे तथा आशुकवि और तान्त्रिक थे-इनकी चिद्गगन चन्द्रिका है तथा कालिदास और भोजके नाम से विख्यात काव्य इनके हैं।अधिक जानकारी के लिए

लेखक Jay Vyas पेज लिंक https://www.facebook.com/jay.vyas.391?fref=hovercard

Thursday, 8 December 2016

महान संतान

टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली
Updated Sat, 26 Dec 2015 04:15 PM IST

ब्रह्मवैवर्त पुराण के ब्रह्म खंडः 27.29-38 में लिखा है कि स्‍त्री-पुरुष म‌िलन के ल‌िए कुछ दिन हैं जो अशुभ माने जाते हैं। इन दिनों शादीशुदा या प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे के करीब नहीं आना चाहिए, भविष्य के लिए बुरा होता है। जानिए, कौन से हैं वो दिन।
अमावस्या का दिन जोड़ों के लिए अशुभ होता है।
इसी तरह पूर्णिमा पर भी दूर रहने में ही भलाई है।
संक्रान्ति पर भी जोड़ों को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए।
चतुर्दशी और अष्टमी तिथि।पुराण में रविवार को भी इस काम के लिए अशुभ बताया गया है।
श्राद्ध। पितृ पक्ष में जोड़ों को मिलन के बारे में नहीं सोचना चाहिए।व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली
Updated Sat, 26 Dec 2015 04:15 PM IST
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Kripa Shankar Bawalia Mudgal
24 March ·
महान संतान कैसे उत्पन्न होती है? ......
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जब स्त्री का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु मिलते हैं तब सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट होता है| उस समय पुरुष और स्त्री (विशेष कर के स्त्री) जैसी चेतना में होते हैं, वैसी ही चेतना की आत्मा आकर गर्भस्थ हो जाती है|

प्राचीन भारत में गर्भाधान संस्कार होता था|
संतान उत्पन्न करने से पूर्व पति और पत्नी दोनों छः माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और ध्यान साधना द्वारा एक उच्चतर चेतना में चले जाते थे| इसके पश्चात गर्भाधान संस्कार द्वारा वे चाहे जैसी संतान उत्पन्न करते थे|
भारत के मनीषियों को यह विधि ज्ञात थी इसीलिए भारत ने प्राचीन काल में महापुरुष ही महापुरुष उत्पन्न किये|

गर्भाधान के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे| गर्भवती स्त्री को एक पवित्र वातावरण में रखा जाता, जहाँ नित्य वेदपाठ और स्वाध्याय होता था| शिशु के जन्म के पश्चात भी अनेक संस्कार होते थे|

वे सारे संस्कार अब लुप्त हो गए हैं| इसीलिए भारत में महान आत्माएं जन्म नहीं ले पा रही हैं| अनेक महान आत्माएं भारत में जन्म लेना चाहती हैं पर उन्हें इसका अवसर नहीं मिल रहा|

आप चाहे जैसी संतान उत्पन्न कर सकते हैं| महान से महान आत्मा को जन्म दे सकते हैं|

आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन|
ॐ तत्सत | ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ |
#कृपाशंकर | चै.कृ.१ वि.सं.२०७२ #24March2016

Friday, 22 April 2016

सिंहस्थ कुंभ में रामानंदीय निर्मोही आखाड़े का स्नान बहिष्कार !भाजप ने करवाया आसाराम आश्रम कुंभ में हमला !

प्रेस नोट - कल्याण दिनांक २२ अप्रेल २०१६ 



सिंहस्थ कुंभ में रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के श्री महंत श्री मदनमोहन दास महाराज को प्रयाग,नासिक के पश्चात उज्जैन में भी स्नान का बहिष्कार करना इसलिए पड़ा क्योकि,
भाजप समर्थक श्री राजेन्द्रदास महाराज जो महंत नहीं है को,भाजप के समर्थन पर स्नान का प्रथम सन्मान दिया इसलिए जा रहा है कि,"श्रीराम जन्मभुमी कब्जे के विरोध में २३ मार्च १५२८ पूर्व से मंदिर अधिपती रामानंदीय निर्मोही आखाड़ा है और भाजप अपने समर्थक राजेन्द्रदास को श्री महंत बनाने के फर्जी तरीके से प्रयास कर रहे है।" हाल ही में कथित संत श्री आसाराम बापू के आश्रम-उज्जैन कुम्भ में की तोड़फोड़ में,"भाजप ने श्री राजेन्द्रदास महाराज को आगे कर निर्मोही आखाड़े का मुख्य होने का नकली महत्त्व मिडिया द्वारा राजनितिक स्तर पर स्थापित किया था।
मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री तथा आखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री गिरी महाराज ने श्री रामानंदीय निर्मोही आखाड़े में श्री महंत श्री मदनमोहन दास महाराज का विश्वासघात किया है !

विश्व हिन्दू धर्म संमेलन तथा अखिल भारत हिन्दू महासभा ने आसाराम के आश्रम पर हमला करवाने के लिए निर्मोही आखाड़े का उपयोग करने पर तथा श्री रामानंदीय निर्मोही अणि आखाड़ा के श्री महंत श्री मदनमोहन दास महाराज का विश्वासघात करने पर निंदा करते हुए अगले स्नान पूर्व अवमानना पर क्षमा मांगी नहीं गई तो,किसी भी संत महंत को स्नान करने से रोककर आखाड़ा परिषद अध्यक्ष का पुतला फूंका जाएगा !
प्रमोद पंडित जोशी -विश्व हिन्दू धर्म संमेलन संयोजक तथा अखिल भारत हिन्दू महासभा राष्ट्रिय प्रवक्ता 

Wednesday, 20 April 2016

लव जिहाद क्यों ? तलाक फिर वेश्यावृत्ति ?


