टीपू सुलतान को जानने के लिए उसके संपुर्ण जीवन में किये गए कार्यकलापों के विषय में समझना अत्यंत आवश्यक हैं | अपवाद के रूप में एक-दो मठ-मंदिर को सहयोग करने से सहस्त्रो मंदिरों को नष्ट-ध्वस्त करने का,लक्षावधी हिन्दुओ को इस्लाम में धर्मपरिवर्तन करने या उनकी हत्या का दोष टीपू के माथे से धुल नहीं सकता |
टीपू के अत्याचारों की अनदेखी कर उसे धर्म निरपेक्ष सिद्ध करने के प्रयास को हम बौध्दिक आतंकवाद की श्रेणी में गिनती करे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, सेक्युलरवादियों का कहना हैं कि, टीपू ने श्री रंगपट्टनम के मंदिर और श्रृंगेरी मठ में दान दिया तथा श्रुङ्गेरि मठ के श्री शंकराचार्यजी के साथ टीपू का पत्र व्यवहार भी था | जहाँ तक श्रृंगेरी मठ से सम्बन्ध हैं
डॉ.एम्.गंगाधरन साप्ताहिक मातृभूमि जनवरी दिनांक १४-२० सन १९९० में लिखते हैं कि," टीपू सुलतान भूत प्रेत आदि में विश्वास रखता था। उसने, श्रृंगेरी मठ के आचार्यों को धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए दान-दक्षिणा भेजी जिससे उसकी इस्लामी सेना पर भुत प्रेत आदि का कूप्रभाव न पड़े |" PCN राजा-केसरी वार्षिक अंक १९६४ के अनुसार, श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के पुजारियों द्वारा टीपू सुल्तान से आत्मरक्षा के लिए एक भविष्यवाणी की थी उसके भय से, "टीपू मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान करवाता हैं तो, उसे दक्षिण भारत का सुलतान बनने से कोई रोक नहीं सकता।" अंग्रेजों से एक बार युद्ध में विजय प्राप्त होने का श्रेय टीपू ने ज्योतिषों की उस सलाह को दिया था जिसके कारण उसे युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी , इसी कारण से टीपू ने उन ज्योतिषियों को और मंदिर को ईनाम रुपी सहयोग देकर सम्मानित किया था ना की धर्म निरपेक्षता या हिन्दुओ के प्रति सद्भावना थी।
नबाब हैदर अली की म्रत्यु के बाद उसका यह पुत्र टीपू मैसूर की गद्दी पर बैठा था। गद्दी पर बैठते ही टीपू ने मैसूर को मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया। मुस्लिम सुल्तानों की परम्परा के अनुसार टीपू ने एक आम दरबार में घोषणा की,"मै सभी काफिरों को मुसलमान बनाकर रहूंगा।" तत्काल उसने सभी हिन्दुओं को आदेश जारी कर दिया।उसने मैसूर के गाव- गाँव के मुस्लिम अधिकारियों के पास लिखित सूचना भेज दी कि, "सभी हिन्दुओं को इस्लामी दीक्षा दो ! जो स्वेच्छा से मुसलमान न बने उसे बलपूर्वक मुसलमान बनाओ और जो पुरूष विरोध करे, उनका कत्ल करवा दो ! उनकी स्त्रिओं को पकडकर उन्हें दासी बनाकर मुसलमानों में बाँट दो। "
इस्लामीकरण का यह तांडव टीपू ने इतनी तेजी से चलाया कि , समस्त हिन्दू समाज में त्राहि त्राहि मच गई।इस्लामिक दानवों से बचने का कोई उपाय न देखकर धर्म रक्षा के विचार से हजारों हिंदू स्त्री पुरुषों ने अपने बच्चों समेंत तुंगभद्रा आदि नदिओं में कूद कर जान दे दी। हजारों ने अग्नि में प्रवेश कर अपनी जान दे दी ,किंतु धर्म त्यागना स्विकार नहि किया।
टीपू सुलतान को हमारे इतिहास में एक प्रजा वत्सल राजा के रूप में दर्शाया गया है।टीपू ने अपने राज्य में लगभग ५ लक्ष हिन्दुओ को बलात्कार से मुसलमान बनाया।लक्षो की संख्या में कत्ल करवाये। इसके कुछ ऐतिहासिक तथ्य भी उपलब्ध है जिनसे टीपू के दानवी हृदय का पता चलता हैं।