प्रश्नोत्तरी ( लव जिहाद विषय ) :-
(1) प्रश्न :- लव जिहाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जब कोई मुसलमान पुरुष किसी गैर मुसलमान युवती को बहला फुसला कर उसके शील को भंग करके उससे शादी करके उसको ईस्लाम में दीक्षित कर लेता है । इसी को लव जिहाद कहा जाता है ।
(2) प्रश्न :- लव जिहाद क्यों किया जाता है ?
उत्तर :- ताकि गैर मुसलमानों का शीघ्रता से ईस्लामीकरण हो । क्योंकिं जैसे किसी भी जाती को समाप्त करना हो तो उनकी स्त्रीयों को दूषित किया जाता है । जिससे कि वो अपने समाज में आत्म सम्मान खो दें और दूसरे समाज में जाने को बाध्य हो सकें । जिससे कि मुसलमान उस लड़की की सम्पत्ति का मालिक बने और उस लड़की के घर वाले सिर उठा कर नहीं जी सकें। लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य है अल तकियाह, ( गज़्वा ए हिन्द ) यानी कि भारत का ईस्लामीकरण ।
(3) प्रश्न :- लव जिहाद से ईस्लामीकरण कैसे होता है ?
उत्तर :- क्योंकि लव जिहाद की शिकार युवती को उसका हिन्दू समाज अपनाने को तैय्यार नहीं होता है । और जिसके कारण उसके पास और कोई मार्ग शेष नहीं रहता तो वह मुसलमानी नर्क में जीने को विवष हो जाती है । तो इसी प्रकार जो उस लड़की के बच्चे होते हैं वो भी मुसलमान ही होते हैं । तो ऐसे मुसलमानों की संख्या वृद्धि होने से राष्ट्र शीघ्रता से ईस्लामीकरण की ओर बढ़ता है ।
(4) प्रश्न :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती कैसी होती है ?
उत्तर :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती नर्क से बदतर होती है । जैसा कि कई लड़कियों के मुसलमानों के साथ विवाह के बाद वो तलाक दे दी जाती हैं । और बाद में उनकों वैश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है । या फिर उनको भारत की यात्रा पर आये अरब के शेखों को बेच दिया जाता है । जो उनको अपने साथ अरब देशों में ले जाते हैं । वहाँ उनको 'नमकीन बेगम' के नाम से सम्बोधित किया जाता है, उन्हें गुलाम बनाकर इनके साथ शोषण किया जाता है । कई बार उनको नेपाल के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जाता है , या फिर असम, त्रिपुरा या बंगाल से उनको बांग्लादेश भेजा जाता है ( बंगाल की कांग्रेस सांसद रूमी नाथ इसकी ताज़ा उदाहरण है जिसे एक जिहादी ने फेसबुक के ज़रिये शिकार बनाया और बंग्लादेश भेज दिया ) । ऐसी कई और उदाहरण हैं ।
(5) प्रश्न :- राष्ट्र के ईस्लामीकरण होने से क्या हानी होगी ?
उत्तर :- किसी भी राष्ट्र का ईस्लामीकरण होने से वहाँ कुरान का शरिया कानून लागू होता है, लोकतन्त्र समाप्त हो जाता है और विचारों को रखने की स्वतन्त्रता समाप्त हो जाती है । देश ईस्लाम की अत्यन्त संकुचित और नीच विचारधारा में जकड़ा जाता है । जिसमें स्त्रीयों का शोषण होता है । उनको पुरुषों की खेती समझा जाता है । जहाँ स्त्रीयों का सम्मान नहीं वहाँ पुरुष निर्दयी हो जाते हैं । पुरुषों के निर्दयी होने से समाज में भारी क्षोभ और वासनामय वातावरण होता है । जहाँ सत्ता ईसलाम के हाथ है वो देश एक बूचड़खाना होता है, जिसमें मानवों की कटती हुई लाशें, पशुओं की कटती हुई लाशें दिखाई देती हैं । स्त्रीयों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है । मुसलमान पुरुष जब चाहे उसे तीन बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर उससे पीछा छुड़ा लेता है । खून के रिश्तों में या सगे रिश्तों में ही शादियाँ होने से नये जन्मे बच्चों का मान्सिक विकास नहीं होता है । और उस ईस्लामी देश में गैर मुसलमानों को अपने अपने धार्मिक कार्य करने की आज़ादी नहीं होती । उनकी स्त्रीयों को बंदूकों या तलवारों की नोक पर उठा लिया जाता है ( जैसा कि पैगम्बर मुहम्मद किया करता था यहूदी या ईसाई औरतों के साथ ) । उनके धार्मिक उत्सवों पर हमले किये जाते हैं , ( जैसे कि मुस्लिम बाहुल्य काशमीर में अमरनाथ यात्रियों के साथ होता है ) । स्त्रीयों की आँखें नोच ली जाची हैं । िकसी स्त्री के साथ कोई पुरुष जब बलात्कार करता है तो दंड पुरुष को नहीं स्त्री को ही दिया जाता है । स्त्रीयों को ज़मीन में आधा गाड़ कर उन पर संगसार ( पत्थरों की बारिश ) किया जाता है । चारों ओर मस्जिदों से मौलवीयों की मनहूस आज़ानें सुनाई देती हैं, ज़रा ज़रा सी बातों पर मुसलमानी मौहल्लों में लड़ाईयाँ और खून खराबा होता है, सड़कों पर लोगों के रास्ते रोक कर नमाजें पढ़ी जाती हैं । तो ऐसी अनेकों हानियाँ मानव समाज को उठानी पड़ती हैं । जो की देश के ईसलामीकरण का परिणाम है ।
(6) प्रश्न :- भारत में लव जिहाद संचालित कैसे होता है ?
उत्तर :- इसको संचालित करने के लिये पाकिस्तान, या अरब देशों से इनको वहाँ के शेखों द्वारा भारी पैसा आता है जो कि तेल के कुओं के मालिक होते हैं । ये पैसा उनको All India Muslim Scholarship Fund के रूप में दिया जाता है । प्रती माह इन मुस्लिम गुंडों को तैयार किया जाता है और हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिये इनको ₹ 8000 से ₹10000 मासिक वेतन दिया जाता है । तो मस्जिदों में किसी मुहल्ले के सभी मुसलमानों की मीटिंग रखी जाती है । जिसमें भाग लेने वाले अमीर से लेकर गरीब तबके के लोग आते हैं, जिसमें रेड़ीवाला, शॉल बेचने वाले कशमीरी पठान, घरों में काम करने वाले, नाई, चमार आदि । इनको हिन्दू या सिक्ख ईलाकों में घूम घूम कर ये पता लगाने को कहा जाता है कि किस घर की लड़की जवान हो गई है । तो शाल बेचने वाले पठान ये नज़र रखते हैं । और फिर ये लड़कियों की लिस्ट बनाई जाती है और जिहादी गुंडे जो कि दिखने में हट्टे कट्टे हों उनको तैयार किया जाता है, मोटर साईकलें खरीद कर दी जाती हैं । जिनको मस्जिदों में रखा जाता है । तो ये युवक अपनी कलाईयों पर मौलीयाँ बाँध कर निकल अपने नाम बदल कर हिन्दू नाम रख लेते हैं और इन लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । और अगर कोई लड़की दो सप्ताह के भीतर नहीं फंसती तो फिर ये उसे छोड़ कर लिस्ट की दूसरी लड़की पर अपने जिहाद को आज़माने के लिये निकल पड़ते हैं । तो ऐसे ही पूरे मोहल्ले में से कोई न कोई लड़की लव जिहाद का शिकार हो ही जाती है ।