टीपू द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारो पर डॉ.गंगाधरन ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर लिखते हैं कि,"ज़मोरियन राजा के परिवार के सदस्यों को और अनेक नायर हिन्दुओ की बलपूर्वक सुन्नत करवाकर मुसलमान बना दिया गया था और गौ मांस खाने के लिए भी विवश किया गया था।"
* ब्रिटिश कमीशन रिपोर्ट के आधार पर, टीपू सुल्तान के मालाबार हमलों (१७८३-१७९१) के समय करीब ३०,००० हिन्दू नम्बुद्रि मालाबार में अपनी सारी धन-दौलत और घर-द्वार छोड़कर त्रावणकोर राज्य में आकर बस गए थे।
* इलान्कुलम कुंजन पिल्लई लिखते हैं कि, टीपू सुलतान के मालाबार आक्रमण के समय कोझीकोड में ७००० ब्राह्मणों के घर थे। उसमे से २००० को टीपू ने नष्ट कर दिया और टीपू के अत्याचार से लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर जंगलों की ओर भाग गए। टीपू ने औरतों और बच्चों तक को नहीं छोड़ा। धर्म परिवर्तन के कारण मोपला मुसलमानों की संख्या में अत्यंत वृद्धि हुई और हिन्दू जनसंख्या न्यून हो गई।
* विल्ल्यम लोगेन मालाबार मैन्युअल में टीपू द्वारा तोड़े गए हिन्दू मंदिरों का उल्लेख करते हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में हैं।
* राजा वर्मा केरल में संस्कृत साहित्य का इतिहास में मंदिरों के टूटने का अत्यंत वीभत्स विवरण करते हुए लिखते हैं की,हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर व पशुओ के सर काटकर मंदिरों को अपवित्र किया जाता था।
मैसूर में भी टीपू के राज में हिंदुओ की स्थिति कुछ अच्छी न थी,"ल्युईस रईस के अनुसार, श्रीरंग पट्टनम के किले में केवल दो हिन्दू मंदिरों में हिन्दुओ को दैनिक पूजा करने का अधिकार था बाकी सभी मंदिरों की संपत्ति जब्त कर ली गई थी।"
यहाँ तक की राज्य सञ्चालन में हिन्दू और मुसलमानों में भेदभाव किया जाता था। मुसलमानों को कर में विशेष छुट थी और अगर कोई हिन्दू, मुसलमान बन जाता था तो उसे भी छुट दे दी जाती थी।
जहाँ तक सरकारी नौकरियों की बात थी हिन्दुओ को न के बराबर सरकारी नौकरी में रखा जाता था। कूल मिलाकर राज्य में ६५ सरकारी पदों में से एक ही प्रतिष्ठित हिन्दू था, केवल पूर्णिया पंडित !
* इतिहासकार एम्.ए.गोपालन के अनुसार अनपढ़ और अशिक्षित मुसलमानों को आवश्यक पदों पर केवल मुसलमान होने के कारण नियुक्त किया गया था|
बिद्नुर,उत्तर कर्नाटक का शासक अयाज़ खान था जो पूर्व में हिन्दू कामरान नाम्बियार था, उसे हैदर अली ने इस्लाम में दीक्षित कर मुसलमान बना दिया था। टीपू सुल्तान अयाज़ खान को शुरू से पसंद नहीं करता था इसलिए उसने अयाज़ पर हमला करने का मन बना लिया। अयाज़ खान को इसका पता चला तो वह मुम्बई भाग गया।
टीपू बिद्नुर आया और वहाँ की सारी जनता को इस्लाम कबूल करने पर विवश कर दिया था। जो न धर्म बदले उनपर भयानक अत्याचार किये गए।
कुर्ग पर टीपू साक्षात् राक्षस बन कर टूटा था।लगभग १०,००० हिन्दुओ को इस्लाम में बलात धर्म परिवर्तित किया गया। कुर्ग के लगभग १००० हिन्दुओ को पकड़ कर श्रीरंग पट्टनम के किले में बंद कर दिया। उन लोगो पर इस्लाम कबूल करने के लिए अत्याचार किया गया। बाद में अंग्रेजों ने जब टीपू को मार डाला तब जाकर वे कारागार से छुटे और फिर से हिन्दू बन गए।
कुर्ग राज परिवार की एक कन्या को टीपू ने बलात मुसलमान बना कर निकाह तक कर लिया था। ( सन्दर्भ PCN राजा केसरी वार्षिक अंक १९६४)
विलियम किर्कपत्रिक ने १८११ में टीपू सुलतान के पत्रों को प्रकाशित किया था। जो, उसने विभिन्न व्यक्तियों को अपने राज्यकाल में लिखे थे।
* जनवरी १९,१७९० में जुमन खान को टीपू पत्र में लिखता हैं की, "मालाबार में ४ लक्ष हिन्दुओ को इस्लाम में शामिल किया हैं, अब मैंने त्रावणकोर के राजा पर हमला कर उसे भी इस्लाम में शामिल करने का निश्चय किया हैं।"
* जनवरी १८, १७९० में सैयद अब्दुल दुलाई को टीपू पत्र में लिखता हैं की, "अल्लाह की रहमत से कालिकत के सभी हिन्दुओ को इस्लाम में शामिल कर लिया गया हैं। कुछ हिन्दू कोचीन भाग गए हैं उन्हें भी धर्मान्तरित कर लिया जायेगा।"
* २२ मार्च १७२७ को टीपू ने अपने एक सेनानायक अब्दुल कादिर को एक पत्र लिखा की ,"१२००० से अधिक हिंदू मुसलमान बना दिए गए।"
* १४ दिसम्बर १७९० को अपने सेनानायकों को पत्र लिखा की, "मैं तुम्हारे पास मीर हुसैन के साथ दो अनुयायी भेज रहा हूँ उनके साथ तुम सभी हिन्दुओं को बंदी बना लेना और २० वर्ष से कम आयुवालों को कारागार में रख लेना और शेष सभी को पेड़ से लटकाकर मार देना।"
* टीपू के शब्दों में "यदि सारी दुनिया भी मुझे मिल जाए,तब भी मै हिंदू मंदिरों को नष्ट करने से नही छोडूंगा।"(फ्रीडम स्ट्रगल इन केरल)
* टीपू ने अपनी तलवार पर भी खुदवाया था ,"मेरे मालिक मेरी सहायता कर कि, में संसार से सभी काफिरों (गैर मुसलमान) को समाप्त कर दूँ !"
इस प्रकार टीपू के धर्मनिष्ठ तथ्य टीपू को एक जिहादी गिद्ध से अधिक कुछ भी सिद्ध नहीं करते।
* मुस्लिम इतिहासकार पी.एस.सैयद मुहम्मद केरला मुस्लिम चरित्रम में लिखते हैं की," टीपू का केरला पर आक्रमण हमें भारत पर आक्रमण करनेवाले चंगेज़ खान और तैमुर लंग की याद दिलाता हैं।"
ऐसे कितनेक ऐतिहासिक तथ्य टीपू सुलतान को एक धर्मान्ध,निर्दयी ,हिन्दुओं का संहारक सिध्द करते हैं। क्या ये हिन्दू समाज के साथ अन्याय नही है कि, हिन्दुओं के हत्यारे को हिन्दू समाज के सामने ही एक वीर देशभक्त राजा बताया जाता है , टाइगर ऑफ़ मैसूर की उपाधि दी जाती है, मायानगरी में इस आतंकी को सेनानी के रूप में प्रदर्शित कर पैसा कमाया जाता है , टीवी की मदद से "स्वोर्ड ऑफ़ टीपू सुलतान" नाम के कार्यक्रम ने तो घर घर में टीपू सुलतान को महान स्वतंत्रता सेनानी बना कर पंहुचा दिया है।
अगर टीपू जैसे हत्यारे को भारत का आदर्श शासक बताया जायेगा तब तो सभी इस्लामिक आतंकवादी भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक महान पुरुष बनेगे।
इस लेख में टीपू के अत्याचारों का अत्यंत संक्षेप में विवरण दिया हैं।यदि इतिहास का यतार्थ विवरण करने लग जाये तो हिन्दुओ पर किये गए टीपू के अत्याचारों का वर्णन करते करते पूरा ग्रन्थ ही बन जायेगा।
सबसे बड़ी विडम्बना मुसलमानों के साथ यह हैं कि, इन लेखों को पढ़ पढ़ कर दक्षिण भारत के विशेष रूप से केरल,आन्ध्र और कर्नाटक के मुसलमान उसकी वाह वाह कर रहे होंगे।जबकि सत्यता यह हैं टीपू सुलतान ने लगभग २०० वर्ष पहले उनके ही हिन्दू पूर्वजों को जबरन मुसलमान बनाया था और उसे वह गौरव समझते है।यही स्थिति कुछ कुछ पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमानों की हैं जो अपने यहाँ बनाई गई परमाणु मिसाइल का नाम गर्व से गज़नी और गौरी रखते हैं जबकि मतान्धता में वे यह तक भूल जाते हैं की उन्ही के हिन्दू पूर्वजों पर विधर्मी आक्रमणकारियों ने किस प्रकार अत्याचार कर उन्हें हिन्दू से मुसलमान बनाया था।वहा इनका जिहादी दृष्टिकोण उन कट्टरपंथीयो के विरुध्द जब तक नहीं खौलता तब तक इस्लाम की आड़ में स्वयं शिकार होते रहेंगे।