दूसरा तरीका ये है कि social networking sites जैसे कि faceook आदि पर ये लोग नकली Id या फिर अपनी असली Id से ही हिन्दू लड़कियों को request भेजते हैं । और जैसे कि इनकी training होती है वैसे ही ये लोग इन लड़कियों को फाँसने के लिये तरह तरह के message भेजते हैं । और वे लड़कियाँ इनके मोह जाल कसं फँसकर अपना सब कुछ गंवा देती हैं ।
(7) प्रश्न :- क्या इसके सिवा और भी तरीके हैं लव जिहाद करने के या यही हैं ?
उत्तर :- बहुत से हैं सभी के बारे में जान पाना तो बेहद कठिन है पर कुछ और बताते हैं । ये मुस्लिम जिहादी गुंडे
स्कूलों कालेजों के चक्कर लगाते रहते हैं । और लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । या फिर स्कूलों में पढ़ने वाले मुस्लिम युवक अपनी मुस्लिम सहेलीयों की सहायता से उनकी हिन्दू सहेलियों से दोस्ती करते हैं और धीरे धीरे अपनी कारवाईयाँ शुरू कर देते हैं । या फिर कालेजों और स्कूलों के आगे मोबाईल की दुकानें मुसलमानों के द्वारा खोली जाती हैं । जिसमें जब हिन्दू, बौद्ध या जैन आदि लड़कियाँ फोन रिचार्ज करवाने जाती हैं, तो उनके नम्बरों को ये गलत इस्तेमाल करके आगे जिहादीयों को बाँट देते हैं । जिससे कि वे लोग गंदे गंदे अश्लील मैसेज भेजते हैं । पहले तो ये लड़तियाँ उसकी उपेक्षा करती हैं पर लगातार आने वाले मैसेजों को वे ज्यादा समय तक टाल नहीं पातीं । जिससे कि वो कामुक बातों में फँस कर अपना आपा खो देती हैं और अपना सर्वस्व जिहादीयों को सौंप देती हैं । और ये सब यूँ ही नहीं होता है । इन जिहादियों को ये सब करने की training दी जाती है कि किस प्रकार से लड़की कि मानसिक्ता को समझ कर उसे कैसे फाँसना है । तो ऐसे ही छोटे मोटो और भी तरीके हैं, परन्तु मुख्य यही हैं ।
(8) प्रश्न :- ये लव जिहाद की कुछ उदाहरणें दीजीये ।
उत्तर :- बड़ी बड़ी उदाहरणें आपके सम्मुख हैं :- Bollywood मायानगरी में मुसलमान अभिनेताओं की केवल हिन्दू पत्नियाँ ही क्यों होती हैं ? शाहरुख खान, आमीर खान, फरदीन खान, सुहैल खान, अरबाज़ खान, सैफ अली खान, साजिद खान आदि कितने ही नाम हैं जिनकी शादियाँ हिन्दू लड़कियों से ही हुई हैं । इनमें से किसी को भी मुसलमान लड़कियाँ क्यों नहीं पसंद आईं ? आमिर खान, और सैफ अली खान की शादी तो एक की बजाये दो दो हिन्दू लड़कियों से हुई । और इन्हीं को आदर्श मान कर हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के चंगुल में फँस कर अपनी अस्मिता खो देती हैं । एक फिलम आई थी जिसमें अभिषेक बच्चन का नाम आफताब होता है और वो अजय देवगण की बहन का किरदार निभा रही प्राची देसाई से प्रेम करता है । तो अजय देवगण उसे रोकता है तो वो नीच लड़की सैफ और शाहरुख आदि का उदाहरण देती है और उनको अपना आदर्श स्विकार करती है । तो ये देख कर हिन्दू लड़कियों के मनों पर क्या प्रभाव पड़ता है ज़रा सोचिये । तो ऐसे ही इन लड़कियों को परिणाम की पर्वाह नहीं होती और इनको हर जिहादी सलमान या शाहरूख ही दिखता है । और अपना जीवन बर्बाद कर देती हैं ।
(9) प्रश्न :- ये सब करके इन मुसलमानों को मिलता क्या है ?
उत्तर :- इनको ये सब करने के लिये मासिक वेतन और भारी ईनाम मिलता है । दूसरा कारण है मज़हबी जुनून क्योंकि ईस्लाम की शिक्षा ही नफरत और कत्ल की बुनियाद पर टिकी है और मस्जिद के मौल्वीयों के द्वारा झूठी मुहम्मदी जन्नत का लालच दिया जाना । वो कहते हैं कि अगर कम से कम एक हिन्दू लड़की से शादी करो और बदले में सातवें आस्मान की जन्नत पाओ । तो चाहे वो जिहाद काफिरों की खेती को समाप्त करने का ही क्यों न हो इनके अरबी अल्लाह ने इनके लिये जन्नत तैय्यार रखी है । जिसमें फिर एक एक मुसलमान 72 पाक साफ औरतों का आनंद लेता है ।
ईस्लाम में वैसे बहुत प्रकार के जिहाद हैं पर सबसे मुख्य दो प्रकार के जिहाद हैं :-
जिहाद ए अकबर ( बड़ा जिहाद )
जिहाद ए असगर ( छोटा जिहाद )
ये लव जिहाद जो है, वो जिहाद ए अकबर का ही एक बड़ा स्वरूप है ।
(10) प्रश्न :- ये लव जिहादीयों को हिन्दू लड़की से शादी करने या नापाक करने का क्या ईनाम मिलता है ?
उत्तर :- ये निम्न लिखित ईनाम गैर मुसलमान लड़कियों को फँसाने के लिये घोषित किया है :-
सिक्ख लड़की = 9 लाख
पंजाबी हिन्दू लड़की = 8 लाख
हिन्दू ब्राह्मण लड़की = 7 लाख
हिन्दू क्षत्रीय लड़की = 6 लाख
हिन्दू वैश लड़की = 5 लाख
हिन्दू दलित लड़की = 2 लाख
हिन्दू जैन लड़की = 4 लाख
बौद्ध लड़की = 4.2 लाख
ईसाई कैथोलिक लड़की = 3.5 लाख
ईसाई प्रोटैस्टैंट लड़की = 3.2 लाख
शिया मुसलमान लड़की= 4 लाख
ईनाम इनसे थोड़ा कम या अधिक हो सकता है पर ज्यादा भेद नहीं है ।
(11) प्रश्न :- ये लव जिहाद के ईनाम की घोषणा और संचालन कहाँ से होता है ?
उत्तर :- केरल का मालाबार ही इसका मुख्य संचालन स्थान है । परन्तु अब उसकी शाखायें पूरे भारत में फैल गई हैं । क्योंकि केरल में ही लव जिहाद के 5000 से अधिक मामले कोर्ट के सामने आये हैं । तो पूरे भारत में कितने ही ऐसे मामले होंगे ?
(12) प्रश्न :- क्या लव जिहाद में केवल हिन्दू लड़कियों को ही लक्ष्य किया जाता है या अन्य को भी ?
उत्तर :- भारत में हिन्दू बहुसंख्यक हैं जिस कारण पहला लक्ष्य हिन्दू लड़कियाँ ही होती हैं । परन्तु इससे अतिरिक्त दूसरे मत ( बौद्ध, जैन, वाल्मिकी, सिक्ख, ईसाई ) की लड़कियाँ भी लक्ष्य की जाती हैं, क्योंकि ईस्लाम की विचारधार बहुत ही कुंठित और संकुचित है जिसमें कि दूसरे मत पंथों के विरुद्ध उग्र घृणा का भाव विद्यमान है, और स्त्रीयों को तो ईस्लाम जानवरों से भी बदतर समझता है ।
(13) प्रश्न :- हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद में ही क्यों फंस जाती हैं ? क्या इनमें दिमाग नहीं होता ?
उत्तर :-इसके ये मुख्य कारण हैं :-
(१) हिन्दू घरों में धार्मिक वातावरण नहीं रखता ।
(२) हिन्दू अपने बच्चों को वैिदक मत की श्रेष्ठता और अवैदिक मत की निकृष्टता नहीं बताता ।
(३) अपने इतिहास पुरुषों और स्त्रीयों की जीवनीयों और उनके बलिदानों को नहीं बताता।
(४) हिन्दू युवा अपने वीर योद्धायों से इतर बालिवुड के नायकों को अपना आदर्श मानता है ।
(५) घर में सास बहु के सीरियल चलने से वातावरण और दूषित हो जाता है ।
(६) हिन्दू अपने बच्चे को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाता है और मुसलमान अपने बच्चे को दूसरों के प्रती नफरत सिखाता है । जिस कारण ये हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान लड़कों से घुलने मिलने में झिझकती नहीं ।
(७) फेसबुक पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियों की प्रोफाईल देखेंगे तो उन्होंने धार्मिक पेजों की बजाये, love, tv serials, pyar, ishq, bollywood masala, mickel jakson, shahrukh ,salman, hritik आदि के पेज लाईक किये होते हैं । और उनकी friend list में मुसलमान युवकों की संख्या बहुत ही पायी जाती है ।
(14) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को कोई लव जिहाद के बारे में समझाता क्यों नहीं ?
उत्तर :- जब आप इनको समझाने लगते हैं तो ये लड़कियाँ नीचे लिखी बातें बोलती हैं :-
-------- आप तो नफरत फैलाते हो !!
-------- क्यूँ मुस्लिम भी तो ईंसान ही होते हैं ?
-------- तो इसमें क्या बुराई है ?
-------- हमको इससे क्या लेना देना ?
-------- हमें सोच बदलनी चाहिये, और इसी जातीवाद को खत्म करके development करनी चाहिये ।
-------- आपकी सोच पिछड़ी हुई है, देखो dude आगे बढ़ो इतनी hate speech मत फैलाओ !!
-------- मुस्लिम बनने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि profet mohammad भी तो god ही थे ।
-------- Hey you अपना काम करो mind your own buisness !!
-------- You know Dr. Abdul kalam भी मुस्लिम हैं ।
-------- U remember जोधा अकबर की great love story.
अभ आप स्वयं जान लीजिये इन हिन्दू लड़कियों की मान्सिक्ता कितनी नीच और घिरी हुई । जिस जाती की स्त्रीयों को अपने पराये का भेद ही नहीं पता, तो वो लव जिहादियों का शिकार न होंगी तो और क्या होगा ?
(15) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद के बारे में समझाया कैसे जाये ?
उत्तर :- ये कार्य आप अपने ही घर से शुरू करें । जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिशते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये लव जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें । चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे । क्योंकि जब मरीज़ डाक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती । पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है । तो इसी प्रकार ये चर्चा आपकी बहनों के लिये हितकर है । उनके कानों में यह विषय अवश्य ही पहुँचना चाहिये । तो ऐसे में जब भी रेलगाड़ी या बस में बैठे हुए किसी अजनबी से बातचीत शुरू हो ही जाये तो उससे भी जानबूझ कर इस विषय में किसी न किसी बहाने से लव जिहाद की चर्चा छेड़ दें । ताकि वो अपने घर की स्त्रीयों की रक्षा के बारे में सचेत हो जाये । दूसरा मार्ग यह है कि मेरे इस लेख को कम facebook पर हिन्दू लड़कियों के message box में डाल दें । क्योंकि मान लो इस काम को एक राष्ट्रवादी एक दिन में कम से कम 100 लड़कियों के inbox में ये लव जिहाद वाली प्रश्नोत्तरी को copy paste करे तो फिर मान लो ऐसे 100 राष्ट्रवादी हों तो एक दिन में कम से कम 100 x 100 = 10000 अलग अलग हिन्दू लड़कियों के message box में भी ये जानकारी पहुँचेगी । तो अगर उसमें से 5000 लड़कियाँ आपको block कर देती हैं । तो बाकी 5000 में से 2500 इस लेख की उपेक्षा करती हैं । तो 2500 उसको पढ़ेंगी और इनमें से मान लो 1500 लड़कियाँ पढ़ कर भी सहमत नहीं होतीं तो बाकी 1000 उससे सहमत होंगी तो, ये 1000 हिन्दू लड़कियाँ ईस्लामी लव जिहाद से सतर्क हो जायेंगी । तो ऐसे ही 1000 प्रती दिन हिन्दू लड़कियाँ सचेत हों तो एक माह में कितनी होंगी ( 30 x 1000 = 30000 ) प्रतीमाह हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद के बारे में सतर्क रहेंगी और मुसलमान गुंडों से सावधान रहेंगी और अपनी सहेलियों को भी सावधान करेंगी । तो ये बहुत ही कारगर तरीका है और फिर इस लेख को अपनी अपनी profile पर डालें और हिन्दू लड़कियों को इसमें tag करें और कृप्या इसको अधिक से अधिक Share करें ।
(16) प्रश्न :- क्या कोई और भी तरीका है लव जिहाद को रोकने का ?
उत्तर :- वैसे तो बार बार कहा जा रहा है कि लव जिहाद की जानकारी ही सबसे बड़ी बात है जो कि हिन्दू जनता को नहीं है । जानकारी किसी भी माध्यम से पहुँचायें पर पहुँचायें अवश्य ही, क्योंकि शायद आपकी कोई हिन्दू बहन राक्षसों के चंगुल में फँसने से बच जाये ।
(17) प्रश्न :- क्या इस लव जिहाद की कोई एतिहासिक साक्षी भी रही है ?
उत्तर :- भारत के मध्य काल में मुगल सेनायें जिस भी हिन्दू घर में चाहें घुस जाते थे । और उनकी बेटीयों या औरतों को उठा ले जाते थे और उनका शील भंग करके फिर से छोड़ जाते थे । तो बहुत से बादशाहों ने तो सुन्दर सुन्दर हिन्दू लड़कियों को टके टके के भावों में भी कसूर, लाहौर या काबुल के बाज़ारों में बेचा था । तो
इसके उपरान्त मुहम्मद बिन कासिम जो कि पहला यवन आक्रमणकारी था उसने भी यहाँ भारत से 5 लाख हिन्दू औरतों को अरबी बाज़ारों में ले जा कर बेचा था । और अब वर्तमान की बात करें तो पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य होने से वहाँ हिन्दू, सिक्ख, ईसाई लड़कियों को जबरन बंदूकों की नोक पर उठाया जाता है, जब इनकी लड़कियाँ जवान होती हैं तो वहाँ के पठान और पश्तून इनके पीछे हाथ धो कर पड़ जाते हैं और मौका पाते ही इनका अपहरण कर लेते हैं फिर बलात्कार के बाद इनको मुसलमान बना कर किसी भी अधेड़ उमर के आदमी से या किसी से भी शादी कर दी जाती है । पाकिस्तानी बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में हिन्दुओं और गैर मुसलमानों के प्रती नफरत करने की शिक्षा दी जाती है ।
(18) प्रश्न :- लव जिहाद का विषय इतना ही महत्वपूर्ण है तो हिन्दू जनता इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती ?
उत्तर :- जानकारी के अभाव के कारण, आलस्य के कारण, या थोथी सैक्युलरिज़म के कारण । हिन्दू की शिक्षा ने ही उसे अधकचरा और सैक्युलर बना दिया है । जिससे की कभी कभी समस्या के पता होने के बावजूद भी वो आँख मूंद कर रहता है । किसी हिन्दू की पहचान करनी हो तो उससे बात करना और वो दो ही शब्द बोलना जानता है, "तुझको क्या ?" या "मुझको क्या ?"। इसी सैक्युलरिज़म के कारण ही ये हिन्दू समाज इतना नपुंसक बन गया है । तो इसको ना अपने धर्म रक्षा की चिंता है, न संस्कृति की चिंता, न देश की चिंता, न अपनी संतानों की नैतिक शिक्षा की चिंता, न अपनी जाती रक्षा की चिंता । बस ये हिन्दू यही रट लगाता है :- " तुझे क्या ? मुझे क्या ? हमको क्या ? तुमको क्या ? हमें क्या लेना ? तुम्हें क्या लेना ? मुझे क्या करना ? तुझे क्या करना ? " इत्यादी ।
(19) प्रश्न :- अगर हमारी दृष्टि में कोई हिंदू लड़की लव जिहाद में फँस गई है, तो हमें क्या करना चाहिये ?
उत्तर :- अगर तो आप उसे समझा सकते हैं तो समझायें, निसंकोच होकर उसके घर जायें उसके माता पिता से इस बारे में बात चीत करें और उनको लव जिहाद के विषय में विस्तार से बतायें । अगर आप नहीं समझा सकते तो पास ही किसी क्रियाशील संगठन जैसे [ आर्य समाज, स्वयंसेवक संघ, शिव सेना, बजरंग दल ] आदि से सम्पर्क करें और उनको इसकी सूचना दें । अगर आपकी बेटी या बहन इस चक्कर में फँस रही है तो उसे गुस्से या ज़बरदस्ती से न समझायें । क्योंकि ऐसा करने से वो घर छोड़ कर भी भाग सकती है । ऐसी training लव जिहादीयों को मिली होती है कि वो पूरी तरह से इनको सम्मोहित कर लेते हैं कि ये हिन्दू लड़कियाँ घर तक छोड़ने को तैयार हो जाती हैं और भारत में कानून भी यह कहता है कि अगर लड़की बालिग हो तो वो जहाँ चाहे विवाह कर सकती है । तो इसी का लाभ ये मति भ्रष्ट लड़कियाँ उठाती हैं । अपने घरों में धार्मिक वातावरण बनाने के प्रयास करें । ऋषि दयानंद सरस्वति कृत अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भी पढ़ायें जिसमें उन्होंने संसार के मुख्य मत पंथों की वैदिक धर्म से तुल्नात्मक समीक्षा की है । अवैदिक मतों का खण्डन किया है उसका प्रचार करें ।
(20) प्रश्न :- क्या लव जिहाद से किसी हिन्दू लड़कियों को बचाया भी गया है या नहीं ?
उत्तर :- हाँ निश्चित ही ऐसा हुआ है । हम महाराष्ट्र का उदाहरण देते हैं । सब जानते हैं कि वहाँ बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना सक्रीय है । और वहाँ के रहने वाले मुसलमानों को दबा रखा है, उनके अल्लाह हो अकबर के जुनून को ठंडा किया हुआ है । वहाँ नासिक के किसी Restorant में एक मुसलमान किसी हिन्दू लड़की के साथ बैठा था इसकी भनक शिव सैनिकों को लगी तो वो वहाँ गये और जमकर उस मुसल्ले की धुनाई कर दी और ऐसे ही महाराष्ट्र में मौलवीयों ने फत्वा निकाला हुआ था कि हिन्दू लड़कियों को छेड़ो और जन्नत पाओ । तो शिव सेना ने स्कूलों कालेजों की घेरा बन्दी की हुई है और यदी कोई सरफिरा मजनू वहाँ घूमता हुआ या घात लगाता हुआ पकड़ा जाता तो उसकी पिटाई करके जन्नत के नज़ारे दिखा दिये जाते हैं । इस आन्दोलन का असर हुआ कि महाराष्ट्र में लव जिहाद की घटनाओं में भारी घिरावट आई । तो इसी कारण ये मुसलमान शिव सैनिकों या संघीयों को भगवा आतंकी कहते हैं । और बेचारे कहेंगे भी क्या ? क्योंकि इनके मनसूबों का नाकाम करके इनको आतंकित जो कर रखा है । केरल में संघ ने करीब 171 हिन्दू लड़कियों को बचाया गया है । ऐसे और भी कई मामले हैं । यही कारण है कि ये मुसल्ले सनातन धर्म की रक्षा करनेवाले संगठनो को आतंकवादी संगठन बताते हैं । अरे भाई !! सीधी सी बात है, "जिन्होंने ऐसे दहशतगर्दों को आतंकित कर रखा हो वो आतंकवादी नहीं तो और क्या हैं ?"
(21) प्रश्न :- अब हम फेसबुक युवाओं को क्या करना चाहिये ?
उत्तर :- आप लोग प्रश्न उत्तर नम्बर (15) को समझें और उस पर अमल करें ।
ओ३म् तत् सत् । pls share kare लेखिका Gauri Rai
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महिला स्वातंत्र्य को अबाधित रखते हुए प्रत्येक माता-भगिनियों अपनी बहन-भाभी-मां-मौसी के अनुभव के साथ मित्रता बनाकर किसी को साथ लेकर ही निकलने का समय आया है। मोबाईल जितना प्रगत तंत्र अपनों के साथ संपर्क बनाएं रखने के लिए होता है। मात्र आपका नंबर आपकी सहेलियां सार्वजनिक कराती है या अपने भाईजानो से मिलवाती है या जहां आप मोबाईल रिचार्ज करवाती है वहां से आपका नंबर सार्वजनिक हो सकता है। युवती को अपने कुल और शील की रक्षा के लिए अपनी मां-बहन-मौसी-भाभी को विश्वास में लेकर वो सब कहना-विचारणा करनी चाहिए जो,विवाहिता मार्गदर्शन कर सकती है। मां को अपनी बेटी के प्रेम में फंसने की सर्व प्रथम आशंका होनी चाहिए तथा जल्द विवाह कर देना चाहिए। 
प्रत्येक मनुष्य स्त्री-पुरुष को लिंग और जिव्हा पर नियंत्रण रखना "कलियुग" में आव्हान है। 


Wednesday, 16 March 2016

हिन्दू वह है जो,भारत में प्रादुर्भूत धर्म में आस्था रखता है !


"हिन्दू" शब्द की उत्पत्ति

हिंदू शब्द भारतीय विद्वानों के अनुसार ४००० वर्ष से भी पुराना है।
शब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है ,में मन्त्र- "हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:"
अर्थात हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है।

इसी प्रकार "अदभुत कोष" में मन्त्र है, "हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने"।
अर्थात हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।

वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी)में मन्त्र,"हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:। वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्। "
अर्थात जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।

ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं।तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।
अर्थात हिमालय पर्वत से लेकर इंदु(हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस क्षेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।

पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन अवेस्ता ग्रन्थ में लिखा है कि,
"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।
अर्थात व्यास नमक एक ब्राह्मण हिंद से आया जिसके बराबर कोई बुध्दिमान नही था।

इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद साहब से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,............................

"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥
अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है।

उरूल उकुल काव्य संग्रह के पृष्ठ २३५ पर उमर बिन हश्शाम लिखते है,
"व सहबी के याम फिम कामिल हिन्दे मौमन यकुलून न लाजह जन फइन्नक तवज्जरू"
अर्थात-हे प्रभो,मेरा संपुर्ण जीवन आप ले लो परंतु,एकही दिन क्यों न हो मुझे हिन्दुस्थान में अधिवास मिलने दो। क्योकि,वहां पहुंचकर ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ती हो सकती है।

१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।
महाकवि चन्द्र बरदाई....................जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।

जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है की हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है।
इन हजारों तथ्यों के अलावा भी लाखों तथ्य इस्लाम के लूटेरों ने तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों को नष्ट करके समाप्त कर दिए है।

मात्र श्री मोहनराव भागवतजी के पूर्व द्वितीय सरसंघ चालक महोदय ने इसका ज्ञान होते हुए भी सावरकर जिन्होंने
"आसिंधुसिंधु पर्यन्ता यस्य भरतभूमिका। पितृभूः पूण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितिस्मृतः ।।" बनाई
इस आख्या को आद्य सरसंघ चालक ने भी स्वीकार किया था उसे नकारा।
 ऐसे में श्री मोहनराव भागवतजी के विहिंप ५० स्थापना वर्ष दिवस पर जो,"हजम करने के वक्तव्य दिए है" वह केवल हिन्दू आत्मघाती इतिहास की उद्घोषणा होगी ? 

Monday, 14 December 2015

जन्नत में कुंवारी और सुन्दर 72 हूरें,गिलमा का क्या काम है ? कुरान-हदीस की समीक्षा-तुर्की सरकार


कुरान में मुसलमानों से वादा किया गया है कि मरने के बाद उनको जन्नत में कुंवारी और सुन्दर 72 हूरें दी जाएँगी .और साथ में सुन्दर अल्पायु के लडके भी दिए जायेंगे जिन्हें "गिलमा " कहा जाता .क्योंकि मुसलमान लड़कों के भी शौक़ीन होते हैं .वह जन्नत में जाये बिना ही यहीं अपनी इच्छा पूरी करते आये हैं .इसी के बारे में जानकारी दी जा रही है





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यदि कोई व्यक्ति दुर्भावना रहित निष्पक्ष रूप से इस्लामी साहित्य ,मुस्लिम शासकों का इतिहास और मुसलमानों आचार विचार का गंभीर अध्यन करने पर आसानी से इस बात का निष्कर्ष निकला जा सकता ,कि है हरेक कुकर्म और अपराध का सम्बन्ध इसी गलत धार्मिक शिक्षा से है .ऐसा ही एक दुर्गुण है जो इस्लाम के साथ ही सम्पूर्ण विश्व में फ़ैल गया है ,जिसको समलैंगिकता (Homo sexuality ) भी कहते हैं .और दूसरा दुर्गुण अफगानिस्तान ,पाकिस्तान और में मौजूद है जिसे "बच्चा बाजी " कहा जाता है .इसी तरह भारत में हिजड़ों कि प्रथा भी मुस्लिम शासक ही लाये थे .जिनको "मुखन्निस(Arabic مخنثون "effeminate ones") कहते हैं .यह ऐसे लडके या पुरुष होते हैं ,जिनका पुरुषांग काट दिया जाता ताकि वह स्त्री जैसे दिखें .और जब वह हरम में काम करें तो वहां की औरतोंसे कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं बना सकें .समलैंगिकता इस्लाम से पूर्व और इस्लाम के बाद भी किसी न किसी रूप से मुस्लिम देशों में मौजूद है .इसके लिए हमें कुरान ,हदीस और इतिहास का सहारा लेना जरुरी है .देखिये -
1-इस्लाम से पूर्व समलैगिकता
इस्लाम से पहिले अरब के लोग सुन्दर लड़कों के साथ कुकर्म करते थे ,यह खुद कुरान से साबित होता है ,जो कहती है
"जब हमारे फ़रिश्ते लड़कों के रूप में लूत( एक नबी ) के पास गए ,तो वह उन लड़कों के बारे में चिंतित हो गया .और खुद को बेबस समझाने लगा ,क्योंकि उसकी जाति लोग लडके देखते ही उसके घर की तरफ दौड़े आ रहे थे .क्योंकि वह लोग हनेशा से ऐसा कुकर्म करते रहते थे .लूत ने उन से कहा हे लोगो यह मेरी बेटियां हैं जो लड़कों से अधिक उपयोगी हैं और बिलकुल पाक हैं ,तुम लड़कों से साथ कुकर्म करके मुझे लज्जित नहीं करो .क्या तुम में कोई भला आदमी नहीं है ,वह बोले हमें तेरी बेटियों से कोई मतलब नहीं .तुम तो जानते हो की हमारा असली इरादा क्या है "
सूरा -हूद 11 :77 से 79
"लूत ने कहा तुम अपनी कम वासना की पूर्ति के लिए लड़कियों को छोड़कर लड़कों के पास जाते हो "सूरा-अल आराफ़ 7 :80
2-जन्नत में लडके मिलेंगे
आपको यह बात जरुर अजीब लगेगी कि एक तरफ कुरान लड़कों के साथ दुराचार को बुरा कहती है ,और दूसरी तरफ लोगों को जन्नत में सुन्दर लडके मिलने का प्रलोभन देती है .जन्नत के इन लड़को को "गिलामाغِلمانُ " कहा गया है .कुरान में इनका ऐसा वर्णन है .
" और उनके चारों तरफ लड़के घूम रहे होंगे ,वह ऐसे सुन्दर हैं ,जैसे छुपे हुए मोती हों "सूरा -अत तूर 52 :24
"وَيَطُوفُ عَلَيْهِمْ غِلْمَانٌ لَّهُمْ كَأَنَّهُمْ لُؤْلُؤٌ مَّكْنُونٌ" 52:24
"वहां ऐसे किशोर फिर रहे होंगे जिनकी आयु सदा एक सी रहेगी (immortal youths ) सूरा -अल वाकिया 56 :17
इन लड़कों की हकीकत कुरान की इस आयत से पता चलती है ,जो कहती है कि,
"ऐसे पुरुष जो औरतों के लिए अशक्त हों (who lack vigour ) सूरा -नूर 24 :31
बोलचाल की भाषा में हम ऐसे पुरुषों नपुंसक या हिजड़ा (Eunuchs ) कहते हैं . मुस्लिम शासक कई कई औरते रखते थे ,और हरम की रक्षा के लिए हिजड़े रखते थे .जिन्हें "खोजा सरा" कहा जाता था .रसूल की हरम में भी कई औरतें थी .इसके लिए हिजड़ों की जरूरत होती थी .यह बात इन हदीसों से पता चलती है .सभी प्रमाणिक हदीसें हैं .
3-रसूल हिजड़े रखते थे .
अपने हरमों में हिजड़ों को रखना इस्लाम की पुरानी परंपरा है .और रसूल के घर में भी हिजड़े रहते थे ,और कभी रसूल खुद हिजड़े खरीदते थे ,जो इन हदीसों और सीरत से पता चलता है ,
"अमीरुल मोमिनीन आयशा ने कहा कि एक हिजड़ा रसूल के पास आता था .और एक दिन जब रसूल घर में घुसे तो उनकी पत्नियाँ औरतों के बारे में चर्चा कर रही थी .कि जब औरत आगे बढाती है तो चार गुनी और पीछे चलती है तो उनका पेट आठ गुना निकलता है .रसूल बोले मुझे इस बात पर विश्वास नहीं ,शायद यह हिजड़ा अधिक जानता हो . तब औरतों ने उस हिजड़े से पर्दा कर लिया .
Narrated Aisha, Ummul Mu'minin: A mukhannath (eunuch) used to enter upon the wives of Prophet . They (the people) counted him among those who were free of physical needs. One day the Prophet entered upon us when he was with one of his wives, and was describing the qualities of a woman, saying: When she comes forward, she comes forward with four (folds in her stomach), and when she goes backward, she goes backward with eight (folds in her stomach). The Prophet said: Do I not see that this (man) knows what here lies. Then they (the wives) observed veil from him.
Sunan Abu-Dawud, Book 32, Number 4095:
4-रसूल ने हिजड़ा ख़रीदा
अरब में इस्लामी कल में गुलामों का बाजार लगता था ,और एक दिन जब रसूल गुलाम खरीदने गए तो उन्हें एक हिजड़ा मिला जिस का वर्णन सीरत ( मुहम्मद की जीवनी ) में इस तरह मिलता है
"एक बार रसूल बाजार गए तो उनको वहां "जाहिर "(एक हिजड़ा ) मिल गया ,जिसे रसूल पसंद करते थे .तभी रसूल ने जाहिर को पीछे से आकार पकड़ लिया .जाहिर बोला मुझे छोडो ,तुम कौन हो ,रसूल बोले मैं गुलामों का व्यापारी हूँ ,यानि गुलाम खरीदने वाला हूँ .जब जाहिर को पता चला कि यह रसूल हैं ,तो वह रसूल कि छाती से और जोर से चिपट गया "
One day, Muhammad went to the market, there he found Zahir, whom he liked, so he hugged him from behind. Zahir said: let go of me, who are you? Muhammad told him: I'm the slave trader (literally, I'm the one who buys the slaves), and refused to let go of him so when Zahir knew it was Muhammad, he drew (stuck) his back closer to Muhammad's chest.
فى يوم خرج محمد إلى السوق فوجد زاهرا وكان يحبه فأحتضنه من الخلف
فقال له زاهر اطلقنى من انت؟ فقال له محمد انا من يشترى العبيد ورفض ان
يطلقه فلما عرف زاهر أنه محمد صار يمكن ظهره من صدر محمد
السيرة الحلبية ج 3 ص 441 وفتحي رضوان في (الثائر الأعظم) ص 140
Al Seera Al Halabya (Muhammad's Biography) by Al Halabya, volume 3, p. 441 and Fathy Rdwan in his book Al Tha'er al A'azam (The greatest rebel)
5-गुलाम लड़कों का काम
गुलाम लड़कों (slave boys ) यानी गिलमा से कई तरह के काम कराये जाते है ,जिनमे एक के बारे में इस हदीस में लिखा है ,
"अनस बिन मलिक ने कहा कि जब भी रसूल शौच के लिए जाते थे ,तो मैं उनके साथ रहता था .और मदद के लिए एक लड़का पानी से भरा बर्तन रखता था .ताकि वह पानी से रसूल के गुप्त अंगों को धो सके "
"وروى أنس بن مالك :
كلما رسول الله ذهب للرد على المكالمة من الطبيعة، وأنا مع صبي آخر يستخدم لمرافقته مع بهلوان كامل من الماء. (وعلق هشام "، حتى انه قد غسل فرجه معها".)
Narrated Anas bin Malik:
Whenever Allah's Apostle went to answer the call of nature, I along with another boy used to accompany him with a tumbler full of water. (Hisham commented, "So that he might wash his private parts with it.")
(Sahih Al-Bukhari, Volume 1, Book 4, Number 152; see also Numbers 153-154
6-बच्चा बाजी
बच्चा बाजी(Pederasty) ,यह इस्लाम का एक मनोरजन है ,इसमे छोटे छोटे लड़कों या तो खरीद कर या अगवा करके उठाव लिया जाता है .फिर उनको लड़कियों के कपडे पहिना कर नाच कराया जाता है .और नाच के बाद उनके साथ कुकर्म किया जाता है .कभी कभी ऐसे लड़कों को खस्सी करके (Castrated ) हिजड़ा बना दिया जाता है .यह इस्लामी परम्परा अफगानिस्तान ,सरहदी पाकिस्तान में अधिक है .इस कुकर्म के लिए 9 से 14 साल के लड़को को लिया जाता है .अफगानिस्तान में गरीबी और अशिक्षा अधिक होने के कारण वह आदर्श इस्लामी देश है .इसलिए वहां बच्चा बाजी एक जायज मनोरंजन है .विकी पीडिया में इसका पूरा हवाला मिल सकता है ,इसकी लिंक दी जा रही है .
http://en.wikipedia.org/wiki/Bacha_Bazi

अधिक जानकारी के लिए यू ट्यूब से एक लिंक दी जा रही है ,
Homosexual Pedophilia in Afghanistan: Bacha Bazi
http://www.youtube.com/watch?v=P1BNeXTLHoY

7-मुस्लिम शासकों ने हिजड़े बनाये
अरब लोगों में गिलमा यानी Salve Boys रखने की पहुत पुरानी परम्परा है .इसे इज्जतदार होने की निशानी समझा जाता था .अमीर उन गिलमा लड़कों के साथ कुकर्म किया करते थे .कुरान में गिलमा के बारे में सुन्दर लडके कहा गया है .लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि गिलमा लडके हिजड़े होते हैं ,जिन्हें कम आयु में ही Castrated करके हिजड़ा बना दिया जाता है .इसके बारे में प्रमाणिक और विस्तृत जानकारी खलीफा अल रशीद और खलीफा अल अमीन के इतिहास से मिलती है .जिसे सन 1948 में लन्दन से प्रकाशित किया गया था किताब का नाम "Hitti PK (1948) The Arabs : A Short History, Macmillan, London, p. 99 उसी से यह अंश लिए जा रहे हैं .दसवीं सदी ने खलीफा अल मुकतदिर (908 -937 ) ने बगदाद में अपने हरम में रखने के लिए 11 हजार लड़कों को हिजड़ा बनवाया ,जिनमे 7 हजार हब्शी और 4 हजार लडके ईसाई थे .( पेज 174 -175 ) इसका एक उद्देश्य तो उनके साथ कुकर्म करना था .और दूसरा उदेश्य पराजित लोगों को अपमानित करना भी था .
बाद में यही काम भारत में आनेवाले हमलावर मुस्लिम शासकों ने भी किया ,जैसे जब बख्तियार खिलजी ने बंगाल पर हमला किया था ,तो उसने बड़े पैमाने पर 8 से 10 साल के हिन्दू बच्चों को हिजड़ा बना दिया था .बाद में मुगलों कि हुकूमत में (1526 -1799 ) में भी हिजड़े बनाए जाते रहे .इसका वर्णन "आईने अकबरी : में भी मिलता है .इसमे लिखा है अकबर ने 1659 में करीब 22 हजार राजपूत बच्चों को हिजड़ा बनवाया .बाद में जहाँगीर ने और औरंगजेब ने भी इस परंपरा को चालू रखा .ताकि हिन्दू वंशहीन हो जाएँ .इस से पहले सुल्तान अला उद्दीन खिलजी ने 50 हजार और मुहम्मद तुगकक ने 20 हजार और इतने ही फिरिज तुगलक ने भी हिजड़े बनवाये थे .
यहांतक कुछ ऐसे भी हिजड़े थे जो दिल्ली के बादशाह के सेनापति भी बने ,जैसे अल उद्दीन का सेनापति "मालिक काफूर " हिजड़ा था .और कुतुबुद्दीन का सेनापति "खुसरू खान " भी हिजड़ा ही था .महमूद गजनवी और उसके हिजड़े गुलाम के "गिलमा बाजी" (homo sexual ) प्रेम यानि कुकर्म (Sodomy ) को इकबाल जैसे शायर ने भी आदर्श बताया है .क्योंकि यह कुरान और इस्लाम के अनुकूल है ? क्या कुरान-हदीस में इस लेखन को समाविष्ट किया गया है ? क्या तुर्की सरकार ने इसलिए पांच धर्माचार्यो की समीक्षा समिती गठित की है ?(नोट -लेख का अंतिम भाग सारांश रूप में है ,पूरा विवरण अंग्रेजी में दी गयी साईट में देखें )
सभी देशभक्त और धर्मप्रेमी ,किसी प्रकार के झूठे प्रचार में नहीं फंसें .इस्लाम को ठीक से समझें .आने वाले खतरों से सचेत होकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो !  संविधान विरोधी धार्मिक आज्ञा के अनुसार कमलेश को इनाम लगाकर मारने घोषणा पर सरकार कोई ऐक्शन नहीं लेगी तो,देश का हिन्दू जाती-पंथ-भाषा-दलगत राजनीती त्यागकर राष्ट्र संस्कृती विरोधियोंको पाकिस्तान की सीमा तक छोड़ने आएंगे !
http://islamic-slavery.blogspot.com/

http://www.faithfreedom.org/…/islamic-slavery-part-10-sex-